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तमिलनाडु: त्रिची में साइन बोर्ड पर लिखी हिंदी पर पोती गई कालिख

नई शिक्षा नीति में हिंदी को स्कूलों में अनिवार्य करने के बाद उठा विवाद नहीं थम रहा है

क्विंट हिंदी
भारत
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 दक्षिण भारत में नहीं थम रहा हिंदी पर चल रहा विवाद
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दक्षिण भारत में नहीं थम रहा हिंदी पर चल रहा विवाद
फोटो: ANI

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केंद्र सरकार की नई शिक्षा नीति के ड्रॉफ्ट पर चालू हुआ विवाद थम नहीं रहा है. त्रिची के बीएसएनएल ऑफिस, पोस्ट ऑफिस और एयरपोर्ट पर हिंदी में लगे साइन बोर्ड पर विरोध में कालिख पोत दी गई है.

क्या है मामला

बता दें नई शिक्षा नीति में गैर हिंदी राज्यों में हिंदी विषय 8वीं तक अनिवार्य बनाने की बात कही गई थी. इसके बाद विवाद शुरू हो गया था. दक्षिण भारतीय राज्यों में लोगों का कहना है कि उनपर हिंदी थोपी जा रही है.

इसके बाद नई शिक्षा नीति के ड्रॉफ्ट में संशोधन कर हिंदी को वैकल्पिक बना दिया गया. मतलब इन राज्यों में हिंदी को तीसरी भाषा के तौर पर पढ़ने के मामले को छात्र की इच्छा पर छोड़ दिया गया है.

विरोध करने वालों में कई डीएमके नेता और मशहूर एक्टर कमल हासन भी शामिल थे. कमल हासन का कहना है कि उन्होंने कई हिंदी फिल्मों में काम किया है, लेकिन इसके बावजूद उनका मत है कि इसे वैकल्पिक ही बनाया जाए.

मानव संसाधन मंत्री बोले- नहीं थोपी जाएगी हिंदी

विवाद पर मानव संसाधन मंत्री रमेश पोखरियाल ने भी बात रखी थी. उन्होंने कहा कि सरकार सभी भाषाओं का विकास करने के लिए प्रतिबद्ध है. किसी भाषा को किसी प्रदेश पर थोपा नहीं जाएगा.

लेफ्ट पार्टियों ने भी तीन भाषाओं के प्रावधान का विरोध किया था. लेफ्ट पार्टियों का आरोप था कि सरकार की मंशा, शिक्षा नीति की आड़ में एक भाषा के अपने सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के एजेंडे को थोपना है.

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Published: 08 Jun 2019,09:52 PM IST

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