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ISRO ने कहा - नहीं हुआ ‘विक्रम’ से कनेक्शन, अब ‘गगनयान’ मिशन

चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर के जरिए चांद पर ‘विक्रम’ की लोकेशन का पता चला था

क्विंट हिंदी
भारत
Updated:
के सिवन ने दी मिशन चंद्रयान-2 को लेकर जानकारी 
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के सिवन ने दी मिशन चंद्रयान-2 को लेकर जानकारी 
(फोटोग्राफिक्स: क्विंट हिंदी) 

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ISRO ने बताया है कि वो चंद्रयान-2 के लैंडर ‘विक्रम’ से संपर्क करने में सफल नहीं रहा है. ऐसे में अब ‘विक्रम’ से संपर्क की संभावनाओं को खत्म ही माना जा रहा है. दरअसल लैंडर विक्रम चांद पर जहां है, वहां शनिवार तड़के से रात शुरू हो गई है. ISRO ने बताया था कि चांद पर रात होने के बाद लैंडर 'विक्रम' के पास पावर जनरेट करने के लिए सनलाइट नहीं होगी. इसके अलावा वहां रात के दौरान काफी ठंड भी होगी और विक्रम को इतनी ठंड में काम करने के हिसाब से डिजाइन नहीं किया गया था.

मिशन चंद्रयान-2 को लेकर ISRO चीफ के. सिवन ने 21 सितंबर को कहा, ‘’चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर काफी अच्छे से काम कर रहा है. ऑर्बिटर में 8 उपकरण हैं और हर उपकरण वही कर रहा है, जो उसे करना चाहिए. जहां तक लैंडर की बात है, हम इससे संपर्क करने में सफल नहीं रहे हैं. हमारी अगली प्राथमिकता गगनयान मिशन है.’’

लैंडर ‘विक्रम’ 6 और 7 सितंबर की दरम्यानी रात चांद के दक्षिणी धुव्रीय क्षेत्र में सॉफ्ट लैंडिंग करने जा रहा था, मगर चांद की सतह से 2.1 किलोमीटर की दूरी पर ‘विक्रम’ का संपर्क ISRO से टूट गया था.

इसके बाद चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर के जरिए चांद पर ‘विक्रम’ की लोकेशन का पता चला था.  इस बारे में सिवन ने बताया था, ''चांद की सतह पर हमें लैंडर ‘विक्रम’ की लोकेशन का पता चल गया है, ऑर्बिटर ने इसकी थर्मल इमेज भी क्लिक कर ली है. हालांकि अभी तक इससे संपर्क नहीं हो सका है. हम संपर्क करने की कोशिश कर रहे हैं.'' इसके साथ ही इसके साथ ही सिवन ने बताया था कि 'विक्रम' की चांद पर हार्ड लैंडिंग हुई होगी.

लैंडर ‘विक्रम’ का नाम भारतीय अंतरिक्ष प्रोग्राम के फादर कहे जाने वाले विक्रम ए साराभाई के नाम पर रखा गया था. इस लैंडर को एक चंद्र दिन (पृथ्वी के 14 दिनों के बराबर) काम करने के लिए डिजाइन किया गया था. इसके अंदर एक रोवर (प्रज्ञान) भी चांद पर भेजा गया था.

तय प्रक्रिया के हिसाब से ‘विक्रम’ की सॉफ्ट लैंडिंग के बाद उसके अंदर से रोवर ‘प्रज्ञान’ को बाहर निकलना था और वैज्ञानिक प्रयोग शुरू करने थे.

बता दें कि ‘सॉफ्ट लैंडिंग' में लैंडर को आराम से धीरे-धीरे सतह पर उतारना था, जिससे लैंडर, रोवर और उनके साथ लगे उपकरण सुरक्षित रहें.

बता दें कि भारत ने अपने हेवी लिफ्ट रॉकेट जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल GSLV MkIII-M1 की मदद से 22 जुलाई को चंद्रयान-2 लॉन्च किया था. स्पेसक्राफ्ट के तीन सेगमेंट थे- ऑर्बिटर (वजन 2,379 किलोग्राम, 8 पेलोड्स), लैंडर 'विक्रम' (1,471 किलोग्राम, 3 पेलोड्स) और एक रोवर 'प्रज्ञान' (27 किलोग्राम, 2 पेलोड्स). 2 सितंबर को दोपहर 1 बजकर 15 मिनट पर लैंडर ‘विक्रम’ ऑर्बिटर से सफलतापूर्वक अलग हो गया था. ऑर्बिटर का चांद के चक्कर लगाना जारी है.

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Published: 21 Sep 2019,08:04 AM IST

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