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ई वे बिल जरूरी बनाने का फैसला फिलहाल टल गया है. सरकार ने एक राज्य से दूसरे राज्य की माल ढुलाई के लिए ई-वे बिल को तकनीकी दिक्कतों की वजह से टाल दिया है. गुड्स एंड सर्विस टैक्स (जीएसटी) के प्रावधानों के तहत एक राज्य से दूसरे राज्य में माल ढुलाई के लिए ई-वे बिल 1 फरवरी से जरूरी होना था.
सेंट्रल बोर्ड ऑफ एक्साइज एंड कस्टम ने ट्वीट किया, ‘‘शुरुआती तकनीकी दिक्कतों के कारण ई वे बिल निकालने में हो रही परेशानी हो रही है और इसी वजह से इसके फिलहाल टालने का फैसला लिया गया है. इसे जरूरी बनाने की तारीख आगे दोबारा बताई जाएगी.”
ई-वे बिल का 14 दिनों का परीक्षण 17 जनवरी से शुरू हुआ था. इस अवधि के दौरान ट्रांसपोर्टरों ने जीएसटी नेटवर्क पोर्टल से 2.84 लाख ईवे बिल निकाले था.
जीएसटी के ई-वे बिल में आ रहीं तकनीकी खामियों को सरकार ने भी माना है. यही वजह है कि अब सरकार ने इसे लागू किए जाने की तारीख बढ़ाने का फैसला किया है. वित्त मंत्रालय ने ट्वीट कर कहा है कि ई-वे बिल तैयार करने में आ रहीं शुरूआती तकनीकी खामियों के चलते सरकार ने ई-वे बिल जेनरेशन के ट्रायल फेज को बढ़ाने का फैसला किया है.
सरकार ने ट्वीट कर कहा है कि यह राज्य के भीतर और राज्यों के बीच लागू होगा. सरकार का कहना है कि इस संबंध में इस कानून के पूर्णतया लागू करने की तारीख का जल्द एलान किया जाएगा.
ई वे बिल ट्रायल रन के तौर पर 16 जनवरी को लागू हुआ था. बिल के ट्रायल रन के करीब 15 दिन बाद, 1 फरवरी से इस बिल को अनिवार्य किया जाना तय हुआ था. इसी दिन आम बजट 2018 भी पेश किया गया.
अब से पहले तक 50 हजार से अधिक का माल मंगाने के लिए कई तरह के फार्म होने के कारण व्यापारियों को समस्याओं का सामना करना पड़ रहा था. व्यापारियों को इस समस्या से निजात दिलाने के लिए सेंट्रल ई-वे बिल व्यवस्था बनाई गई थी. 16 जनवरी से इसे वैकल्पिक रूप से चलाया जा रहा है अब यह पूरी तरह से लागू हो गया है. हालांकि, तकनीकि खामियों की वजह से इसका क्रियान्वयन कुछ वक्त के लिए टल गया है.
जीएसटी एक्ट के तहत गुरुवार सुबह से सभी 17 राज्यों में लागू किया गया ई-वे बिल पहले ही दिन फेल हो गया. लागू होने के बाद पहले दिन सुबह से ही सरकारी पोर्टल पर बिल जेनरेट करने में लोगों को समस्याएं झेलनी पड़ी.
जानकारी के मुताबिक, गुरुवार सुबह से ही ई-वे बिल जेनरेट करने में ट्रांसपोर्टरों को समस्या हुई. ऑनलाइन पोर्टल www.ewaybillgst.gov.in सुबह से ही या तो चला ही नहीं या स्लो रहा, जिसकी वजह से माल का परिवहन बाधित रहा. पचास हजार रुपये या इससे ज्यादा के सामान के लिए एक फरवरी से ई-वे बिल लेना जरूरी कर दिया गया था. मगर गुरुवार सुबह से ही सर्वर डाउन होने से ई-बिल जनरेट ही नहीं हो सके. इसकी वजह से कंपनियों को काफी परेशानी हुई. न तो कहीं से माल आ पाया और न ही माल कहीं भेजा जा सका.
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