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किसान हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल (Manohar Lal) का लगातार विरोध कर रहे हैं. 13 अक्टूबर को एक बार फिर किसानों के विरोध की वजह से सीएम मनोहर लाल खट्टर को अपना गोहाना (Gohana) दौरा रद्द करना पड़ा. दरअसल मुख्यमंत्री को गोहाना में भगवान बाल्मीकि से जुड़े एक कार्यक्रम में जाना था. जिसके लिए गोहाना के खेल स्टेडियम में हेलीपैड (Helipad) बनाया गया था.
इस कार्यक्रम की खबर जैसे ही किसानों (Farmers) को मिली तो आसपास के गांव से किसान कार्यक्रम स्थल की तरफ ट्रैक्टर-ट्रॉली लेकर चल दिए. पुलिस ने आगे बैरिगेट्स लगाकर किसानों को रोकने की कोशिश की, लेकिन वो ट्रैक्टर-ट्रॉली से बैरिगेट्स (barricade) तोड़ते हुए आगे बढ़ गए.
इतनी बड़ी संख्या में किसानों के पहंचने और विरोध करने की वजह से मुख्यमंत्री मनोहर लाल को अपना गोहाना दौरा रद्द (Manohar lal program cancel) करना पड़ा. ये पहली बार नहीं है कि किसानों के विरोध की वजह से मुख्यमंत्री को अपना कार्यक्रम रद्द करना पड़ा है. जब से दिल्ली के चारों ओर किसानों ने तीन नए कृषि कानूनों (three new agricultural laws) के खिलाफ धरना शुरू किया है, तब से कई बार सीएम और डिप्टी सीएम के अलावा मंत्रियों को भी कार्यक्रम रद्द करने पड़े हैं.
भारतीय किसान यूनियन (चढ़ूनी) के प्रदेश उपाध्यक्ष सत्यवान नरवाल ने कहा कि किसानों में सीएम को लेकर भारी रोष है. उन्हें यहां की जनता नहीं बुलाना चाहती फिर भी वह बार-बार भाईचारा खराब करने आते हैं. मैं यहां के किसानों का आभारी हूं जो इतनी बड़ी संख्या में आये.
जब किसानों से कहा गया कि सीएम का दौरा रद्द हो गया है और पुलिस अमला भी जाने लगा है तो किसानों ने कहा कि हमें सीएम पर भरोसा नहीं है. वो कई बार पीछे से आ जाते हैं, तो जब तक पूरा पुलिसिया अमला नहीं जायेगा तब तक हम भी नहीं जायेंगे.
एक और किसान नेता अशोक लठवाल ने कहा कि हम तब तक पीछे नहीं हटेंगे जब तक सरकार तीनों कृषि कानूनों को वापस नहीं ले लेती. उन्होंने कहा कि ये कहते हैं कि, कानूनों में काला क्या है. आज किसान का बाजरा एमएसपी से 1100-1200 रुपये कम जा रहा है, जब ये कानून आ जाएंगे तो किसान की फसल किस दाम में बिकेगी. किसानों को ये सरकार बर्बाद करने में लगी हुई है.
दरअसल हरियाणा में किसानों ने बीजेपी-जेजेपी नेताओं के बायकॉट की कॉल दे रखी है, जिसमें भारतीय किसान यूनियन का चढ़ूनी गुट सबसे आगे है. सीएम, डिप्टी सीएम, मंत्री और विधायकों से लेकर दोनों पार्टियों के नेताओं के कार्यक्रमों का किसान पूरे हरियाणा में विरोध करते आ रहे हैं.
ये पहली बार नहीं है जब हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को किसानों के विरोध की वजह से अपने दौरा रद्द करना पड़ा है. इससे पहले भी कई बार किसानों का विरोध प्रशासन और सरकार की तमाम तैयारियों पर भारी पड़ा है. कब-कब और कैसे वो हम नीचे आपको बता रहे हैं.
इस दिन हरियाणा के करनाल में मुख्यमंत्री मनोहर लाल को सरकार द्वारा रखी गई किसान महा पंचायत में शामिल होना था. करनाल सीएम खट्टर का अपना जिला है, वो यहीं के रहने वाले हैं, लेकिन यहां भी वो किसानों के विरोध की वजह से कार्यक्रम नहीं कर पाए थे. किसानों ने करनाल में बनाया गया पूरा पंडाल उखाड़ दिया था और हेलीपैड पर ही विरोध करते रहे थे. इस कार्यक्रम में सीएम तीन नए कृषि कानूनों के फायदे गिनाने वाले थे.
इस दिन सीएम को सोनीपत के गांव आंवली पहुंचना था. किसान पहले ही विरोध का ऐलान कर चुके थे. इसीलिए प्रशासन ने तगड़े इंतजाम किये थे, पुलिस जवानों की 22 कंपनियां लगाई गई थी और 23 ड्यूटी मजिस्ट्रेट तैनात किये गये थे. बावजूद इसके सीएम को अपना दौरा रद्द करना पड़ा था.
मुख्यमंत्री मनोहर लाल को इस दिन रोहतक जाना था. किसानों ने विरोध का ऐलान किया था, इसलिए प्रशासन ने उन्हें चकमा देने के लिए 6 हेलिपैड तैयार करवाए और 1200 पुलिसकर्मियों की ड्यूटी लगाई गई. प्रशासन की इतनी सब तैयारी के बावजूद किसानों ने सारे हेलिपैड घेर लिये और सीएम को दौरा रद्द करना पड़ा.
हरियाणा के डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला (Dushyant Chautala) को जींद का दौरा करना था. किसानों ने इस दौरे का भी विरोध किया, पुलिस ने बैरिगेड्स लगाकर उन्हें रोकने की कोशिश की, लेकिन सारी कोशिशें नाकाम साबित हुईं. इस विरोध की वजह से उपमुख्यमंत्री को अपना दौरा रद्द करना पड़ा.
इस दिन भी करनाल में कार्यक्रम था, जिसमें बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष ओम प्रकाश धनखड़ और खेल मंत्री संदीप सिंह को पहुंचना था. किसानों ने उनके पहुंचने से पहले ही बीजेपी नेताओं का जबरदस्त विरोध किया और बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष के साथ खेल मंत्री भी आधे रास्ते से ही वापस लौट गए.
इस साल की शुरूआत से ही किसान बीजेपी-जेजेपी नेताओं (हरियाणा में बीजेपी-जेजेपी की गठबंधन सरकार है) का विरोध कर रहे हैं. वो तीन नए कृषि कानूनों के विरोध में किसान करीब 11 महीने से दिल्ली के चारों ओर बैठे हैं, सर्दी और गर्मी से लेकर बरसात तक का मौसम किसानों के सिर से गुजरा है लेकिन अभी तक उनकी मांगो का कोई हल नहीं निकल सका है.
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