advertisement
हरियाणा के मेवात के रहने वाले 47 साल के जाकिर हुसैन के बेटे आसिफ की 16 मई को हत्या की गई. लेकिन हत्या के आरोपियों के समर्थन में उनके गांव और आसपास के इलाकों में महापंचायत का आयोजन कराया गया. इस पर पिता जाकिर का कहना है- 'मैं अपने बेटे के लिए न्याय की मांग करता हूं. उन्होंने बुरी तरह से मेरे बेटे की हत्या की है. उसकी हड्डियां टूट गई थीं और उसका चेहरा खराब कर दिया गया. हत्यारों को फांसी की सजा होनी चाहिए. हमारे देश में ये सब हो रहा है, बतौर परिवार हमारे लिए ये बहुत ज्यादा चिंता की बात है.'
महापंचायत में करणी सेना, भारत माता वाहिनी औ स्थानीय बीजेपी नेता शामिल रहे. ये लोग आसिफ की हत्या को उचित ठहराते रहे और अनर्गल आरोप लगाकर भड़काऊ बयानबाजी करते रहे.
आसिफ के परिवार ने सुना है कि इन महापंचायतों में क्या बात हुई. व्हाट्सएप पर इस घटना को लेकर कई तरह के वीडियो वायरल हो रहे हैं. आसिफ का परिवार इस चर्चा से परेशान और दुखी है. उनका कहना है कि अभी हमें संयम बरतने की जरूरत है.
एसपी ने क्विंट से बात करते हुए बताया कि- 'किसी ने भी महापंचायत या फिर अमुपाल सिंह के खिलाफ कोई शिकायत दर्ज नहीं कराई गई. अभी कोरोना संक्रमण का दौर है और हम हालातों की जांच कर रहे हैं.'
जाकिर वीडियो दिखाते हुए बोलते हैं कि 'आपने एकदम सही सुना, ये भड़काकर नफरत फैलाना चाहते हैं.' इस तरह के कई वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं. एक वीडियो के फेसबुक पर 29,000 से ज्यादा व्यूज हो गए हैं.
जाकिर और आसिफ के चाचा हनीफ का कहना है कि वो जानते हैं कि ये महापंचायत क्यों आयोजित हो रही हैं.
आसिफ के परिवार वाले इस इंतजार में हैं कि जो लोग आसिफ की हत्या को सही ठहरा रहे हैं उन पर केस दर्ज होगा. वो इस बात का भी इंतजार कर रहे हैं कि हत्या के दूसरे आरोपियों को भी पकड़ा जाएगा. आसिफ के परिवार का कहना है कि अदवानी, भीम, नाथू, बल्ला, ऋषि, सोनू और दूसरे आरोपी अभी भी फरार हैं.
आसिफ के घरवालों के मुताबिक आसिफ जो कि पेशे से बॉडी बिल्डर और जिम ट्रेनर भी था, वो 16 मई की रात सोहना से दवाई लेकर आ रहा था. उसकी गाड़ी का तीन कारों ने पीछा किया, जिसमें करीब 15 लोग बैठे हुए थे.
आसिफ के पिता जाकिर का कहना है कि उनका बेटा, उनके 2 भतीजों रासिद और वासिफ के साथ सोहना से लौट रहा था, तभी ये घटना घटी, उनका आरोप है कि आरोपियों ने साथ मिलकर उनके बेटे पर हमला बोल दिया और उसकी गाड़ी को चारों तरफ से हिट किया.
आसिफ के पिता ने बताया कि उनके बेटे का हाथ और पैर आरोपियों ने तोड़ दिया था. जब उनको आसिफ की बॉडी मिली तो उसके शरीर पर चोट के कई निशान थे. घटना के दूसरे दिन 17 मई को गांव में भारी पुलिस बल तैनात हुई, आसिफ के घरवालों ने कहा कि जबतक आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं होती, तब तक वो उसको नहीं दफनाएंगे. कुछ घंटों के तनाव के बाद आरोपियों की गिरफ्तारी हुई, तब जाकर उसको दफनाया गया.
गांववालों का कहना है कि लड़कों के बीच तीन महीने पहले भी लड़ाई हुई थी. आसिफ के एक पड़ोसी मोहम्मद इलियास ने बताया कि तीन महीने पहले ही इन लोगों के बीच लड़ाई हुई थी, बाद में पुलिस ने आकर दोनों के बीच समझौता कराया था.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)