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निर्भया के चारों हत्यारों को शुक्रवार तड़के तिहाड़ जेल में फांसी के फंदे पर लटका दिया गया. फांसी निर्धारित वक्त यानी तड़के साढ़े पांच बजे दे दी गई. करीब ढाई घंटे बाद यानी आठ बजे चारों के शव अलग-अलग एंबुलेंस से दीन दयाल उपाध्याय अस्पताल में पहुंचाए गए. यहीं चारों का पोस्टमार्टम किया जा रहा है. फांसी मामले में पोस्टमार्टम में फारेंसिक एक्सपर्ट किन बातों का ध्यान रखते हैं?
पोस्टमॉर्टम के लिए बने फॉरेंसिक साइंस एक्सपर्ट्स पैनल के चेयरमैन डॉ. बीएन मिश्रा ने बताया कि,
जेल में किसी मुजरिम को फांसी दिये जाने से मिली मौत वाले शव के पोस्टमॉर्टम के दौरान फॉरेंसिक साइंस क्या कुछ अलग देखते हैं? आत्म-हत्या वाले फांसी केस से हटकर? इस सवाल के जबाब में डॉ. बीएन मिश्रा ने कहा,
निर्भया के मुजरिमों के शवों का पोस्टमॉर्टम करने से चंद मिनट पहले हुई बातचीत में डॉ. बीएन मिश्रा ने बताया,
फांसी जेल मैनुअल और कानून के हिसाब से ही दी गई? पोस्टमॉर्टम करने वाला पैनल या फॉरेंसिक साइंस विशेषज्ञ कैसे साबित करते हैं? पूछे जाने पर डॉ. मिश्रा ने कहा,
पैनल में डॉ. बीएन मिश्रा के साथ चार अन्य डॉक्टर भी शामिल किए गए हैं. यह सभी डॉक्टर डीडीयू अस्पताल फॉरेंसिक साइंस विभाग में ही तैनात हैं. पैनल में शामिल किए जाने वाले दूसरे चार डॉक्टर्स में डॉ. वीके रंगा, डॉ. जतिन वोडवाल, डॉ. आरके चौबे और डॉ. अजित शामिल हैं.
चारों शव का पोस्टमार्टम शुक्रवार सुबह करीब 9 बजे शुरू हो गया. इसकी पुष्टि पैनल चेयरमैन डॉ. बीएन मिश्रा (भूपेंद्र नारायण मिश्रा) ने की.
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