advertisement
सुप्रीम कोर्ट ने पिछले दिनों साल 2009 में कथित तौर पर आदिवासी नरसंहार मामले की जांच से जुड़ी याचिका खारिज कर दी. इसके साथ ही याचिकाकर्ता हिमांशु कुमार पर 5 लाख रुपये का भारी जुर्माना भी लगा दिया. इसी मामले में यूट्यूब चैनल आर्टिकल 19 पर बात करते हुए हिमांशु कुमार ने कहा कि मैं 5 लाख का जुर्माना नहीं भरूंगा, मैं जेल जाऊंगा और हंसते हंसते जाऊंगा.
हिमांशु कुमार ने कई मामलों को गिनाते हुए कहा कि इन सभी मामलों में मेरी जीत हुई है और सरकार हारी है. मेरा कौन सा मुकदमा झूठा साबित हुआ है. इस मामले में मैं कैसे झूठ बोल सकता हूं. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट कैसे कह सकता है कि ये मुकदमा झूठा है. क्या सुप्रीम कोर्ट ने कोई जांच करवाई है या जज साहब को कोई सपना आ गया. क्या जज साहब मोदी और अमित शाह का हुक्म मानकर फैसला दे रहे हैं कि कहीं उनको 'लोया' की तरह मार न दिया जाए. या जज साहब को रिटायरमेंट के बाद कोई पोस्ट चाहिए. इतना बड़ा अन्याय. 16 आदिवासी मारे गए और सुप्रीम कोर्ट का जज कह रहा है कि ये मुकदमा झूठा है. जांच कराओ दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा. मैं 5 लाख का जुर्माना नहीं भरूंगा, मैं जेल जाऊंगा और हंसते हंसते जाऊंगा.
ये कहे जाने पर की आप अदालत की अवमानना कर रहे हैं. इस पर हिमांशु कुमार कहते हैं कि मैं अदालत की इज्जत बचा रहा हूं. इस फैसले से अदालत की बेइज्जती हुई है. अदालत का काम लोगों को इंसाफ देने है. उससे अदालत की इज्जत बचती है. अगर अदालत नाइंसाफी करेगी तो जनता की नजर में अदालत की इज्जत खत्म हो जाएगी. कुमार ने कहा कि जज अदालत नहीं है. जज तो एक मुलाजिम है. वो लालच में आ सकता है, डर में आ सकता है. अदालत बड़ी चीज है. अदालत भारती की प्रॉपर्टी है. भारत की जनता रक्षा करेगी सुप्रीम कोर्ट की. क्योंकि, ये उसके बच्चों के लिए है, उसके लिए है. अगर अदालत खत्म हो गई तो इंसाफ कहां बचेगा. हम इंसाफ की रक्षा कर रहे हैं. हम अदालत की रक्षा कर रहे हैं. इन भ्रष्ट जजों के बचाने से अदालत नहीं बचेगी.
साल 2009 में सुकमा के गोमपाड़ में सुरक्षा बलों की एक टीम ने मुठभेड़ में 16 नक्सलियों के मारे जाने का दावा किया था. मारे गए सभी आदिवासी थे. इस घटना में एक आदिवासी महिला ने दावा किया था कि सुरक्षाबलों ने गांव के निर्दोष लोगों की फर्जी मुठभेड़ में हत्या की है. इसके बाद हिमांशु कुमार और अन्य 12 लोगों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. इस मामले में करीब 13 साल तक सुनवाई चली.
हिमांशु कुमार ने अदालत को बताया था कि सितंबर 2009 से अक्टूबर 2009 के बीच सुरक्षा बलों ने न केवल एक्स्ट्राजूडिशल हत्याएं कीं, बल्कि छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले के गचनपल्ली, गोम्पड और बेलपोचा के इलाकों में आदिवासी लोगों के साथ बलात्कार और लूटपाट भी की थी.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)