advertisement
केंद्र सरकार की नई शिक्षा नीति के ड्रॉफ्ट पर चालू हुआ विवाद थम नहीं रहा है. त्रिची के बीएसएनएल ऑफिस, पोस्ट ऑफिस और एयरपोर्ट पर हिंदी में लगे साइन बोर्ड पर विरोध में कालिख पोत दी गई है.
बता दें नई शिक्षा नीति में गैर हिंदी राज्यों में हिंदी विषय 8वीं तक अनिवार्य बनाने की बात कही गई थी. इसके बाद विवाद शुरू हो गया था. दक्षिण भारतीय राज्यों में लोगों का कहना है कि उनपर हिंदी थोपी जा रही है.
इसके बाद नई शिक्षा नीति के ड्रॉफ्ट में संशोधन कर हिंदी को वैकल्पिक बना दिया गया. मतलब इन राज्यों में हिंदी को तीसरी भाषा के तौर पर पढ़ने के मामले को छात्र की इच्छा पर छोड़ दिया गया है.
विवाद पर मानव संसाधन मंत्री रमेश पोखरियाल ने भी बात रखी थी. उन्होंने कहा कि सरकार सभी भाषाओं का विकास करने के लिए प्रतिबद्ध है. किसी भाषा को किसी प्रदेश पर थोपा नहीं जाएगा.
लेफ्ट पार्टियों ने भी तीन भाषाओं के प्रावधान का विरोध किया था. लेफ्ट पार्टियों का आरोप था कि सरकार की मंशा, शिक्षा नीति की आड़ में एक भाषा के अपने सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के एजेंडे को थोपना है.
पढ़ें ये भी: महाराष्ट्र में शरद पवार का पावर फेल करने में जुटे प्रकाश अंबेडकर
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)