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'द इंडियन एक्सप्रेस' ने 28 मार्च को प्रकाशित अपनी रिपोर्ट में बताया कि नासिक पुलिस ने आर्मी की शिकायत के आधार पर पूनम अग्रवाल के खिलाफ केस दर्ज किया है. उनके खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने (दस साल तक की जेल) और आपराधिक अतिक्रमण (ऑफिशियल सिक्रेट एक्ट की धारा 3 (जासूसी) और धारा 7 के तहत मामले दर्ज किए गए हैं.
द क्विंट ने 24 फरवरी को एक वीडियो पब्लिश किया था, जिसमें जवानों के साथ हो रहे बुरे बर्ताव के बारे में बताया गया था. सेना ने हाल ही में एक सर्कुलर जारी किया था, जिसमें कहा गया कि 'सहायक' का दुरुपयोग न किया जाए. वीडियो में जवानों की पहचान को जाहिर नहीं किया गया था. लेकिन वीडियो में दिखाए गए जवानों में से एक की मौत होने के बाद द क्विंट ने 3 मार्च को इस स्टोरी को हटा दिया था, ताकि बाकी जवानों को कोई ऑफिसर परेशान न करें. वीडियो हटाने से पहले जांच के बिंदुओं को भी ध्यान में रखा गया.
स्टोरी की शुरुआत सेना के एक जवान द्वारा 31 जनवरी को फेसबुक पर पोस्ट की गई सेल्फी वीडियो से होती है, जिसमें लांसनायक यज्ञ प्रताप सिंह सिस्टम में 'सहायकों' के दुरुपयोग के बारे में बताता है. ये वीडियो वायरल हो जाता है.
वीडियो वायरल होने के बाद देवलाली से एक रिटायर ऑफिसर (कर्नल सुखवंत सिंह) क्विंट की इनवेस्टीगेशन एसोसिएट एडिटर पूनम अग्रवाल को ट्विटर के जरिए संपर्क करते हैं. ऑफिसर, पूनम से देवलाली पहुंचकर सहायकों की असल स्थिति खुद देखने के लिए कहते हैं. इसके बाद वो पूनम को एक शख्स के संपर्क में रहने के लिए बोलते हैं, जो कारगिल वॉर के अनुभवी सिपाही और ऑपरेशन पराक्रम के हीरो हैं. ये सोर्स पूनम को स्टोरी के बारे में गाइड करता है कि कैसे सिस्टम में सहायक का दुरुपयोग हो रहा है.
24 फरवरी को स्टोरी पब्लिश होने के बाद पूनम नई दिल्ली में आर्मी पीआरओ को वीडियो के साथ एक मेल भेजती हैं और आर्मी से निम्नलिखित सवालों के जवाब के लिए अनुरोध करती हैं.
आर्मी पीआरओ ने 28 फरवरी को मेल का जवाब भेजा. उन्होंने जवाब में कहा कि इस बारे में रक्षा मंत्रालय के पास एक प्रस्ताव लंबित पड़ा है. हालांकि स्टोरी पर उनका कहना था कि किसी भी स्तर पर अपने कर्मचारी या सैनिक के साथ दुर्व्यवहार करना आर्मी एक्ट के तहत अपराध है.
28 फरवरी को लांस नायक रॉय मैथ्यू के भाई ने पूनम से फेसबुक मैसेंजर पर संपर्क किया और बताया कि वो मैथ्यू से किसी तरह का संपर्क नहीं कर पा रहे हैं.
मैथ्यू ने 25 फरवरी को अपनी पत्नी को कॉल किया था, उसके बाद उनका कोई अता-पता नहीं चल पाया. परिवार वालों ने पूनम से मदद मांगी और उन कॉनटेक्ट की डिटेल दी जिन्हें मैथ्यू रिपोर्ट करता था. इनमें कर्नल अनिल जेठानिया थे. एक मार्च को, पूनम ने कर्नल से बात करने के लिए काफी कोशिशें कीं, लेकिन उनका नंबर पहुंच से बाहर रहा. इसके बाद कुछ दिनों तक मैथ्यू का परिवार पूनम के संपर्क में रहा.
2 मार्च को मैथ्यू का कजन पूनम को कॉल करता है और पता चलता है कि मैथ्यू का शव मिला है. उसकी बॉडी देवलाली छावनी के एक ऐसे बैरक में लटकी मिलती है, जहां किसी का आना-जाना नहीं था. बॉडी डिकंपोज हो चुकी होती है, जिससे अंदाजा लगाया गया कि चार दिन पहले उसकी मौत हो चुकी थी. मैथ्यू के पिता फोन पर पूनम से बात कर ये आरोप लगाते हैं कि उनके बेटे की सेना ने हत्या की है.
3 मार्च को मैथ्यू की बहन बताती हैं कि 1 मार्च को पिता के पास कर्नल जेठानिया का फोन आया और वे गायब हुए व्यक्ति की रिपोर्ट लिखवाने से मना करने लगे, जबकि 2 मार्च को मैथ्यू का शव मिला.
एडवांस पोस्टमार्टम रिपोर्ट में बताया गया कि गनर रॉय मैथ्यू की मौत अप्राकृतिक है, जो कि लटकने के कारण asphyxiation (सांस रुक जाने) की वजह से हुई. पूनम को 22 मार्च को पूछताछ के लिए बुलाया गया. उन्होंने पुलिस को सभी जानकारी और सबूत दिए, साथ ही वीडियो स्टोरी की रॉ फुटेज भी दी, जिससे जवानों के उत्पीड़न के बारे में पता चलता है.
द क्विंट को कोई FIR या फॉर्मल कम्यूनिकेशन नासिक पुलिस की पुलिस की तरफ से नहीं मिली है.
द क्विंट के पास नासिक में पूनम की पूछताछ होने के बाद कोई फॉर्मल अपडेट नहीं है.
अब पूनम ने कर्नल अनिल जेठानिया के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है. अधूरे रह गए सवालों के जबाव पूछे हैं.
इस स्टोरी को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए लिंक पर क्लिक करें:
Gunner Roy Mathew’s Death: The Quint Asks the Unanswered Questions
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