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गुजरात में सवर्णों को आर्थिक आधार पर आरक्षण, पटेलों ने किया विरोध

सरकार ने दावा किया कि इस नए कोटे की व्यवस्था ओबीसी और SC-ST के आरक्षण में कटौती किए बिना की गई है

प्रशांत चाहल
भारत
Updated:
(फोटो: पीटीआई)
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(फोटो: पीटीआई)
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गुजरात की BJP सरकार ने शुक्रवार को सूबे में सवर्ण लोगों को आर्थिक आधार पर 10 प्रतिशत आरक्षण देने का ऐलान किया.

गुजरात की मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल की मौजूदगी में राज्य के मंत्री विजय रुपाणी ने इस आरक्षण की घोषणा करते हुए कहा कि राज्य में अब अगड़ी जातियों के लोगों को भी आरक्षण का लाभ दिया जाएगा. सरकार सामान्य वर्ग के आर्थिक आधार पर पिछड़े लोगों को इस आरक्षण का लाभ देगी. इसके दायरे में सालाना 6 लाख से कम आय वाले परिवारों को ही रखा जाएगा.

रुपाणी ने कहा कि आरक्षण के लिए 1 मई को अधिसूचना जारी की जाएगी. साथ ही, अगर जरूरत पड़ी तो इस मामले में सरकार कानूनी लड़ाई लड़ने को तैयार है.

सरकार ने इस ऐलान के साथ यह भी साफ कर दिया कि इस नई व्यवस्था के लिए ओबीसी और एससी-एसटी के आरक्षण में कोई कटौती नहीं की गई है. यह व्यवस्था अलग से की गई है.
इस व्यवस्था से सभी सवर्ण जातियों को आरक्षण का लाभ मिलेगा. उन परिवारों को लाभ मिलेगा, जो आर्थिक रूप से पिछड गए हैं. बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह की अध्यक्षता में हुई बैठक में यह फैसला लिया गया.
<b> विजय रुपाणी, मंत्री, गुजरात सरकार</b>

इसमें पटेल समाज का लाभ: सरकार

बताया जा रहा है कि राज्य में लंबे वक्त से चल रहे पाटीदार आंदोलन के चलते यह फैसला लिया गया है. राज्य के पाटीदार समाज के युवा नेता हार्दिक पटेल ने राज्य में पटेल समुदाय के लिए आरक्षण की मांग उठाई थी, जिसके बाद पाटीदार समुदाय के लोगों ने आरक्षण की मांग करते हुए पूरे राज्य में आंदोलन चलाया था.

आंदोलन में हिंसा भड़कने के बाद हार्दिक पटेल पर राष्ट्रद्रोह का अभियोग लगाया गया और उन्हें गिरफ्तार कर सूरत में लाजपोर जेल में बंद कर दिया गया था.
पटेल आंदोलन ने पिछले साल हिंसक रूप ले लिया था. (फोटो: पीटीआई)
15 फीसदी आबादी
गुजरात की कुल जनसंख्या में पटेल समाज की है

पटेल समाज गुजरात के सामान्य वर्गों में गिना जाता है. गुजरात सरकार का दावा है कि इस आरक्षण से अब पटेल समाज के लोगों को भी आरक्षण का लाभ मिलेगा.

यह पटेल आंदोलन के साथ धोखा है

पाटीदार अनामत आंदोलन के नेताओं ने BJP सरकार के इस फैसले का खंडन किया है और इसे पटेल समाज के साथ एक धोखा बताया है. उनका कहना है कि पाटीदार समाज ने ओबीसी आरक्षण की मांग की थी. लेकिन सवर्णों को यह आरक्षण देकर BJP सरकार ने साफ कर दिया कि वो वोट बैंक की राजनीति कर रही है.

अनामत मांगते हुए लड़के पटेल समाज के शहीद हुए. राष्ट्रद्रोह के मुकदमें हमने झेले. और आरक्षण सवर्णों को दे दिया. हमारे आंदोलन का मजाक उड़ा था गुजरात के सवर्णों ने. कहा था कि वे आरक्षण के खिलाफ हैं. अब उन्हें इस आरक्षण को ठुकरा देना चाहिए. बाकी रही बात पटेल समाज की, तो हम इसके खिलाफ राष्ट्रव्यापी आंदोलन करेंगे.
<b> अश्विन भाई सिरोठिया, नेता, पटेल अनामत आंदोलन</b>
सरकार ने पटेल समुदाय को भ्रमित करने के लिए यह ‘लॉलीपॉप’ दिया है. हमें हरियाणा के जाटों की तरह आरक्षण चाहिए. वही हमारी मूल मांग थी. हमारी हमेशा से ही ओबीसी कोटा के तहत आरक्षण की मांग रही.
<b> बृजेश पटेल, प्रवक्ता, पाटीदार अनामत आंदोलन समिति</b>
पटेल अब ‘सरदार पटेल स्वाभिमान मंच’ के तहत करेंगे आंदोलन.

पाटीदार आंदोलन के नेताओं ने नए आरक्षण की बात सामने आने पर अपने आंदोलन को नए सिरे से शुरू करने का ऐलान किया है. आंदोलनकारियों का कहना है कि ‘सरदार पटेल स्वाभिमान मंच’ के नाम से वे इस आंदोलन की शुरुआत करेंगे. जम्मू-कश्मीर से इस आंदोलन की शुरुआत होगी.

कानून भी इसे चैलेंज करता है

कानून और संविधान के जानकार बताते हैं कि गुजरात में फिलहाल 49.5 प्रतिशत आरक्षण लागू है. 10 प्रतिशत अतिरिक्त आरक्षण देने से यह बढ़कर 59.5 प्रतिशत हो जाएगा. ऐसे में यह सवाल उठ रहा है कि अब राज्य में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के उलट 50 प्रतिशत से ज्यादा आरक्षण हो जाएगा.

वहीं, कुछ लोगों का कहना है कि यदि सुप्रीम कोर्ट इसे खारिज भी कर देता है तो सरकार के पास यह कहने के लिए तर्क होगा कि उन्होंने प्रयास किया था.

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Published: 29 Apr 2016,02:02 PM IST

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