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हाथरस केस: पुलिस, प्रशासन और योगी सरकार पर उठे 10 बड़े सवाल

हाथरस केस को लेकर आखिर क्यों हुआ बवाल, पुलिस और सरकार पर उठ रहे सवाल

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हाथरस केस को लेकर आखिर क्यों हुआ बवाल, पुलिस और सरकार पर उठ रहे सवाल
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हाथरस केस को लेकर आखिर क्यों हुआ बवाल, पुलिस और सरकार पर उठ रहे सवाल
(फोटो:PTI)

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हाथरस केस को लेकर कई तरह की थ्योरी अब सामने आने लगी हैं. सोशल मीडिया पर नेताओं से लेकर बाकी तमाम लोग दूसरे राज्यों में हुई रेप और हत्या की घटनाओं की तुलना हाथरस से कर रहे हैं. कुल मिलाकर हाथरस में 20 साल की युवती के साथ जो कुछ भी हुआ उसे छोटा करने की कोशिश हो रही है. लेकिन आज हम आपको बताते हैं कि हाथरस केस में आखिर पुलिस और सरकार पर इतने गंभीर आरोप क्यों लगे. आखिर ऐसा क्या हुआ, जिससे सोशल मीडिया से लेकर नेताओं का जमावड़ा हाथरस में लगना शुरू हुआ. जानिए पुलिस, हाथरस जिला प्रशासन और योगी सरकार पर अब तक लगने वाले 10 बड़े आरोप.

आपको सबसे शुरुआत से बताते हैं कि किन बातों से लोगों का गुस्सा भड़का और फिर सरकार को कई दिनों तक फजीहत झेलनी पड़ी.

  1. सबसे पहले पुलिस पर आरोप लगा कि उसने मामले को गंभीरता से लिया ही नहीं. पीड़िता के भाई ने आरोप लगाया कि पुलिस ने उसकी बहन को कहा कि वो नौटंकी कर रही है.
  2. इसके बाद पुलिस ने हल्की धाराओं में मामला दर्ज तो कर लिया, लेकिन परिवार की मांग पर गैंगरेप का मामला दर्ज नहीं किया गया. करीब पांच दिन बाद जब समाज के लोगों ने दबाव बनाया तो पुलिस ने गैंगरेप की धारा भी जोड़ दी.
  3. पीड़िता को सही इलाज देने को लेकर भी प्रशासन पर सवाल खड़े हुए. तमाम विपक्षी नेताओं और लोगों ने सवाल उठाया कि जब पीड़िता की हालत ठीक नहीं थी तो उसे पहले ही अच्छे हॉस्पिटल में भर्ती क्यों नहीं कराया गया?
  4. पीड़िता की दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में मौत होने के बाद परिवार को उसका चेहरा तक नहीं दिखाया गया. परिवार हॉस्पिटल में धरने पर बैठा तो उसे आश्वासन देकर उठा दिया गया, लेकिन आधी रात को पुलिस ने जबरन रात ढाई बजे पीड़िता का अंतिम संस्कार कर दिया. इससे पुलिस के खिलाफ गुस्सा और बढ़ा.
  5. पीड़िता के पिता और उसकी मां ने आरोप लगाया कि पुलिस ने उन्हें आखिरी बार बेटी का चेहरा नहीं देखने दिया. उनकी मांग थी कि सुबह अंतिम संस्कार हो, लेकिन जबरन पुलिस ने रात में ही बेटी का अंतिम संस्कार कर दिया, इस दौरान पुलिस पर स्थानीय लोगों से मारपीट का आरोप भी लगा.
  6. इसके बाद पुलिस अधिकारियों के रेप के खंडन को लेकर भी सवाल उठे. पुलिस ने घटना के करीब 15 दिन बाद सामने आकर कहा कि मेडिकल रिपोर्ट में रेप की पुष्टि नहीं हुई है. एडीजी ने कहा कि लड़की के शरीर से स्पर्म नहीं पाया गया है, इसीलिए रेप नहीं हुआ. लेकिन ऐसे सीधे नकार देने को लेकर कई कानूनी जानकारों ने पुलिस को जमकर फटकार लगाई.
  7. पीड़िता का परिवार लगातार अपनी बेटी की मौत के बाद इंसाफ की गुहार लगा रहा था, लेकिन इसी बीच हाथरस के डीएम का एक वीडियो सामने आता है, जिसमें वो पीड़िता के पिता पर धमकी भरे अंदाज में दबाव बनाते नजर आते हैं. इस वीडियो ने भी प्रशासन की खूब फजीहत करवाई.
  8. इसके बाद पूरे गांव को छावनी में तब्दील कर दिया गया. पहले विपक्षी नेताओं को हाथरस आने से रोका गया, वहीं मीडिया पर भी 7 दिन का बैन लगा दिया गया. जिसके खिलाफ खुद बीजेपी नेताओं ने भी आवाज उठाई. दबाव बनाए जाने के बाद नेताओं और मीडिया पर लगाई गई रोक को आखिरकार हटा दिया गया.
  9. योगी सरकार पर इस पूरी घटना को लेकर देर से जागने का आरोप लगा. लोगों ने सरकार से पूछा कि आखिर दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं हो रही है? लेकिन एसआईटी जांच की पहली रिपोर्ट के और घटना के करीब 18 दिन बाद आखिरकार योगी सरकार ने एसपी-डीएसपी समेत 5 पुलिसकर्मियों को सस्पेंड कर दिया.
  10. योगी सरकार ने पुलिसकर्मियों को सस्पेंड करने के अलावा एक और आदेश जारी किया, जिसमें कहा गया कि हर पक्ष का नार्को औ पॉलीग्राफ टेस्ट होगा. जिस पर विपक्षी नेता और तमाम लोग एक बार फिर सवाल खड़े कर रहे हैं कि क्यों पीड़ित परिवार पर नार्को टेस्ट थोपा जा रहा है?
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हालांकि पुलिस पर लगे तमाम आरोपों का पुलिस ने हर बार खंडन किया. लेकिन जब पुलिस के बड़े और क्षेत्रीय अधिकारों पर कार्रवाई हुई तो ये बात साबित हो गई कि कहीं न कहीं लापरवाही बरती गई थी और गलती हुई थी. साथ ही नार्को टेस्ट की भी बात हुई, जो किसी आरोपी का ही किया जाता है.

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