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हाथरस:HC ने रात में अंतिम संस्कार पर लगाई फटकार,परिवार की 3 मांगें

लखनऊ पीठ ने हाथरस मामले में स्वत: संज्ञान लिया है

विवेक मिश्रा
भारत
Updated:
हाथरस केस में पीड़िता का शव बिना परिवार की मर्जी के रात में जला दिया गया था
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हाथरस केस में पीड़िता का शव बिना परिवार की मर्जी के रात में जला दिया गया था
फाइल फोटो

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हाथरस गैंगरेप और हत्या केस (Hathras Case) की 12 अक्टूबर को हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पीड़ित परिवार के लोगों से पूछताछ की है. साथ ही पीड़ित परिवार की तरफ से कोर्ट में कुछ मांगें भी रखी गईं. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने परिवार की मर्जी के खिलाफ अंतिम संस्कार कराने को लेकर अधिकारियों को फटकार भी लगई है.

कोर्ट ने तय किया है कि अब इस मामले की अगली सुनवाई 2 नवंबर को होगी. बता दें कि इस सुनवाई के लिए पीड़िता का परिवार हाथरस से लखनऊ बेंच कड़ी सुरक्षा के बीच पहुंचा था. हाथरस मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने स्वत: संज्ञान लिया था.

हाथरस मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच के सामने यूपी सरकार का प्रतिनिधित्व करने वाले एडिश्नल एडवोकेट जनरल वी.के. शाही ने कहा-

कोर्ट ने पीड़ित परिवार के लोगों से पूछताछ की है. हमारे उच्च अधिकारियों से भी कोर्ट ने पूछताछ की है. मामला अभी विचाराधीन है. मामले में अगली सुनवाई 2 नवंबर को होगी.
वी.के. शाही, एडिश्नल एडवोकेट जनरल

'सीबीआई की रिपोर्ट को गोपनीय रखा जाए'

पीड़ित परिवार की वकील सीमा कुशवाहा ने कोर्ट में कहा कि पीड़िता का अंतिम संस्कार परिवार की मर्जी से नहीं हुआ. परिवार सुबह अंतिम संस्कार करना चाहता था. सीमा ने आगे कोर्ट से कहा कि-

‘पीड़ित परिवार ने मांग की है कि सीबीआई की रिपोर्ट को गोपनीय रखा जाए. हमारी दूसरी मांग थी कि मामला यूपी से बाहर ट्रांसफर किया जाए और तीसरी मांग यह है कि मामला जब तक पूरी तरह से खत्म नहीं होता तब तक परिवार को सुरक्षा प्रदान किया जाए.
सीमा कुशवाहा, पीड़ित परिवार की वकील

राज्य सरकार के वकील ने कोर्ट में दलील देते हुए कहा कि कानून व्यवस्था बिगड़ सकती थी इसलिए अंतिम संस्कार रात में करना पड़ा. अब सरकार ने कोर्ट से 2 नवंबर तक का समय मांगा है.

कोर्ट ने अफसरों को लगाई फटकार

कोर्ट ने बिना परिवार के सहमति के गुड़िया का अंतिम संस्कार किये जाने से कोर्ट ने नाराजगी जाहिर की और अफसरों को जमकर फटकार लगाई. कोर्ट में सरकार संतोषजनक जवाब नही दे पाई.

सुनवाई से पहले पीड़िता के बड़े भाई ने पत्रकारों को बताया था-

हममें से पांच अदालत में पेश होंगे, प्रशासन ने हमसे पूछा था कि हमारे परिवार के कितने लोग 12 अक्टूबर को सुनवाई के लिए मौजूद होना चाहेंगे. मेरे पिता, माता, बहन, छोटा भाई और मैं कोर्ट जाएंगे.
पीड़िता का भाई
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हाईकोर्ट ने दिए थे बयान दर्ज कराने के निर्देश

हाईकोर्ट ने हाथरस के डिस्ट्रिक्ट जज से यह सुनिश्चित करने के लिए कहा था कि मृतका के परिवार के सदस्य अपने बयान दर्ज करा सकें कि क्या हुआ था. राज्य और जिले के अधिकारियों को भी परिवार के लिए जरूरी सभी मदद और सुरक्षा देने के लिए कहा गया है.

अदालत ने पीड़िता के अंतिम संस्कार के अगले दिन मामले का स्वतः संज्ञान लेते हुए 1 अक्टूबर को कहा था, "हम इस बात की जांच कर रहे हैं कि क्या मृतका और उसके परिवार के सदस्यों के मौलिक अधिकारों का घोर उल्लंघन हुआ है. परिवार के किसी सदस्य की सहमति और मौजूदगी के बिना पीड़िता का देर रात 2.40 बजे अंतिम संस्कार कर दिया गया था.

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Published: 12 Oct 2020,05:13 PM IST

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