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गुजरात के भुज स्थित श्री सहजानंद गर्ल्स इंस्टीट्यूट में छात्रों के साथ बदसलूकी के मामले की जांच महिला आयोग की टीम कर रही है. आरोप है कि इन छात्राओं को इनरवियर उतारने के लिए इसलिए मजबूर किया गया, जिससे वो साबित कर सकें कि उन्हें पीरियड्स नहीं हो रहे थे.
जांच टीम ने अबतक मामले में 68 में से 44 लड़कियों से बात कर आयोग को सूचना दी. वहीं, इस मामले में इंस्टीट्यूट के तीन महिला स्टाफ को निलंबित कर दिया गया है.
मामला मीडिया में आने के बाद महिला आयोग ने संज्ञान लेकर जांच के आदेश दिए. साथ ही एफआईआर दर्ज कराई गई.
मामले की जांच कर रही टीम ने बताया,
जांच कर रही टीम ने बताया कि लड़कियों को इस बात से समस्या नहीं थी कि वह भोजन कक्ष में नहीं खाएंगी और बिस्तर पर नहीं सोएंगी. उन्हें समस्या प्रवेश प्रक्रिया में पीरियड्स जांच के तरीके को लेकर थी. टीम ने बताया कि इस प्रक्रिया के लिए एक रिजस्टर भी बनाया गया था, जिसमें सारी चीजें लिखी जाती थी.
इस मामले में सीएम रूपाणी ने कहा, सरकार ने घटना को गंभीरता से लिया है और गृह मंत्रालय के अलावा शिक्षा विभाग को सख्त कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए हैं. FIR भी दर्ज हो गई है.
इस मामले में चार लोगों पर आपराधिक मुकदमा दर्ज किया गया है. भुज के डिप्टी एसपी ने बताया है कि इंस्टीट्यूट के तीन अधिकारी और हॉस्टल के सुपरवाइजर पर केस हुआ है.
द टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, ये मामला तब शुरू हुआ जब इंस्टिट्यूट के हॉस्टल के बाहर एक इस्तेमाल किया हुआ सैनिटरी पैड मिला था. कॉलेज प्रशासन को शक हुआ कि किसी लड़की ने इसे बाथरूम की खिड़की से फेंका होगा. हॉस्टल वॉर्डन ने प्रिंसिपल को इसकी जानकारी दी और सभी लड़कियों को समन किया गया.
लड़कियों को स्वामीनारायण संप्रदाय के नियम याद दिलाने के बाद, प्रिंसिपल ने लड़कियों से कहा कि वो खुद कबूल लें कि ये किसने किया है. दो लड़कियों ने मानने के बाद भी प्रिंसिपल को जब यकीन नहीं हुआ, तो एक-एक कर सभी लड़कियों को वॉशरूम ले जाया गया और उन्हें चार महिला टीचर्स के सामने कपड़े उतराने को कहा गया.
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