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गांवों का कायाकल्प करने के लिए केंद्र और राज्य सरकार हर साल एक-एक ग्राम पंचायत को लाखों रुपए देते हैं. इन पैसों से वहां, पेंशन, पानी, साफ सफाई, पक्के निर्माण होने चाहिए. गांव में सिंचाई की सुविधा हो ये भी प्रधान का काम है. आप के घर का पानी सड़क पर न बहे, ये भी पंचायत का काम है, लेकिन ज्यातादर लोग इस बारे में जानते नहीं है.
उत्तर प्रदेश में कुल 59,163 ग्राम पंचायतें हैं, प्रदेश में 16 करोड़ लोग गांव में रहते हैं. 14वें वित्त, मनरेगा और स्वच्छ भारत मिशन के वार्षिक औसत निकाला जाए, तो एक पंचायत को 20 लाख से 30 लाख रुपए मिलते हैं. ये आंकड़े आपको बताने इसलिए जरूरी हैं, क्योंकि इन्हीं पैसों से आपके लिए पानी, घर के सामने की नाली, आपकी सड़क, शौचालय, स्कूल का प्रबंधन, साफ-सफाई और तालाब बनते हैं.
पूरे भारत में इस समय ग्राम स्वराज अभियान चल रहा है, जिसके तहत ग्रामीणों को न सिर्फ सरकारी योजनाओं के बारे में बताया जा रहा है, बल्कि उन्हें उनके अधिकार भी बताए जाते हैं. अगर आप को जानकारी होगी, तो आप न सिर्फ प्रधान से बैठक में पूछ पाएंगे, बल्कि आरटीआई के जरिए सरकार से भी सवाल कर सकते हैं.
प्रतापगढ़ जिले के शिवगढ़ ब्लॉक के भिखनापुर गांव की विमला देवी बताती हैं, "हमें तो न ग्राम प्रधान कुछ बताते हैं और कोई दूसरा. पांच साल में प्रधान बदल जाते हैं, लेकिन हम जैसे गरीबों के लिए कुछ नहीं होता है. प्रधान अपने जानने वाले लोगों को ही बताते हैं.”
वहीं फैजाबाद जिले के बहराएं गांव के राकेश दुबे बताते हैं, "ग्राम पंचायत में ऐसी बहुत सी योजनाएं हैं, जिनके बारे में न तो प्रधान ग्रामीणों को बताते हैं और न ही लोगों को इनके बारे में पता चलता है. जैसे कि गांव में पशुओं के लिए चरागाह की व्यवस्था किसी भी ग्राम पंचायत में नहीं होती है. ऐसी और भी बहुत सी योजनाएं हैं, जिनके बारे में लोगों को पता नहीं होता है."
मध्य प्रदेश के रीवा जिले के जतरी गांव के धीरेन्द्र सिंह कहते हैं, "हमारे यहां पंचायत में सरपंच होते हैं, लेकिन कभी कोई किसी योजना के बारे में नहीं बताता है, अगर हम लोगों को पता हो कि कौन कौन से काम पंचायत को करने हैं तो हम भी सरपंच से पूछ सकते हैं.''
ग्राम पंचायत में जितनी भी कच्ची-पक्की सड़कों का निर्माण होता है, सभी ग्राम प्रधान को ही देखने होते हैं, साथ ही पानी निकासी के ड्रेनेज की भी व्यवस्था भी करनी होती है.
इसमें ग्राम पंचायत की जिम्मेदारी होती है कि ग्रामीणों के पशुओं के पीने के पानी की व्यवस्था करने की जिम्मेदारी होती है.
ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों के पास पशुपालन कमाई का एक जरिया होता है, लेकिन पशुपालकों को दूध बिक्री की समस्या होती है. इसलिए पंचायत स्तर पर दूध बिक्री केंद्र व डेयरी की व्यवस्था होनी चाहिए. पशुपालन के लिए जानकारी, उनका टीका और उनका उपचार कराना भी पंचायती राज्य के अंतर्गत रखा गया है ताकि पशुपालन ज्यादा फायदेमंद हो.
किसानों की फसलों की सिंचाई के लिए सरकारी ट्यूबवेल की व्यवस्था, नहर से निकली नालियों की साफ-सफाई का काम भी ग्राम पंचायत को देखना होता है.
