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वाराणसी के ज्ञानवापी-श्रृंगार गौरी केस (Gyanvapi-Shringar Gauri case) मामले में शुरू हुआ सर्वे का काम पांच घंटों के बाद 26 जुलाई तक रोक दिया गया. सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (24 जुलाई) को सर्वे पर अगले आदेश तक रोक लगाते हुए मस्जिद पक्ष को दो दिन का समय दिया है.
ज्ञानवापी-श्रृंगार गौरी केस में जिला अदालत ने 21 जुलाई को ज्ञानवापी के वजू स्थल को छोड़कर पूरे परिसर की ASI सर्वे कराने के प्रार्थनापत्र को स्वीकार किया था. जिला जज अजय कृष्ण विश्वेश ने सर्वे कराने के आवेदन को मंजूर करते हुए अनुमति दी थी.
उन्होंने अपने फैसले में ASI डायरेक्टर को निर्देशित किया था कि वैज्ञानिक विधि से पता लगाने की कोशिश करें की जो निर्माण अभी है वह किसी मंदिर को तोड़कर तो नहीं खड़ा किया गया है. ASI को यह रिपोर्ट अदालत में जमा करने का 4 अगस्त तक का समय दिया गया है.
साल 2022 में कमीशन की कार्रवाई में वजू खाने के सर्वे के दौरान एक शिवलिंग मिलने का दावा किया गया था, जिसके वैज्ञानिक विधि से जांच और कार्बन डेटिंग की मांग भी की गई थी. इसका मामला सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट में पेंडिंग है. अब कोर्ट ने वजूखाने को छोड़कर पूरे परिसर के ASI सर्वे का आदेश दिया है, इससे हिंदू पक्ष उत्साहित है.
ASI, जिला प्रशासन और हिंदू पक्ष के वादी और वकीलों की एक टीम ज्ञानवापी परिसर में 24 जुलाई की सुबह 7 बजे दाखिल हुई. दावा है कि सर्वे करीब पांच घंटे तक चला, इस दौरान सिर्फ नाप लेने और मशीनों को लगाने का काम हुआ, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सर्वे के कार्य को रोक दिया गया.
मुस्लिम पक्ष यानी अंजुमन इंतजामियां मसाजिद कमेटी ने वाराणसी जिला जज के ASI से सर्वे के आदेशों का बहिष्कार करते हुए 24 जुलाई को हुए सर्वे से दूरी बनाए रखी. वाराणसी जिला जज के सर्वे के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट गई कमेटी को 2 दिन की राहत मिली है.
हिंदू पक्ष के दलीलों की मानें तो इस बार ASI सर्वे में वैज्ञानिक तकनीक से हर बिंदु पर जांच हो पाएगी.
हिंदू पक्ष के वकील सुभाष नंदन चतुर्वेदी ने कहा, "पिछली बार साधारण कमीशन था. इस बार सर्वे कमीशन है. इसमें ASI जमीन के बाहर, दीवारों पर और जमीन के अंदर भी ग्राउंड पेनिट्रेटिंग रडार सिस्टम से सर्वे करेगा. इससे अंदर- बाहर, एक-एक इंच एक-एक बिंदु पर सारे पहलुओं की जांच ASI करेगा."
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