Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019India Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019पीएम नरेंद्र मोदी की गोद में बिखर गया बनारस का जयापुर गांव

पीएम नरेंद्र मोदी की गोद में बिखर गया बनारस का जयापुर गांव

जयापुर के लोगों की नाराजगी है कि मोदी ने जिस तेजी से उनके गांव को अपनाने का ऐलान किया, उसी तेजी से वो इसे भूल गए.

द क्विंट
भारत
Updated:
जयापुर गांव की एंट्री पर बने विश्राम स्थल का नजारा. (फोटो: द क्विंट/रौशन जयसवाल)
i
जयापुर गांव की एंट्री पर बने विश्राम स्थल का नजारा. (फोटो: द क्विंट/रौशन जयसवाल)
null

advertisement

बनारस के जयापुर गांव के लोग पीएम नरेंद्र मोदी को गैर-जिम्मेदार कहने लगे हैं.

जयापुर के लोगों की नाराजगी है कि मोदी ने जिस तेजी से उनके गांव को अपनाने का ऐलान किया, उसी तेजी से वो इस गांव को भूल गए. वहीं स्थानीय प्रशासन की मानें, तो पीएम मोदी ने कुछ वक्त पहले वाराणसी के एक दूसरे गांव नागेपुर को आदर्श ग्राम योजना के तहत गोद ले लिया है.

आपको याद दिला दें कि जयापुर वही गांव है, जिसे पीएम मोदी ने 7 नवंबर, 2014 को ‘सांसद आदर्श गांव योजना’ के तहत गोद लेने का ऐलान किया था और कहा था कि वे इस गांव को एक मॉडल गांव बनाएंगे, जिसमें भविष्य की झलक दिखा करेगी.

लेकिन जिस तेजी से जयापुर में काम किया गया और गांव की तस्वीर को बदला गया, दो साल में वह उसी स्थिति में वापस पहुंच चुका है. गांव के लोग कहते हैं कि लापरवाही के चलते किसी सरकारी योजना का जो हाल होता है, वैसा ही हाल इस वक्त जयापुर का है.

कई प्रशिक्षण केंद्र बनाए गए थे जयापुर में, जिनकी हालात अब खराब है. (फोटो: द क्विंट/रौशन जयसवाल)

मोदी की गोदी का असर

  • शुरुआत जयापुर में प्रवेश के वक्त बने प्रतीक्षालय से करते है, जहां लगीं ज्यादातर कुर्सियां टूट चुकी हैं. डाक विभाग की ओर से लगीं इन कुर्सियों के बारे में क्षेत्रीय लोगों का कहना है कि वे कमजोर थीं, इसलिए टूट गईं.
  • स्वच्छ भारत अभियान के तहत गांव में 400 शौचालय बनाए गए थे, जिनमें 16 बायो-टॉयलेट भी थे. अब इनमें से 20 फीसदी ही इस्तेमाल किए जाने की स्थिति में हैं और महिलाएं अभी भी खुले में शौच के लिए मजबूर हैं.
  • जयापुर में बसाए गए ‘अटल नगर’ की भी हालत खराब है. यहां न तो सड़क है और न ही बिजली की तारें बिछाई गईं.
  • सिलाई ट्रेनिंग केंद्र से दो बैच ट्रेनिंग ले चुके हैं. किसी को रोजगार नहीं मिला. वहीं कालीन प्रशिक्षण केंद्र पर ताला लग चुका है.
  • गांव में बना किसान कॉन्फ्रेंस रूम अब तक सिर्फ एक बार ही इस्तेमाल के लिए खोला गया.
  • एलईडी के जरिए रौशनी की बात करने वाली मोदी सरकार को ये जान लेना चाहिए कि पीएम मोदी के गोद लिए गांव में शाम होते ही अंधेरा पसर जाता है. गांव में 150 सोलर स्ट्रीट लाईट तो लगीं, लेकिन उनकी बैट्रियां चोरी हो गईं.
  • गांव में विकास के नाम पर लगाई गई 500 मीटर टाइल सड़क अब उखड़ चुकी है.
  • गांव में पानी की टंकी लगाने का प्रस्ताव मंजूर किया गया था. लेकिन आज तक बात पंप हाउस से आगे नहीं बढ़ पाई है. गांव में कुल 60 हैंडपंप हैं, जिनमें से 25 खराब हैं.
बड़ी मुश्किल से गांव में यह 500 मीटर की टाइल बेस्ड सड़क बनी थी, जो अब तक आधी से ज्यादा उखड़ चुकी है. (फोटो: द क्विंट/रौशन जयसवाल)
किसी बच्चे को गोद लेने का मतलब होता है कि उस बच्चे की परवरिश पूरी होने तक उसके लिए जिम्मेदार होना. लेकिन पीएम मोदी शायद इस बात में विश्वास नहीं रखते. तभी तो उन्होंने हमारे गांव को अनाथ बना दिया है.
<b>दिलीप कुमार गुप्ता, जयापुर ग्रामवासी</b>
16 बायो-टॉयलेट भी लगाए गए थे. अब इनमें से 20 फीसदी ही इस्तेमाल होने की हालत में हैं. (फोटो: द क्विंट/रौशन जयसवाल)

इस गांव से पंचायत चुनाव हारी BJP

यही वजह रही कि वाराणसी के 8 ब्‍लॉकों में से एक अराजीलाईन ब्‍लॉक में पड़ने वाला जयापुर गांव में हुए हालिया पंचायत चुनावों में पंचायत सदस्य का प्रत्याशी अरुण सिहं उर्फ रिंकू बीएसपी समर्थित प्रत्याशी गुड्डू तिवारी से हार गया.

जयापुर गांव के मुखिया यानी ग्राम प्रधान श्रीनारायण पटेल ने माना कि गांव में कई खामियां हैं. फिर भी उन्होंने इन खामियों को नजरअंदाज करने की सलाह दी.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

Published: 26 May 2016,03:59 PM IST

Read More
ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT