advertisement
इशरत जहां एनकाउंटर केस की गुम हुई फाइलों का मामला एक बार फिर गरमाता नजर आ रहा है. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इस बारे में संसद मार्ग थाने में एफआईआर दर्ज कराई है.
गृह मंत्रालय से गायब हुई फाइलों को लेकर पुलिस ने अज्ञात लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है.
इशरत जहां मुठभेड़ मामला और इसकी जांच को लेकर देश में अब तक काफी सियासत हो चुकी है.
गृह मंत्रालय में कार्यरत अवर सचिव ने भारतीय दंड संहिता की धारा 409 (पब्लिक सर्वेंट द्वारा भरोसे का आपराधिक हनन) के तहत एफआईआर दर्ज करवाई है. इसमें पुलिस से इस बात की जांच करने को कहा गया है कि मामले से संबंधित 5 दस्तावेज क्यों, कैसे और किन हालात में गायब हो गए.
इस कदम से पहले अतिरिक्त सचिव की अध्यक्षता वाली जांच समिति ने यह निष्कर्ष दिया था कि सितंबर, 2009 में दस्तावेजों को जानबूझकर या अनजाने में हटा दिया गया अथवा वे गायब हो गए. उस दौरान में पी. चिदंबरम गृहमंत्री थे. जांच समिति ने कहा कि इन 5 में से केवल एक दस्तावेज ही मिल पाया है. समिति ने अपनी तीन माह चली जांच के बाद 15 जून को रिपोर्ट सौंपी थी.
हालांकि जांच समिति ने चिदंबरम या तब की यूपीए सरकार में किसी भी व्यक्ति के बारे में कुछ नहीं कहा है. दिल्ली पुलिस कमिश्नर द्वारा 26 अगस्त को मेसेज भेजने के बाद 22 सितंबर को एफआईआर दर्ज की गई. तत्कालीन गृह सचिव जीके पिल्लै सहित 11 सेवारत व रिटायर्ड अधिकारियों के बयानों के आधार पर समिति ने अपनी 52 पेज की रिपोर्ट सौंपी. इसमें कहा गया कि 18 से 28 सितंबर, 2009 के बीच दस्तावेज गुम हुए.
मुंबई की कॉलेज स्टूडेंट इशरत जहां और उसके तीन कथित साथियों- प्रणेश गोपीनाथ पिल्लै, अमजद अली और जीशान जौहर को गुजरात पुलिस ने अहमदाबाद के पास 15 जून, 2004 को कथित रूप से एक फर्जी मुठभेड़ में मार गिराया था.
गुजरात पुलिस ने चारों को पाकिस्तान के इशारे पर काम करने वाला आतंकी करार दिया था. पुलिस के मुताबिक, ये आतंकी नरेंद्र मोदी की हत्या करने जम्मू-कश्मीर से आए थे. मोदी उस समय गुजरात के मुख्यमंत्री थे.
इस साल फरवरी में लश्कर-ए-तैयबा के आतंकी डेविड कोलमैन हेडली ने मुंबई की विशेष अदालत को बताया था कि इशरत जहां पाकिस्तान स्थित इस आतंकी संगठन की सदस्य थी.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)