ग्रामीण क्षेत्र में नालियों की साफ-सफाई, गांव में दवाइयों का छिड़काव, साथ एएनएम, आशा बहू टीका लगा रही हैं कि नहीं, ये भी देखना होता है.
ग्राम पंचायत के सार्वजनिक स्थान, जैसे मंदिर, मस्जिद आदि स्थानों पर लाइट की व्यवस्था करनी होती है, ताकि ऐसे स्थानों पर पर्याप्त उजाला रहे.
पंचायत में अलग-अलग धर्म व समुदाय के लोगों के लिए दाह संस्कार स्थल व कब्रिस्तान की देख रेख भी ग्राम पंचायत को करनी होती है. कब्रिस्तान की चाहरदीवारी का निर्माण भी ग्राम प्रधान को कराना होता है.
गांवों में खेती-किसानी को बढ़ावा देने के लिए समय-समय पर कृषि गोष्ठी करानी होती है, ताकि किसानों को नई जानकारियां मिलती रहें.
अगर कोई किसान कृषि क्षेत्र में नया प्रयोग करता है, तो उसे प्रोत्साहित करना होता है, जिससे दूसरे किसान भी उनसे जानकारी ले सकें.
गांव में बच्चों को बेहतर शिक्षा देने के लिए, समय-समय पर जागरूकता रैली निकालने, घर-घर जाकर लोगों को शिक्षा का महत्व समझाना, ताकि वो अपने बच्चों को विद्यालय भेजें.
बच्चों के लिए खेल के मैदान का इंतजाम करना व खेल कूद से सम्बंधित सामान की व्यवस्था करना. कई प्रकार की प्रतियोगिता कराकर बच्चों में खेल और पढाई की भावना को प्रोत्साहित करना.
स्वच्छता अभियान को आगे बढ़ाना, गांव में सार्वजनिक शौचालय बनाना व उनका रख-रखाव करना. जिनके घर में शौचालय का निर्माण हो गया है, उन्हें शौचालय प्रयोग करने के लिए प्रेरित करना और लोगों को स्वच्छता अभियान का महत्व समझाना.
गांव को हरा-भरा बनाने के लिए गांव की सड़कों और सार्वजनिक स्थान पर पेड़ लगाना और दूसरों को प्रोत्साहित करना, साथ ही उसका उनका रख रखाव करना.
बेटियों को बढ़ावा देने के लिए बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ स्कीम को आगे बढ़ाना, जिससे लोग अपनी बेटियों को स्कूल भेजें.
ग्राम पंचायत में जन्म-मृत्यु, विवाह आदि का रिकॉर्ड रखना, जिससे जनगणना जैसे कामों में आसानी आ जाए. इसके बारे में प्रशासन को समय-समय पर सूचित करना होता है.
शिक्षा के अधिकार के तहत एक से लेकर आठवीं तक बच्चों की शिक्षा की मुफ्त व्यवस्था करना.
गांव में किसी धर्म या समुदाय में लड़ाई-झगड़े न हो, ऐसा माहौल बनाना, झगड़ों को सुलझाना व दोस्ताना माहौल पैदा करना.
ग्राम पंचायत स्तर पर बच्चों, किशोरियों व गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य की जिम्मेदारी आंगनबाड़ी कर्मियों की होती है, वो काम कर रही हैं कि नहीं, सभी को पोषाहार मिल रहा है कि नहीं ये सब देखने की जिम्मेदारी ग्राम प्रधान की होती है.
मनरेगा योजना के तहत मछली पालन को प्रोत्साहित करने के लिए तालाबों की खुदाई ग्राम पंचायत के कार्यों में शामिल किया गया है. अगर किसी ग्रामीण क्षेत्र में नदियां हैं, तो उनका संरक्षण व मछली पालन भी ग्राम पंचायत के कार्यों में शामिल किया गया.
उत्तर प्रदेश में पंचायती राज के बारे में जानकारी के लिए http://panchayatiraj.up.nic.in/ पर क्लिक करें, जबकि पूरे देश की जानकारी चाहिए तो http://www.panchayat.gov.in/ क्लिक करें.
(दिवेंद्र सिंह की ये रिपोर्ट गांव कनेक्शन से ली गई है.)
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