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जीएसटी कलेक्शन के मोर्चे पर लगातार दूसरे माह सरकार को बड़ा झटका लगा है. नवंबर में जीएसटी की वसूली सबसे खराब रही है. नवंबर में ही 200 आइटम पर जीएसटी की दरें कम की गई थीं और उसका असर अब साफ नजर आ रहा है.
पहली जुलाई से जीएसटी लागू हुई थी और उसी महीने सबसे ज्यादा वसूली हुई. इसके बाद से लगातार जीएसटी वसूली उस स्तर पर नहीं पहुंच पाई है. जुलाई में 92,283 करोड़ रुपये कलेक्शन पहुंचने के बाद सरकार को उम्मीद थी कि जैसे जैसे जीएसटी के बारे में जानकारी बढ़ेगी तब वसूली बढ़ेगी. लेकिन अब तो उल्टा हो गया है.
ये आंकड़े वित्तमंत्रालय की नींद उड़ाने के लिए काफी है. वित्तमंत्रालय के मुताबिक 25 दिसंबर तक मिली जानकारी के मुताबिक नवंबर में 80,808 करोड़ रुपए की वसूली हो पाई है.
नवंबर में सेंट्रल जीएसटी के तहत 13,089 करोड़ रुपये, राज्यों की जीएसटी के तहत 18,650 करोड़ और आईजीएसटी में 41,270 करोड़ रुपये की वसूली हुई है. सेस में 7,798 करोड़ रुपये आए.
वसूली में कमी की बड़ी वजह 200 आइटम में जीएसटी दरें कम करने को माना जा रहा है. 23 अक्टूबर को जीएसटी काउंसिल ने इन आइटम को 28 परसेंट के दायरे से हटाकर 18 परसेंट के स्तर पर ला दिया था. नई दरें 15 नवंबर से लागू हुई थीं, मतलब इसका असर अगले महीने की वसूली पर भी दिखेगा. बिहार के वित्तमंत्री सुशील मोदी ने कहा था कि दरों में कमी से वसूली में 20 हजार करोड़ रुपये की कमी मुमकिन है.
अक्टूबर में जब जीएसटी में करीब 15 परसेंट की कमी आई थी, तो सरकार ने इसके लिए ई-वे बिल में देरी और रिवर्स चार्ज मेकेनिज्म को जिम्मेदार ठहराया था. 16 दिसंबर को जीएसटी काउंसिल ने ई-वे बिल लागू करने को मंजूरी दे थी.
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