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काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद (Gyanvapi Mosque) सर्वे और वीडियोग्राफी के मामले में आखिरकार गुरुवार को सिविल जज सीनियर डिविजन रवि कुमार दिवाकर ने अपना फैसला सुना दिया. छह दिनों से चल रही कोर्ट की सुनवाई गुरुवार समाप्त हो गई. कोर्ट ने स्पष्ट तौर पर ज्ञानवापी मस्जिद के तहखाने से लेकर पुरे मस्जिद के वीडियो सर्वे का आदेश दिया है. साथ ही अधिवक्ता अजय कुमार मिश्र को ही कमिश्नर बने रहने पर सहमति जताई है.
कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की दलीलों के मद्देनजर दो स्पेशल कमिश्नर विशाल सिंह और अजय प्रताप सिंह को 17 मई तक अपनी रिपोर्ट कोर्ट में पेश करने को कहा है. ये दोनों अधिवक्ता कमिश्नर अजय मिश्रा के साथ पूरे सर्वे में रहेंगे.
काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद प्रकरण में वादी के अधिवक्ता अजय कुमार मिश्र ने कहा कि वाराणसी सिविल जज सीनियर डिविजन रवि कुमार दिवाकर ने जो आदेश दिया है, विपक्ष उसमें सहयोग करे. कहा कि अदालत ने सुबह 8 बजे से दोपहर 12 बजे तक सर्वे और वीडियोग्राफी करने का समय निर्धारित किया है.
इसमें विपक्ष के अधिवक्ता, अधिवक्ता कमिश्नर की टीम, सदस्य और अंजुमन इंतजामिया कमेटी के सदस्य के साथ मुकदमे से जुड़े लोग ही मौके पर जाकर सर्वे कार्य पूरा कराएंगे. साफ किया कि अदालत के आदेश में स्पष्ट उल्लेख है कि जो भी सर्वे और वीडियोग्राफी कार्य में बाधा पहुंचाएगा उसके खिलाफ गंभीर धाराओं में मुकदमा पंजीकृत किया जाएगा.
विपक्ष के अधिवक्ता अभय नाथ यादव ने कहा की अदालत ने जो फैसला दिया है यह विधिक नहीं है. उन्होंने कहा कि पक्ष जिस आराजी संख्या की बात कर रहा है वह उस स्थान पर मौजूद नहीं है. उन्होंने 1937 के एक आदेश का हवाला देते हुए कहा कि वक्फ की जमीन का सर्वे और वीडियोग्राफी नहीं कराया जा सकता है. ऐसे में स्पष्ट है कि जज साहब किसी दबाव में आकर इस तरह का फैसला सुना रहे हैं.
अंजुमन इंतजामिया कमेटी के संयुक्त सचिव एस एम यासीन ने कहा कि देर शाम को अपने अधिवक्ताओं से बात करने के पश्चात ही स्पष्ट कर पाएंगे की ऊपरी अदालत में पिटीशन दायर करेंगे या नहीं. उन्होंने कहा कि अदालत का आदेश सर्वमान्य है. हम इस आदेश का आदर करते हैं, लेकिन अपने अधिवक्ताओं से आगे के लिए विधिक राय लेने के बाद ही हम इस मामले में कोई कदम उठाएंगे.
काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद सर्वे और वीडियो ग्राफी मामले में 6 दिन के बाद गुरुवार दोपहर 12 बजे के बाद आदेश की घोषणा होनी थी. सुबह से ही कचहरी के आसपास लोगों का जमावड़ा शुरू हो गया था. मौके की नजाकत को देखते हुए भारी मात्रा में पुलिस बल तैनात कर दी गई थी. लेकिन, 12 से 2 बजे तक परिसर में कोई हलचल दिखाई नहीं दी. इस बीच कई अफवाहें भी उड़ीं.
काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद प्रकरण में गुरुवार दोपहर फैसला आते ही वाराणसी कचहरी परिसर हर-हर महादेव के जयघोष से गूंज उठा. हिन्दू पक्ष ने कोर्ट के फैसले के बाद कहा कि यह हमारी जीत और मुस्लिम पक्ष की हार है.
कोर्ट ने कमिश्नर अजय मिश्रा और दो स्पेशल कमिश्नर विशाल सिंह और अजय प्रताप सिंह को 17 मई तक अपनी रिपोर्ट कोर्ट में पेश करने के लिए कहा है. साथ ही यह भी आदेश दिया है कि अगर तहखाने का ताला नहीं खुलता है तो ताले को तोड़ कर सर्वे कार्य किया जाए. अगर इसके बीच में कोई आता है तो उसके खिलाफ मुकदमा करने का भी आदेश कोर्ट ने दिया है.
काशी विश्वनाथ मंदिर ज्ञानवापी मस्जिद प्रकरण में गुरुवार को आने वाले फैसले के मद्देनजर वाराणसी कमिश्नरेट की पुलिस सुबह से ही न्यायालय परिसर के अंदर और बाहर भारी संख्या में तैनात की गई थी. हालांकि, भीड़ भाड़ अधिक होने पर दोपहर 1:30 बजे के आसपास मुख्य भवन को पूरी तरीके से खाली करा दिया गया था. ताकि कोई अनहोनी न हो.
अदालत ने अपने आदेश में कहा है कि कमीशन की कार्रवाई पूरी कराने की व्यक्तिगत जिम्मेदारी वाराणसी के डीएम और पुलिस कमिश्नर की होगी. डीजीपी और चीफ सेकेट्री मॉनिटरिंग करेंगे, ताकि जिले के अधिकारी कमीशन की कार्रवाई को टालने का कोई बहाना न बना सकें.
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