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पूरे उत्तर भारत (Heavy Rainfall in North India) में भारी बारिश से बाढ़ जैसे हालात हो गए हैं. कहीं नदियां उफान पर हैं, तो कहीं इमारतें ढह रही हैं. बारिश से सालों के रिकॉर्ड घंटों में टूट रहे हैं और लोगों की जान भी जा रही हैं. मंत्री बैठकें कर रहे हैं और मौसम विभाग अपनी भविष्यवाणियों से आगाह कर रहा है.
कुल मिलाकर कहें तो उत्तर भारत के कई इलाकों में मौसम की मार से हाहाकर मचा है. आखिर इतनी बारिश हो क्यों रही है और इसके पीछे क्या कारण हैं? बारिश ने कहां क्या रिकॉर्ड तोड़े और अगे के लिए क्या भविष्यवाणी है? आइए देखते हैं.
1. दिल्ली में 9 जुलाई को सुबह 8.30 बजे तक 24 घंटे में 153 mm बारिश हुई. ये 1982 के बाद जुलाई महीने के एक दिन में होने वाली सबसे ज्यादा बारिश है. इसने 41 सालों का रिकॉर्ड तोड़ा. इसके अलावा 1958 के बाद ये जुलाई में एक दिन में होने वाली बारिश की तीसरी सबसे ज्यादा मात्रा है.
2. दिल्ली में पिछले 4 महीनों से लगातार सामान्य से ज्यादा बारिश हो रही है.
मार्च में 17.4 mm सामान्य बारिश की अपेक्षा 53.2 mm बारिश दर्ज की गई.
अप्रेल में 16.3 mm सामान्य बारिश की अपेक्षा 20.1 mm बारिश दर्ज की गई.
मई में 30.7 mm सामान्य बारिश की अपेक्षा 111 mm बारिश दर्ज की गई.
जून में 74.1 mm सामान्य बारिश की अपेक्षा 101.7 mm बारिश दर्ज की गई.
3. जुलाई के शुरुआती 9 दिनों में ही 164 mm बारिश रिकॉर्ड हो चुकी है, जबकि इस पूरे महीने का औसत 209.7 mm है. 10 जुलाई की सुबह 8 बजे यमुना नदी का जलस्तर 203.33 मीटर दर्ज किया गया है. खतरे का निशान 204.50 मीटर है.
5. चंडीगढ़ शहर के इतिहास में पहली बार सुखना झील ओवरफ्लो हो गई. बारिश के समय इसका जलस्तर 1164 फीट के खतरे के निशान को पार कर गया था. अधिकारियों ने इसके 2 फ्लडगेट खोलने पड़े.
6. चंडीगढ़ के अलावा, सबसे अधिक बारिश पंजाब के रोपड़ जिले के नंगल बांध में 282.5 mm, बल्लोवाल सौंद्रा में 270 mm और तिबर में 245 mm बारिश दर्ज की गई.
7. कश्मीर के कई इलाकों में अभूतपूर्व बारिश हुई है, जिसने जुलाई में 24 घंटे की बारिश के सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं. पहलगाम में जुलाई में अब तक की सबसे अधिक 24 घंटे की बारिश दर्ज की गई. 8 जुलाई को बारिश 73.3 mm तक पहुंच गई, जो 16 जुलाई 1983 के 60.4 mm के रिकॉर्ड से ज्यादा है.
8. मनाली में 1971 में जुलाई के एक दिन में 105 mm बारिश हुई थी, लेकिन इस रिकॉर्ड को भी तोड़ते हुए इस बार 8-9 जुलाई को 24 घंटे में 131 mm बारिश दर्ज की गई.
आंकड़ों में देखें की किस राज्य में कितनी ज्यादा बारिश हो रही है, मौसम विभाग के ये आंकड़े 8 जुलाई की सुबह साढ़े 8 बजे से लेकर 9 जुलाई की सुबह साढ़े 8 बजे तक (24 घंटे) के हैं.
जम्मू-कश्मीर: सामान्य बारिश- 4.3 mm , बारिश हुई- 43.1 mm
हिमाचल प्रदेश: सामान्य बारिश- 8 mm , बारिश हुई- 103.4 mm
पंजाब: सामान्य बारिश- 4.6 mm , बारिश हुई- 57.5 mm
हरियाणा: सामान्य बारिश- 4.5 mm , बारिश हुई- 38.9 mm
राजस्थान: सामान्य बारिश- 4 mm , बारिश हुई- 12 mm
उत्तराखंड: सामान्य बारिश- 11.6 mm , बारिश हुई- 28.3 mm
मध्य प्रदेश: सामान्य बारिश- 9.8 mm , बारिश हुई- 16.2 mm
मौसम विभाग के अनुसार, 1 जून से 9 जुलाई तक देश के 18 फीसदी जिलों में सामान्य से काफी ज्यादा और 16 फीसदी जिलों में सामान्य से ज्यादा बारिश हुई है. 30 फीसदी जिलों में सामान्य बारिश दर्ज की गई.
ज्यादा बारिश होने के पीछे असल वजह क्या है इसे जानने के लिए शिमला मौसम विभाग के वैज्ञानिक संदीप शर्मा से बात की. उन्होंने कहा कि इस समय वेस्टर्न डिस्टर्बेंस और मॉनसून दोनों मिल गए हैं. पश्चिम की ओर से आने वाली हवाओं का मानसूनी बादलों के साथ मिल जाने से ज्यादा बारिश हो रही है. अगर खाली मानसून या खाली वेस्टर्न डिस्टर्बेंस रहता तो इतनी बारिश नहीं होती.
पश्चिमी विक्षोभ (Western Disturbance) वे तूफान होते हैं जो कैस्पियन या भूमध्य सागर से बनते हैं और भारत के उत्तर पश्चिमी इलाको में असामान्य मौसम की बारिश और ठंडक लाने का काम करते हैं. ये वास्तव में तेज बर्फीली हवाएं होती हैं जो अपने साथ नमी लाती हैं और भूमध्यसागर से निकल कर ईरान, इराक, अफगानिस्तान और पाकिस्तान से होते हुए भारत के मैदानों में पहुंच कर अपना असर दिखाती हैं.
यह एक गैर-मानसूनी वर्षा पैटर्न है, जो पश्चिमी हवाओं द्वारा संचालित होता है. ऐसा किसी भी मौसम में हो सकता है, जरूरी नहीं कि मानसून में ही हो.
हालांकि, वेस्टर्न डिस्टर्बेंस जब मानसून से मिल जाता है तो लोगों को गर्मी से राहत मिल जाती है. लेकिन मौसम के लिहाज से यह हमेशा उपयुक्त नहीं होता. कभी-कभी यह डिस्टर्बेंस अपने साथ बहुत खतरनाक मौसम लेकर आता है. जैसे बाढ़, बादल फटना, लैंडस्लाइड, धूल भरी आंधी, ओलावृष्टि और हड्डी कंपा देने वाली ठंडी हवाएं.
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