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"प्लान कर हमला", मदरसे पर क्यों चला बुलडोजर, हल्द्वानी हिंसा पर DM ने क्या कहा?

Haldwani Violence: "घटना में अब तक 2 लोगों की मौत हो गई है और 100 से ज्यादा पुलिसकर्मी घायल हुए हैं"

क्विंट हिंदी
भारत
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<div class="paragraphs"><p>हल्द्वानी हिंसा पर डीएम ने क्या कहा, घायल पुलिसकर्मियों ने भी बयां किया भयावह मंजर</p></div>
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हल्द्वानी हिंसा पर डीएम ने क्या कहा, घायल पुलिसकर्मियों ने भी बयां किया भयावह मंजर

फोटो- क्विंट हिंदी

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उत्तराखंड (Uttarakhand) के नैनीताल जिले के हल्द्वानी (Haldwani) में 8 फरवरी को अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई के दौरान हुई हिंसा के बाद राज्य में हाई अलर्ट जारी किया गया है. वहीं, हिंसा को लेकर जिले की डीएम वंदना सिंह ने 9 फरवरी को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बताया कि हिंसा कब, क्यों और किस वजह से हुई?

डीएम वंदना सिंह ने कहा कि, "अगर डिमोलिशन के लिए थोड़ा और वक्त दिया जाता तो प्रशासन का मानना है कि उन्हें और समय मिल जाता और वे बड़े पैमाने पर हिंसा करते."

डीएम वंदना सिंह ने कहा, "हाईकोर्ट के आदेश के बाद हल्द्वानी में जगह-जगह अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई की गई. सभी को नोटिस और सुनवाई के अवसर दिए गए. कुछ ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया, कुछ को समय दिया गया, जबकि कुछ को समय नहीं दिया गया. जहां समय नहीं दिया गया, वहां पीडब्ल्यूडी और नगर निगम की ओर से अतिक्रमण हटाने का अभियान चलाया गया. ये किसी विशेष संपत्ति को टारगेट करके की गतिविधि नहीं थी."

डीएम ने कहा, " ये अभियान काफी लंबे समय से हल्द्वानी के अंतर्गत सरकारी संपत्तियों को बचाने के लिए किया जा रहा है. इसी क्रम में खाली संपत्ति में दो संरचनाएं हैं, जो धार्मिक संरचना के रूप में रिजस्टर नहीं है और न ही इन्हें कोई मान्यता हासिल है. कुछ लोग इस संरचना को मदरसा कहते हैं और कुछ लोग पूर्ण नमाज स्थल कहते हैं. इसको हमने खाली कराया."

डीएम वंदना सिंह ने कहा,

"हमने डिमोलिशन अभियान जारी रखने का फैसला किया क्योंकि परिसंपत्तियों पर कोई स्टे नहीं था, इस संपत्ति पर किसी व्यक्ति का अधिकार नहीं था. अलग-अलग जगह पर अतिक्रमण हटाने की कानूनी प्रक्रिया चल रही है और इसलिए यहां भी ऐसा किया गया. हमारी टीमें और संसाधन मूव हुई और किसी को उकसाया या नुकसान नहीं पहुंचाया गया जिससे जनसंपत्ति की हानि हमारी टीमों (पुलिस और प्रशासन) के जरिए हो. अभियान शांतिपूर्ण ढंग से शुरू हुआ. पूरी प्रक्रिया ठीक से होने के बावजूद आधे घंटे के भीतर एक बड़ी भीड़ ने हमारी नगर निगम टीम पर पहला हमला पत्थरों से किया."

पुलिस और नगर निगम के अधिकारियों पर हमले का जिक्र करते हुए डीएम कहती हैं, "ये योजना बनाई गई थी कि जिस दिन डिमोलिशन अभियान चलाया जाएगा उस दिन पुलिस पर हमला किया जाएगा. हमने पत्थर फेंकने वाली पहली भीड़ को तितर-बितर कर दिया और दूसरी भीड़ जो आई उसके पास पेट्रोल से भरे बोतल थे उसमें उन्होंने आग लगा कर फेंका. तब तक हमारी टीम ने कोई बल प्रयोग नहीं किया था."

पुलिस और सुरक्षा बल के इस्तेमाल को लेकर डीएम वंदना सिंह ने कहा,

"हमारी सबसे ज्यादा फोर्स थाने को बचाने के लिए लगाई गई थी. बाकी जगहों पर पुलिस ने खुद को बचाने के लिए बल प्रयोग किया. हमारी प्राथमिकता थी कि हम हल्द्वानी के दूसरे क्षेत्र में हिंसा की घटनाएं न फैलने दें."
वंदना सिंह, डीएम, नैनीताल

पुलिसकर्मियों ने बताई आंखों-देखी

डिमोलिशन साइट पर गए एक पुलिसकर्मी ने बताया, "हम जैसे ही वहां डिमोलिशन के लिए पहुंचे, वहां लोग चारों तरफ से पत्थर फेंकने लगे. काफी मुश्किल से हम उस जगह पहुंच पाए जहां डिमोलिशन होना था. वहां हमने देखा लोग हर गली से निकलकर आ रहे हैं और हमें घेर रहे हैं.हम लोग टारगेट थे. हमारे जवान को पीटा गया, एक की पसली टूट गई. हमारे पेट्रोलिंग की कार जला दी गई."

एक चोटिल महिला पुलिसकर्मी ने कहा, "हम भागकर एक घर में घुस गए, हालात बहुत ज्यादा खराब थे. जिस घर में हम घुसे थे उसे आग के हवाले कर दिया गया. बहुत मुश्किल से बचकर आए हैं. हर ओर से लोग आ रहे थे. जिस इंसान ने हमें बचाया भीड़ ने उसे भी परेशान किया. हम पर शीशे फेंके गए.

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