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आम तौर पर आपसे कोई पूछे कि आप कौन सी भाषा बोलते हैं तो हिंदी कहने वालों की आबादी अच्छी खासी है. लेकिन क्या हम सच में हिंदी भाषा के बारे में सब कुछ जानते हैं. क्या हमारा दावा सही है?
हिंदी उन भाषाओं में से एक है जो अब खिचड़ी हो चुकी है. अंग्रेजी, उर्दू, फारसी के शब्द हमारी बोलचाल की भाषा में ऐसे मिल गए हैं जैसे हमेशा से इसी के हों.
दरअसल ऐसे शब्द हमेशा से हिंदी के हिस्सा थे. हम जिस दौर में बड़े हुए हैं, हमें शुद्ध हिंदी कम और मिश्रित भाषा ज्यादा सीखने को मिली है. हमारे दौर में सोशल मीडिया ने भाषा को बहुत प्रभावित किया है. उसका असर बोलचाल की भाषा पर सबसे ज्यादा हुआ है.
शायद इसी वजह से जब कभी हम सरकारी कार्यालयों और दस्तावेजों के आस पास होते हैं, हर दूसरा शब्द हमारे लिए कठिन होता है.
हमारे लिए 'संगणक' कंप्यूटर ही रहेगा और 'अभियंता' इंजीनियर. हम साइन करते हैं हस्ताक्षर नहीं. हम माइग्रेट करते हैं, प्रवास नहीं. और ऐसे शब्दों की लिस्ट काफी लंबी है. हम जानकारी के तौर पर ऐसे शब्द एक बार सीख भी जाएं, लेकिन बोलचाल की भाषा में कभी इस्तमाल नहीं कर सकेंगे.
तो आइए जानते है ऐसे ही कुछ शब्दों के मतलब जो हमें आए-दिन देखने को मिलते हैं.
ये तो कुछ ही शब्द हैं. ऐसे ढेर सारे शब्द अभी भी हैं जो आम जनता के लिए कठिन हैं. और अगर ऐसे शब्द हैं जो आम जनता के लिए सरकार से जुड़ने के, सरकार से बात करने के तरीके को कठिन बनाते हैं, तो इसे सरल कैसे बनाया जाए.
दूसरी भाषाओं के जो शब्द लोगों के बीच प्रचलित हैं, उन्हें आधिकारिक दस्तावेजों के लिए अपना लेने में क्या हर्ज है. किसी भी भाषा का उद्देश्य संचार को सहज और सरल बनाना होता है. अगर लोग समझ ही नहीं पा रहे तो भाषा पर काम करने की जरूरत है.
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