Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019India Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019फांसी बाद पोस्टमार्टम में इन बातों का ध्यान रखते हैं एक्सपर्ट  

फांसी बाद पोस्टमार्टम में इन बातों का ध्यान रखते हैं एक्सपर्ट  

फांसी मामले में पोस्टमार्टम में फारेंसिक एक्सपर्ट किन बातों का ध्यान रखते हैं?

आईएएनएस
भारत
Published:
फांसी मामले में पोस्टमार्टम में फारेंसिक एक्सपर्ट किन बातों का ध्यान रखते हैं?
i
फांसी मामले में पोस्टमार्टम में फारेंसिक एक्सपर्ट किन बातों का ध्यान रखते हैं?
फोटो:iStock

advertisement

निर्भया के चारों हत्यारों को शुक्रवार तड़के तिहाड़ जेल में फांसी के फंदे पर लटका दिया गया. फांसी निर्धारित वक्त यानी तड़के साढ़े पांच बजे दे दी गई. करीब ढाई घंटे बाद यानी आठ बजे चारों के शव अलग-अलग एंबुलेंस से दीन दयाल उपाध्याय अस्पताल में पहुंचाए गए. यहीं चारों का पोस्टमार्टम किया जा रहा है. फांसी मामले में पोस्टमार्टम में फारेंसिक एक्सपर्ट किन बातों का ध्यान रखते हैं?

पोस्टमॉर्टम के लिए बने फॉरेंसिक साइंस एक्सपर्ट्स पैनल के चेयरमैन डॉ. बीएन मिश्रा ने बताया कि,

चारों शव का पोस्टमार्टम करने में करीब तीन से चार घंटे का वक्त लगेगा. अमूमन इस तरह फांसी पर लटकाये गये एक मुजरिम के शव के पोस्टमॉर्टम में एक घंटे का वक्त तो लगता ही है. पोस्टमॉर्टम प्रक्रिया की वीडियो और फोटोग्राफी भी कराई जाती है.”
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

जेल में किसी मुजरिम को फांसी दिये जाने से मिली मौत वाले शव के पोस्टमॉर्टम के दौरान फॉरेंसिक साइंस क्या कुछ अलग देखते हैं? आत्म-हत्या वाले फांसी केस से हटकर? इस सवाल के जबाब में डॉ. बीएन मिश्रा ने कहा,

“गर्दन की नली (हड्डी) किस तरह से टूटी है? गर्दन में रस्सी का फंदा कहां पर फंसा पाया गया है? कानून और ट्रेंड जल्लाद द्वारा फांसी का फंदा लगाने से टूटी गले की हड्डी के टूटने का स्टाइल एकदम अलग होता है. अमूमन जब इंसान खुद गले में फंदा डालकर आत्महत्या करता है, तो उसके गले की स्थिति एकदम अलग होती है. कानूनन फांसी पर चढ़ाये गए मुजरिम (इंसान) के शव का पोस्टमॉर्टम करने के दौरान ‘ब्रेन स्टेम विद इंस्टेंट’ भी गहराई से जांचा-परखा जाता है.”

निर्भया के मुजरिमों के शवों का पोस्टमॉर्टम करने से चंद मिनट पहले हुई बातचीत में डॉ. बीएन मिश्रा ने बताया,

“दरअसल जब किसी इंसान को जल्लाद फंदे पर टांगकर फांसी लगाता है, तो ऐसी स्थिति में गर्दन की हड्डी एक झटके से टूटती है. जिससे सांस आने में अचानक आई दिक्कत के चलते लटकाये गए शख्स को मौत के पहले चरण में मुर्छा आती है. चंद सेकेंड बाद ही वो मर जाता है.”

फांसी जेल मैनुअल और कानून के हिसाब से ही दी गई? पोस्टमॉर्टम करने वाला पैनल या फॉरेंसिक साइंस विशेषज्ञ कैसे साबित करते हैं? पूछे जाने पर डॉ. मिश्रा ने कहा,

“यह साबित करने के लिए पोस्टमॉर्टम के दौरान मृत शरीर के भीतर मौजूद दिल को गहराई से परखा जाता है. अगर मौत के पंद्रह मिनट या फिर उससे भी 4-5 मिनट ज्यादा देर तक शरीर के अंदर अगर दिल धड़कता हुआ साबित होगा, तभी विधि विज्ञान (फॉरेंसिक साइंस) की नजर में यह मौत कानून (फांसी) की नजर में सही साबित होगी”

पैनल में डॉ. बीएन मिश्रा के साथ चार अन्य डॉक्टर भी शामिल किए गए हैं. यह सभी डॉक्टर डीडीयू अस्पताल फॉरेंसिक साइंस विभाग में ही तैनात हैं. पैनल में शामिल किए जाने वाले दूसरे चार डॉक्टर्स में डॉ. वीके रंगा, डॉ. जतिन वोडवाल, डॉ. आरके चौबे और डॉ. अजित शामिल हैं.
चारों शव का पोस्टमार्टम शुक्रवार सुबह करीब 9 बजे शुरू हो गया. इसकी पुष्टि पैनल चेयरमैन डॉ. बीएन मिश्रा (भूपेंद्र नारायण मिश्रा) ने की.

यह भी पढ़ें: निर्भया के दोषियों ने फांसी के पहले आखिरी पलों में क्या-क्या किया?

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: undefined

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT