advertisement
उत्तर प्रदेश में पारंपरिक उद्योगों में से एक हस्तशिल्प और हथकरघा उद्योग है. श्रम प्रधान क्षेत्र होने के कारण और इस प्रकार रोजगार के अनेक अवसर प्रदान करते हुए, यह राज्य के सामाजिक-आर्थिक ढांचे को बनाए रखने में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है. पूरे देश में रहने वाले बुनकरों में एक चौथाई भाग उत्तर प्रदेश के रहने वाले हैं.
आज क्विंट हिंदी आपके बीच कासगंज के कस्बा गंजडुंडवारा के बुनकरों की कहानी लेकर आया है. बिजली से परेशान बुनकर अब अपने हथकरघा कबाड़ी को बेचने को मजबूर हैं.
बिजली की दरों और आपूर्ति से परेशान बुनकर अब अपने हथकरघे बेच रहे हैं या धंधा बंद कर कोई और धंधे की शुरुआत कर रहे हैं. यहां के बुनकर मुख्य रूप से बिजली की ऊंची दरें, आपूर्ति, मिलने वाले सरकारी अनुदान से परेशान हैं. इनका कहना है कि....
बुनकर बताते हैं कि हमारे गंजडुंडवारे का अंगौछा, लुंगी, जांघिया कपड़ा मशहूर है. हम लोग ऑर्डर पर और भी तरीके का माल तैयार कर देते थे. लेकिन, अब हम लोगों को ऑर्डर नहीं मिल पा रहा है. वो बताते हैं कि ....
2006 में जब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव थे उस समय प्रति मशीन 75 रुपये फिक्स चार्ज था. लेकिन, इस समय ऐसा कुछ नहीं है. अब हम लोगों का बिल भी नहीं निकल पा रहा है. अब किसी का बिल 20 लाख आ रहा है तो किसी का बिल 9 लाख आ रहा है. मीटरगेज रेलवे लाइन के समय हमारे यहां से माल ढुलाई करके अन्य शहरों में कम कीमत पर पहुंच जाता था. जब से रेलवे लाइन ब्रॉडगेज में परिवर्तित हुई है, तब से ये सुविधा भी बंद कर दी गयी है.
इस उद्योग के कारोबारी ही नहीं बल्कि इसमें काम करने वाले श्रमिक और कारीगरों के सामने रोटी और रोजी का संकट गहराया हुआ है.
दूसरे श्रमिक बताते हैं कि कोरोना के समय हम लोगों के पास खाने के लिए खाना तक नहीं था. हम यहां पर कपड़ों को फोल्ड करने का काम करते हैं. हमें भी तनख्वाह काम के अनुसार मिलती है. कोरोना के समय पर हम भूखे तक रहे हैं. मालिक लोगों से पंद्रह हजार का कर्जा तक हो गया है. अब सोचते हैं मकान बनाने में या खेत पर मजदूरी कर लें तो मालिक कहते हैं पहले कर्जा चुकाओ तब कहीं जाना. हमारे पास इतने पैसे नहीं हैं, जो हम उनकी उधारी के पैसे चुका पाएं. इस समय हम तो बंधुआ मजदूर बन चुके हैं.
कासगंज के गंजडुंडवारा में 100 साल से ज्यादा का हो चुका इस कारोबार का कोई वारिस नहीं मिल रहा है. अधिकतर कारोबारी के बच्चे कहते हैं कि...
इस पूरे मामले पर कासगंज के बिजली विभाग के एक्सईएन ने बताया कि अभी हम लोगों को इन बुनकरों से कैसे बिल वसूलना है इसके कोई आदेश नहीं आये हैं .इसलिए हम लोग अभी बिल जारी नहीं कर रहे हैं. गंजडुंडवारा के बुनकरों के ऊपर बिल बकाया चल रहे हैं.
कारोबारी नईम अख्तर बताते हैं कि हम लोग अपनी मांगों में बिजली के एक मुश्त दर की मांग करने के लिए जिला अधिकारी से लेकर के उत्तर प्रदेश सरकार के मुख्यालय तक के चक्कर लगा रहे हैं. हमारी कोई सुनने वाला नहीं है. सब कह देते हैं जल्द ही करवा देंगे. हम कोशिश कर रहे है, फिलहाल हमारी कोई नहीं सुन रहा है.
क्षेत्रीय जन प्रतिनिधियों को लेकर समाज के लोगों में भयंकर गुस्सा है. इस कारोबार से जुड़े लोग हताश होकर बताते हैं.
सांसद से लेकर के विधायक, चेयरमैन कोई भी कुछ नहीं कर रहा है. ये लोग केवल चुनाव के समय वोट मांगने के लिये आते हैं. लंबी चौड़ी बातें करते हैं और निकल जाते हैं. चुनाव के बाद नजर तक नहीं आते हैं. आखिर हम अपना दर्द किसे दिखाएं और किससे कहें.
जिले के जिम्मेदार अधिकारी आते रहे और जाते रहे, लेकिन इन बुनकरों की सुध लेने वाला कोई नहीं मिला. इस समय जनपद की मौजूद जिलाधिकारी हर्षिता माथुर ने बताया कि बुनकर लोग बिजली की समस्या को लेकर मिलते रहे हैं, जिसको लेकर बिजली विभाग के अधिकारियों को पूर्व में निर्देशित करते रहे हैं. एक बार बुनकर बिजली बिल माफी को लेकर मिले थे. कह रहे थे शासन ने बिजली बिल माफी के लिए आदेश जारी किए हैं, लेकिन मैंने बिजली विभाग के अधिकारियों से मिलकर बुनकरों को बताया था ऐसा कोई आदेश नहीं आया है. ये मामला बिजली विभाग के रेवेन्यू से जुड़ा हुआ है, इसमें हम तो कुछ कर नहीं सकते हैं.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)