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देश के कई राज्यों में कोरोना मरीजों के इस्तेमाल में आने वाली दवाई रेमडेसिविर की कमी हो रही है. गुजरात में भी कोरोना के आंकड़े बढ़ने के बाद रेमडेसिविर की मांग बढ़ गई है. इसकी भयंकर कमी चल रही है. लेकिन बीजेपी दफ्तरों में इस ड्रग को बांटा जा रहा है. गुजरात बीजेपी के प्रमुख सीआर पाटिल ने सूरत में इस ड्रग के 5000 इंजेक्शन बंटवाने का ऐलान किया. कमी के बावजूद बीजेपी नेता के पास ये दवा इतनी मात्रा में कैसे आई, इसका जवाब मुख्यमंत्री के पास भी नहीं है.
सूरत गुजरात में कोरोना से सबसे ज्यादा प्रभावित शहरों में से एक है. रेमडेसिविर गंभीर रूप से संक्रमित लोगों के इलाज में इस्तेमाल की जाती है.
पाटिल के ऐलान के बाद सूरत बीजेपी दफ्तर ने 10 अप्रैल को रेमडेसिविर के इंजेक्शन बांटने शुरू कर दिए. इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, सूरत दफ्तर से कुल 900 इंजेक्शन बांटे गए.
इस पूरे प्रकरण में सबसे चौंकाने वाली बात ये है कि मुख्यमंत्री विजय रूपाणी इस बात का जवाब नहीं दे पाए कि सीआर पाटिल के पास इंजेक्शन कैसे आए. राज्य में भयंकर कमी के बावजूद जब पाटिल ने ऐलान किया तो मीडिया ने रूपाणी से सवाल किया.
मुख्यमंत्री से ऐसा जवाब मिलने के बाद गुजरात के एक अखबार दिव्य भास्कर ने इस खबर को फ्रंट पेज पर जगह दी लेकिन थोड़ा अलग तरह से. अखबार ने सीआर पाटिल का नंबर ही बड़े-बड़े फॉन्ट में छाप दिया और अपने पाठकों से कहा कि अगर रेमडेसिविर का इंजेक्शन चाहिए तो पाटिल से संपर्क करें.
सीआर पाटिल के ऐलान के बाद सोशल मीडिया के साथ-साथ विपक्ष भी उनकी आलोचना कर रहा है. लोग सवाल उठा रहे हैं कि जब इस ड्रग की सप्लाई सरकार नियंत्रित करती है तो पाटिल के पास इतनी तादाद में रेमडेसिविर इंजेक्शन कैसे आ गए.
कांग्रेस नेता अर्जुन मोढवाडिया ने कहा, "राज्य की एजेंसियों को जांच करनी चाहिए कि बीजेपी प्रमुख के पास इतना स्टॉक कैसे आया जब लोग एक इंजेक्शन के लिए लंबी लाइनों में लग रहे हैं."
गुजरात कांग्रेस के अध्यक्ष अमित चावड़ा ने भी जांच की मांग की और पाटिल पर 'इंजेक्शन की जमाखोरी कर कृत्रिम कमी पैदा करने' का आरोप लगाया.
रेमडेसिविर इंजेक्शन की कमी की खबरों के बाद अब केंद्र सरकार ने इसके निर्यात पर बैन लगा दिया है. सभी घरेलू मैन्यूफैक्चर्स को कहा गया है कि अपनी कंपनी की आधिकारिक वेबसाइट पर इस दवा के स्टॉक से जुड़ी जानकारी शेयर करें. इसके अलावा सरकार ने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि इन स्टॉक को वेरिफाई भी करें ताकि इसकी जमाखोरी और कालाबाजारी पर रोक लगाई जा सके.
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