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असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा (Himanta Biswa Sarma) ने 28 जनवरी को कहा कि महिलाओं को ''उचित उम्र'' में मां बनना चाहिए क्योंकि इससे चिकित्सकीय जटिलताएं (Medical Complications) पैदा होती हैं. एक सरकारी समारोह में बोलते हुए हिमंता सरमा ने कम उम्र में शादी और मातृत्व को रोकने के लिए अपनी सरकार की प्रतिबद्धता दोहराई.
उनका यह बयान राज्य सरकार के बाल विवाह और कम उम्र में मातृत्व की जांच के लिए कड़े कानून लाने और यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (POCSO) अधिनियम को लागू करने के निर्णय की पृष्ठभूमि में आया है.
मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने कहा, "अगले पांच-छह महीनों में हजारों पतियों को गिरफ्तार किया जाएगा क्योंकि 14 साल से कम उम्र की लड़की के साथ यौन संबंध बनाना अपराध है, भले ही वह कानूनी रूप से विवाहित पति ही क्यों न हो."
महिला की शादी की कानूनी उम्र 18 साल है और कम उम्र की लड़कियों से शादी करने वालों पर भी कार्रवाई की जाएगी. उन्होंने कहा, "कई (लड़कियों से शादी करने वाले पुरुष) को आजीवन कारावास की सजा हो सकती है."
मातृत्व के बारे में बोलते हुए, हिमंता बिस्वा सरमा ने कहा,
इसके बाद हिमंता बिस्वा सरमा ने आगे मुस्कुराते हुए कहा कि, जिन महिलाओं ने अभी तक शादी नहीं की है, उन्हें जल्द ही कर लेनी चाहिए.
उन्होंने कहा, "हम समय से पहले मां बनने के खिलाफ बोलते रहे हैं. लेकिन साथ ही, महिलाओं को ज्यादा इंतजार नहीं करना चाहिए जैसा कि बहुत से लोग करते हैं... भगवान ने हमारे शरीर को इस तरह से बनाया है कि हर चीज के लिए एक उपयुक्त उम्र होती है."
असम कैबिनेट ने सोमवार को 14 साल से कम उम्र की लड़कियों से शादी करने वाले पुरुषों पर POCSO एक्ट के तहत मामला दर्ज करने का फैसला लिया है. 14-18 साल की उम्र की लड़कियों से शादी करने वालों पर बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 के तहत मुकदमा चलाया जाएगा.
हिमंता बिस्वा सरमा ने कैबिनेट बैठक के बाद कहा था कि राज्य में मातृ एवं शिशु मृत्यु दर की उच्च दर को रोकने के लिए यह निर्णय लिया गया है, जिसका प्राथमिक कारण बाल विवाह है.
उन्होंने कहा कि राज्य में औसतन 31 प्रतिशत विवाह कम आयु वर्ग में होते हैं.
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