advertisement
केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने माना है कि बीते शुक्रवार को श्रीनगर के सौरा में पत्थरबाजी की घटना हुई थी. इससे पहले सरकार ने सौरा में विरोध प्रदर्शन को लेकर आईं मीडिया रिपोर्ट्स को खारिज कर दिया था.
गृह मंत्रालय की प्रवक्ता की ओर से जारी ट्वीट में कहा गया है, ''मीडिया में श्रीनगर के सौरा इलाके में घटना की खबरें आई हैं. 9 अगस्त को कुछ लोग स्थानीय मस्जिद से नमाज के बाद लौट रहे थे. उनके साथ कुछ उपद्रवी भी शामिल थे. अशांति फैलाने के लिए इन लोगों ने बिना किसी उकसावे के सुरक्षाकर्मियों पर पत्थरबाजी की. लेकिन सुरक्षाकर्मियों ने संयम दिखाया और कानून व्यवस्था बनाए रखने की कोशिश की. हम ये दोहराते हैं कि अनुच्छेद 370 को खत्म करने के बाद से अभी तक जम्मू कश्मीर में एक भी गोली नहीं चली है.''
सरकार का ये बयान उस बयान से बिल्कुल उलट है, जो उसकी ओर से बीते 10 अगस्त को जारी किया गया था. सरकार ने कहा था कि कश्मीर में कहीं भी एक जगह 20 से ज्यादा लोगों ने जमा होकर विरोध प्रदर्शन नहीं किया है. सरकार का ये बयान रॉयटर्स की उस स्टोरी पर आया था, जिसमें दावा किया गया था कि सौरा में प्रदर्शन के दौरान 10 हजार के करीब लोग जमा थे.
गृह मंत्रालय की प्रवक्ता ने उस वक्त ट्वीट कर कहा था-
बीबीसी और अलजजीरा ने सौरा प्रदर्शन के वीडियो जारी कर रॉयटर्स की खबर की पुष्टि की थी. हालांकि, दोनों ने ही प्रदर्शनकारियों की संख्या को लेकर कोई दावा नहीं किया था. लेकिन वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि सरकार के दावे के उलट विरोध प्रदर्शन में 20 से ज्यादा लोग मौजूद थे.
बीबीसी के मुताबिक, गृह मंत्रालय का बयान बताता है कि सौरा में वाकई में बड़े स्तर पर विरोध प्रदर्शन हुआ था.
इंटरनेशनल मीडिया में कश्मीर कवरेज पर नाराज सरकार ने कथित तौर पर सौरा में विरोध प्रदर्शन के रॉ फुटेज हासिल करने के लिए अलजजीरा और बीबीसी जैसे संगठनों से संपर्क किया है. इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार ने समाचार संगठनों पर विरोध प्रदर्शनों की खबर से छेड़छाड़ करने का आरोप लगाया है.
अब सरकार खुद स्वीकार कर रही है कि सौरा में विरोध प्रदर्शन हुआ था. हालांकि विरोध प्रदर्शन में कितने लोग शामिल हुए, इसे लेकर विवाद है. ऐसे में अब ये देखना होगा कि क्या बीबीसी और अलजजीरा रॉ फुटेज को शेयर करने के लिए तैयार होंगे.
हालांकि, यह स्पष्ट है कि सरकार कश्मीर पर मीडिया कवरेज को कंट्रोल करना चाहती है, खासतौर पर इंटरनेशनल मीडिया को.
जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र में भारतीय मिशन के आधिकारिक ट्विटर हैंडल ने कुछ ट्विटर हैंडल्स की एक लिस्ट ट्वीट की है. लिस्ट के साथ कहा गया है कि "कश्मीर पर प्रामाणिक जानकारी" के लिए इन ट्विटर हैंडल्स को फॉलो किया जाना चाहिए.
ये सभी ट्विटर हैंडल सरकारी अधिकारियों के हैं. इनमें श्रीनगर के जिला कलेक्टर शाहिद चौधरी और एसएसपी सुरक्षा इम्तियाज हुसैन भी शामिल हैं. घाटी में इंटरनेट के साथ-साथ संचार के सभी साधनों पर रोक लगाई गई है. घाटी में बड़ी संख्या में सुरक्षाबलों की तैनाती की वजह से स्थानीय मीडिया को भी कवरेज करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है.
ऐसे में कश्मीर को लेकर ज्यादातर जानकारी इन दो ट्विटर हैंडल के माध्यम से ही आ रही है. ज्यादातर वीडियो और तस्वीरें यही दो ट्विटर हैंडल (विशेष रूप से इम्तियाज हुसैन) पोस्ट कर रहे हैं, जिनमें बताया जा रहा है कि कश्मीर में हालात सामान्य हैं. इसके विपरीत, विरोध की खबरें या तो अस्वीकृत हैं या पूरी तरह से खारिज कर दी गई हैं.
सोमवार देर शाम कुछ स्थानीय पत्रकार स्टोरी फाइल करने के लिए कुछ लैंडलाइन फोन का इस्तेमाल कर पाए, हालांकि, बाद में उन्हें भी बंद कर दिया गया. यहां तक कि कश्मीर में डाक सेवाओं को भी बंद कर दिया गया है.
इस बीच खबर ये भी है कि बीते 12 अगस्त, सोमवार को भी सौरा में विरोध प्रदर्शन हुए. श्रीनगर के एक पत्रकार के मुताबिक, सोमवार को ईद की नमाज के बाद इलाके में कुछ जगहों पर विरोध प्रदर्शन हुए.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)