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केंद्र सरकार ने 1984 में हुए सिख विरोधी दंगों से जुड़े 75 मामलों की जांच करने के लिए विशेष जांच दल (एसआईटी) बनाया है. ये दंगे तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद हुए थे.
केंद्र सरकार का यह फैसला सिख समुदाय के, खासकर 1984 के सिख दंगों के पीड़ितों की अर्जियों पर और अगले साल होने वाले पंजाब विधानसभा चुनाव से पहले आया है. एसआईटी इन मामलों के बारे में विज्ञापन जारी कर पीड़ितों व गवाहों को जांच में शामिल होने को कहेगी.
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बीती 6 जून को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर एसआईटी को ढकोसला करार दिया था.
इंदिरा गांधी की सिख अंगरक्षकों द्वारा 31 अक्टूबर, 1984 को हत्या किए जाने के बाद दिल्ली, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और अन्य राज्यों में हुए दंगों में 3,325 लोग मारे गए थे. दिल्ली में अकेले 2,733 लोगों की हत्या हुई थी.
दिवंगत एच. के. एल. भगत, सज्जन कुमार और जगदीश टाइटलर सहित कांग्रेस के कई नेता इन दंगों में शामिल रहने और अपराध में संलिप्तता के आरोपी बनाए गए थे.
बीती मई में केंद्र सरकार ने सिख विरोधी दंगों से प्रभावित ऐसे 1020 परिवारों का मुआवजा बढ़ाने की स्वीकृति दे दी थी. ये परिवार देश के अलग-अलग राज्यों से विस्थापित होकर पंजाब चले गए थे.
नरेंद्र मोदी सरकार ने 2014 दिसंबर में सिखों की विभिन्न शिकायतों को देखने के लिए सेवानिवृत्त न्यायाधीश जी. पी. माथुर कमेटी का गठन किया था. इसकी अनुशंसा पर केंद्र सरकार ने पीड़ित परिवारों के सदस्यों का कौशल विकास मंत्रालय और पंजाब सरकार के जरिए कौशल विकास करने या जो पहले से हुनरमंद हैं, तो उसे और बढ़ाने का आदेश दिया था.
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