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गुपकार समझौता है क्या? जिस पर शाह-मुफ्ती कर रहे वार-पलटवार

वार-पलटवार की ये खबर आप तभी समझ पाएंगे जब आपको पता होगा कि आखिर गुपकार समझौता क्या है

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गुपकार समझौते को नया रूप देने के लिए महबूबा मुफ्ती समेत तमाम बड़े नेताओं की बैठक
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गुपकार समझौते को नया रूप देने के लिए महबूबा मुफ्ती समेत तमाम बड़े नेताओं की बैठक
(फोटो: AlteredByQuint)

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जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने मंगलवार को कहा कि बीजेपी पीपुल्स अलायंस फॉर गुपकार डिक्लेरेशन (पीएजीडी) को राष्ट्र-विरोधी के रूप में पेश करने के लिए इसे 'गुपकार गैंग' कह रही है. पीडीपी अध्यक्ष ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह पर पलटवार किया. शाह ने सिलसिलेवार ट्वीट करते हुए कांग्रेस के गुपकार गठबंधन को समर्थन पर हमला बोला था. लेकिन वार-पलटवार की ये खबर आप तभी समझ पाएंगे जब आपको पता होगा कि आखिर गुपकार समझौता क्या है.

जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाए जाने के बाद हिरासत में लिए गए तमाम दिग्गज नेताओं की रिहाई होने के बाद तमाम स्थानीय दलों के नेताओं ने केंद्र के खिलाफ नया मोर्चा खोलने का फैसला किया. इसके लिए 15 अक्टूबर को फारूक अब्दुल्ला के घर पर एक बैठक बुलाई गई थी, जिसमें गुपकार समझौता-2 (Gupkar Declaration II) पर सभी दस्तखत हुए.

गुपकार समझौते के प्रमुख लक्ष्य है आर्टिकल 370 की बहाली और इस समझौते के तहत गठबंधन के अध्यक्ष हैं नेशनल कॉन्फ्रेंस के चीफ फारुक अब्दुल्ला, साथ ही इसकी उपाध्यक्ष हैं पीडीपी की प्रमुख महबूबा मुफ्ती.

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क्या है गुपकार समझौता?

पहले गुपकार शब्द का मतलब आपको समझा देते हैं. दरअसल गुपकार एक सड़क का नाम है, जिस सड़क पर नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला का घर स्थित है. बैठक उनके घर पर हुई थी, इसीलिए इसे गुपकार समझौते का नाम दे दिया गया. अब अगर गुपकार समझौते को समझना है तो इसके लिए एक साल पहले जाना होगा. पिछले साल यानी 2019 में अगस्त महीने की शुरुआत में ही जम्मू-कश्मीर में हलचल दिखनी शुरू हो गई.

कश्मीर में अचानक कई हजार जवानों की तैनाती होने लगी. साथ ही तमाम पर्यटकों के लिए एडवाइजरी जारी हो गई और कहा गया कि वो जल्द से जल्द कश्मीर से वापस लौट जाएं. अमरनाथ यात्रा को भी रोक दिया गया. इसके बाद जम्मू-कश्मीर के राजनीतिक दलों ने कहीं न कहीं ये अंदाजा लगा लिया कि कुछ तो बड़ा होने वाला है.

4 अगस्त 2019 को हुई बैठक

आर्टिकल 370 हटाने के प्रस्ताव पेश होने से ठीक एक दिन पहले यानी 4 अगस्त 2019 को करीब 8 स्थानीयत दलों ने फारूक अब्दुल्ला के गुपकार रोड स्थित घर पर एक बैठक बुलाई. इस बैठक में एक प्रस्ताव पास किया गया, जिसे गुपगार समझौते का नाम दिया गया.

इस बैठक में सभी दलों ने ये फैसला किया था कि वो जम्मू-कश्मीर की स्वायत्ता और उसे मिले स्पेशल दर्जे को बचाने के लिए एकजुट रहेंगे. बताया गया था कि इस समझौते पर हस्ताक्षर करने वालों में नेशनल कॉन्फ्रेंस, पीडीपी, कांग्रेस, जम्मू-कश्मीर पीपल्स कॉन्फ्रेंस और आवामी नेशनल कॉन्फ्रेंस प्रमुख दल थे.

क्या है गुपकार समझौता-2?

इस समझौते को लेकर 22 अगस्त 2020 को जम्मू-कश्मीर के नेताओं ने बैठक बुलाई थी. इसमें पिछले गुपकार समझौते में जो भी चर्चा हुई थी उसे एक नया रूप देने को लेकर बातचीत हुई. इस गुपकार समझौते में कहा गया है कि हम सभी लोग आर्टिकल 370, जम्मू-कश्मीर के संविधान और राज्य के दर्जे की वापसी के लिए समर्पित हैं. किसी भी हालत में राज्य का बंटवारा मंजूर नहीं होगा. इस समझौते में कहा गया है कि 5 अगस्त 2019 को जो फैसले लिए गए वो असंवैधानिक थे. इससे जम्मू-कश्मीर के लोगों को उनके अधिकारों से दूर किया गया और मूल पहचान को खत्म करने की कोशिश की गई.

15 अक्टूबर को हुई इस बैठक में मौजूदा राजनीतिक हालात और आर्टिकल 370 हटाए जाने को लेकर आगे की रणनीति पर चर्चा हुई.

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Published: 17 Nov 2020,10:03 PM IST

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