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केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय की फैक्ट फाइंडिंग टीम जब तक श्रीनगर स्थित एनआईटी पहुंचती, उससे पहले ही कई छात्र कैंपस के मैदान में जमा हो गए थे. ये छात्र ‘कश्मीर पुलिस, पाकिस्तान पुलिस, सीआरपीएफ जिंदाबाद’ के नारे लगा रहे थे. यह नारे मंगलवार को हुई झड़पों की अभिव्यक्ति थी. मंगलवार को ये झड़प तब हुई थी, जब गैर स्थानीय छात्रों ने कैंपस के बाहर की मुख्य सड़क पर रैली निकालने की कोशिश की.
कश्मीर घाटी को लद्दाख से जोड़ने वाली इस सड़क पर रैली करने वालों में अधिकतर बीटेक के छात्र थे. कानून-व्यवस्था की समस्या के मद्देनजर जम्मू-कश्मीर पुलिस को स्थिति संभालने की जिम्मेदारी सौंपी गई. बुधवार को कैंपस के बाहर तैनात एक पुलिस हवलदार ने बताया कि जब उनका एक सीनियर अधिकारी एक गैर स्थानीय छात्र को रैली नहीं करने के लिए समझा रहा था, तब उस छात्र ने अधिकारी का कॉलर पकड़ लिया. इसी बात से गुस्सा होकर उनके जूनियर पुलिसकर्मी और खुद वह हवलदार भी उस छात्र पर झपट पड़ा.
प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि इस संघर्ष के दौरान पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े और लाठीचार्ज भी किया, जिसके चलते कई छात्र घायल हो गए. इस झड़प की एक धुंधली तस्वीर सामने आई है, जिसमें करीब छह पुलिसवालों को दो छात्रों को लाठी से मारते हुए देखा जा सकता है, जिसमें से एक जमीन पर गिरा हुआ है.
एचआरडी मिनिस्ट्री की फैक्ट फाइंडिंग टीम ने जब कैंपस के कॉमन हॉल में छात्रों के साथ बात की, तो छात्रों ने NIT को किसी दूसरी जगह स्थानांतरित किए जाने की मांग की.
आश्चर्यजनक रूप से वर्ल्ड टी20 के सेमीफाइनल में वेस्टइंडीज का समर्थन कर रहे कश्मीरी छात्रों के खिलाफ कार्रवाई की मांग को दबा दिया गया.
NIT श्रीनगर में पढ़ रहे कई स्थानीय छात्र वर्ल्ड टी20 में भारत के खिलाफ वेस्टइंडीज की जीत का जश्न मना रहे थे. कई छात्रों ने वेस्टइंडीज के समर्थन में नारे भी लगाए, जिसके चलते अब बड़ा विवाद खड़ा हो गया है.
इसके अगले दिन कश्मीरी छात्रों को कथित रूप से ‘वेस्टइंडीज समर्थक’ कहकर उनके खिलाफ शिकायत दर्ज कराई गई और फिर गैर स्थानीय छात्रों ने एक रैली निकाली. कैंपस में शुक्रवार को एक छात्र को किताब देने आए डिलिवरी ब्वॉय इम्तियाज शेख को वहां नारे लगा रहे छात्रों ने रोक लिया.
इम्तियाज ने द क्विंट को बताया, गैर स्थानीय छात्रों ने कथित रूप से कश्मीर विरोधी और अन्य भड़काऊ नारे लगाने के साथ ही पाकिस्तान के झंडे भी जलाए.
स्थिति बिगड़ने के डर से प्रशासन ने संस्थान को वीकेंड पर बंद करने के आदेश दिए और हॉस्टल में रह रहे छात्रों से हॉस्टल खाली करने को कहा. हालांकि हॉस्टल खाली करने के आदेश को शाम को रद्द कर दिया गया.
सोमवार को सामान्य रूप से संस्थान फिर खुला लेकिन कुछ गैर स्थानीय छात्रों ने कश्मीरी छात्रों पर कार्रवाई की मांग करते हुए प्रदर्शन किया और भड़काऊ भाषण भी दिया, जिससे एक बार फिर कैंपस में तनाव की स्थिति बन गई. इसके बाद मंगलवार को एक बार फिर से तब झड़प हुई जब रैली करने की कोशिश कर रहे छात्रों को रोक दिया गया.
नाम प्रकाशित न करने की शर्त पर एक छात्र ने द क्विंट को बताया,
बीजेपी और पीडीपी की गठबंधन सरकार के शपथ लेने के केवल दो दिन बाद ही हुई इस घटना की वजह से राज्य में संघर्ष की स्थिति बन गई है.
स्थानीय छात्रों ने एनआईटी प्रशासन से अपील की है कि जो “शरारती तत्व तोड़फोड़ और कश्मीरी छात्रों पर हमले के लिए जिम्मेदार हैं” उनके खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए. साथ ही उन्होंने एनआईटी श्रीनगर में मौजूद “अल्पसंख्यक कश्मीरी छात्रों की सुरक्षा” की मांग भी उठाई.
इसके जवाब में गैर स्थानीय छात्रों ने भी एक हस्ताक्षर किया हुआ बयान जारी किया. इस बयान में छात्रों ने अपील की, “हम प्रशासन से कैंपस में रह रहे उन सांप्रदायिक कट्टरपंथियों के खिलाफ कार्रवाई की अपील करते हैं, जो एनआईटी श्रीनगर का माहौल बिगाड़ने की कोशिश कर रहे हैं. ये बहुत ही हैरान करने वाली बात है कि क्रिकेट जैसे खेल को एक शैक्षणिक संस्थान को राजनीति का अखाड़ा बनाने के लिए इस्तेमाल किया गया.”
एक तरफ राज्य सरकार इस स्थिति से निपटने की कोशिश कर रही है, लेकिन यह मुद्दा राजनीतिक रंग लेता जा रहा है. एक तरफ जहां जम्मू बार एसोसिएशन ने गुरुवार को मुसलमान बहुल राज्य में हिन्दुओं की अधिक आबादी वाले क्षेत्र में हड़ताल की अपील की है, वहीं राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा है कि केंद्र को राज्य की मौजूदा मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती पर भरोसा नहीं है.
उमर अब्दुल्ला ने ट्वीट कर कहा, “एचआरडी मंत्रालय की टीम भेजना और फिर राज्य की पुलिस की जगह सीआरपीएफ को तैनात करना ये दिखलाता है दिल्ली को महबूबा मुफ्ती पर कितना भरोसा है.”
बुधवार को एक-दो की संख्या में कई छात्र अपनी क्लास करने के बाद बैरीकेड लगे कैंपस से बाहर निकले. उन सभी को स्थिति का अंदाजा है, लेकिन ऐसा लगा कि उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता.
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