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बरसाने में लट्ठमार होली, देखें- कैसे महिलाओं ने पुरुषों पर बरसाई लाठियां

Lathmar Holi in Barsana: 28 फरवरी, 2023 को पूरे उत्साह के साथ खेली गई बरसाने की लट्ठमार होली.

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भारत
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<div class="paragraphs"><p>Lathmar Holi in Barsana</p></div>
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Lathmar Holi in Barsana

(फोटोः फेसबुक)

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हर साल होली का त्योहार आता है तो बरसाने की लट्ठमार होली (Lathmar Holi) का जिक्र जरूर आता है. बरसाने की लट्ठमार होली दुनियाभर में प्रसिद्ध है और ये लट्ठमार होली 28 फरवरी, 2023 को पूरे उत्साह के साथ खेली गई. वहीं 1 मार्च यानी दशमी को नंदगांव में इस परंपरा को फिर से दोहराई जाएगी. बरसाना की रंगीली गली की लट्ठमार होली राधा और कृष्ण के प्रेम का प्रतीक है और इस होली को देखने के लिए यहां दुनियाभर से लोग पहुंचते हैं.

28 फरवरी, 2023 को बरसाना में धूमधाम से लट्ठमार होली खेली गई. इसको देखने के लिए देश-विदेश से लोग पहुंचे.

(फोटोः फेसबुक)

राधारानी रूपी गोपियों ने नंदगांव के कृष्ण रुपी हुरियारों पर जमकर प्रेम पगी लाठियां बरसाईं.

(फोटोः फेसबुक)

इस खास मौके पर बरसाना के राधा रानी मंदिर से लेकर गांव की गली-गली में रंग ही रंग उड़ती नजर आई.

(फोटोः फेसबुक)

होली का ये खास अंदाज राधा रानी के प्रेम का प्रतीक है. इसमें बरसाने की महिलाएं मजाकिया अंदाज में पुरुषों पर लाठियां बरसाती हैं और ग्वाले बने पुरुष ढाल से खुद की रक्षा करते हैं.

(फोटोः फेसबुक)

बरसाना में खेली जाने वाली लट्ठमार होली में प्रयोग होने वाले रंग टेसू के फूलों से बनते हैं. 

(फोटोः फेसबुक)

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बरसाना की लट्ठमार होली पूरे विश्व भर में प्रसिद्ध है.

(फोटोः फेसबुक)

पौराणिक मान्यता के अनुसार, लट्ठमार होली द्वापर युग से शुरू हुई थी. नंदगांव के कन्हैया अपने सखाओं के साथ राधा रानी के गांव बरसाना जाया करते हैं. वहीं पर राधा रानी और गोपियों श्री कृष्ण और उनके सखाओं की शरारतों से परेशान होकर उन्हें सबक सिखाने के लिए लाठियां बरसाती थी. ऐसे में कान्हा और उनके सखा खुद को बचाने के लिए ढाल का इस्तेमाल करते थे. ऐसे ही धीरे-धीरे इस परंपरा की शुरुआत हो गई है जिसे लट्ठमार होली का नाम दे दिया गया और उसी परंपरा के साथ आज भी बरसाना में लोग इसे धूमधाम से मनाते हैं.

(फोटोः फेसबुक)

हर साल फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को लट्ठमार होली खेली जाती है. नंदगांव के पुरुष बरसाना की महिलाओं से होली खेलने आते हैं. यहीं परंपरा अगले दिन यानी दशमी तिथि को नंदगांव में दोहराई जाती है.

(फोटोः फेसबुक)

पुरुषों पर लाठियां बरसाती राधा रानी बनी महिलाएं.

(फोटोः फेसबुक)

बता दें कि कान्हा की नगरी में होली का पर्व अलग ही अंदाज में मनाया जाता है. यहां फूलों की होली के साथ शुरू हुआ ये त्योहार रंगों की होली के साथ समाप्त होता है.

(फोटोः फेसबुक)

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