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झारखंड मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा देने के बाद हेमंत सोरेन (Hemant Soren) को ED ने बुधवार, 31 जनवरी को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार कर लिया. इसे लेकर अब यह सवाल उठने लगा कि आखिर देश में कितने मुख्यमंत्री सलाखों के पीछे गये हैं. अपनी गिरफ्तारी से पहले उन्होंने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया और इस तरह की कार्रवाई का सामना करने वाले पूर्व मुख्यमंत्रियों की लंबी सूची में शामिल हो गए. उनकी पार्टी के मंत्री चंपई सोरेन अगले मुख्यमंत्री का पद संभालेंगे.
देश में (पूर्व) मुख्यमंत्रियों की लंबी सूची जो सलाखों के पीछे हैं, उनमें बिहार के लालू प्रसाद यादव और तमिलनाडु की जे जयललिता शामिल हैं - अपने-अपने राज्यों ये दो मुख्यमंत्री बहुत शक्तिशाली नेता रहे हैं. अन्य मुख्यमंत्रियों में चंद्रबाबू नायडू (आंध्र प्रदेश), ओम प्रकाश चौटाला (हरियाणा), मधु कोड़ा (झारखंड) शामिल हैं.
राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के प्रमुख लालू प्रसाद यादव को पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा के साथ 2013 में चारा घोटाले में दोषी ठहराया गया था. फिलहाल उनको और उनके बेटे तेजस्वी यादव के खिलाफ जमीन के बदले नौकरी मामले में जांच चल रही है. लालू प्रसाद यादव 1990 से 1997 के बीच दो बार बिहार के मुख्यमंत्री रहे हैं.
1991 से 2016 के बीच कई बार तमिलनाडु की मुख्यमंत्री रह चुकीं जयललिता को 1996 में भ्रष्टाचार के एक मामले में गिरफ्तार किया गया था. उन्हें 2014 में दोषी ठहराया गया और जेल में डाल दिया गया.
ओम प्रकाश चौटाला को 2013 में शिक्षक भर्ती मामले में दोषी ठहराया गया था और 10 साल जेल की सजा सुनाई गई थी. 2022 में आय से अधिक संपत्ति के मामले में उन्हें चार साल की जेल की सजा सुनाई गई. उन्होंने 1989 और 2005 के बीच कई बार हरियाणा के मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया.
चंद्रबाबू नायडू को पिछले साल 2023 में उनके कार्यकाल के दौरान आंध्र प्रदेश राज्य कौशल विकास निगम में 317 करोड़ के कथित घोटाले के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया था. वह 2014 से 2019 के बीच आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री थे.
2006 से 2008 के बीच झारखंड के मुख्यमंत्री रहे मधु कोड़ा को 2009 में खनन घोटाले में गिरफ्तार किया गया था. आरोप था कि मधु कोड़ा झारखंड में हुए खनन घोटाले में शामिल थे. जांच एजेंसियों का आरोप था कि मधु कोड़ा जब राज्य के मुख्यमंत्री थे, तब उन्होंने झारखंड में लौह अयस्क और कोयला खनन के ठेके अवैध रूप से आवंटित करने के लिए भारी रिश्वत ली थी.
केवल राष्ट्रपति और राज्य के राज्यपाल ही अपने पद पर बने रहने तक नागरिक और आपराधिक कार्यवाही से मुक्त होते हैं, और उन्हें गिरफ्तारी से सुरक्षा दी जाती है. एक मौजूदा मुख्यमंत्री को ऐसी कोई सुरक्षा प्राप्त नहीं है और यदि किसी जांच एजेंसी के पास ऐसी कार्रवाई करने के लिए पर्याप्त कारण हैं तो उसे गिरफ्तार किया जा सकता है.
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