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केंद्र की मोदी सरकार ने सिख समुदाय के ऐसे सौ से ज्यादा लोगों को ब्लैक लिस्ट से बाहर कर दिया है जो 1984 के सिख विरोधी दंगों के बाद दुनिया के दूसरे देशों में रह रहे थे और भारत वापस नहीं आ सकते थे. केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने यह जानकारी देते हुए बताया कि यह प्रक्रिया अभी जारी है.
राजनाथ सिंह ने 1984 के सिख विरोधी दंगों का जिक्र करते हुए राष्ट्रीय सिख संगत के एक समारोह में कहा, लोगों के दिलों में 1984 का जख्म बहुत गहरा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में जब नई सरकार बनी तो हम जानते थे कि जिन लोगों को इंसाफ मिलना चाहिए था, नहीं मिल पाया. (मेरे) गृह मंत्रालय की जिम्मेदारी संभालने के बाद एक एसआईटी बनाई गयी, जिसने दंगों के मामले में जांच शुरू की. कुछ मामलों में आरोपपत्र दाखिल किये गये और कुछ मामलों में अब भी जांच चल रही है.
राजनाथ सिंह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े संगठन राष्ट्रीय सिख संगत की ओर से सिखों के दसवें गुरु गोविंद सिंह के 350वें प्रकाश वर्ष पर आयोजित समारोह में पहुंचे थे. राजनाथ ने कहा कि भारत की संस्कृति की रक्षा करने वाले महापुरुषों में गुरु गोविंद सिंह सबसे आगे रहे. उन्होंने खालसा पंथ की स्थापना की थी जो आज भी भारतीय संस्कृति का रक्षा कवच है.
उन्होंने कहा, हम इस पंथ के महत्व को अच्छी तरह समझते हैं, इसलिए मेरा व्यक्तिगत मत है कि यदि हम हिंदुओं और सिखों, दोनों को भाई-भाई कहते हैं तो वो तो सही है लेकिन यदि किसी को मैं अपना बड़ा भाई मानता हूं तो सिख समुदाय के लोगों को मानता हूं.
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