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बीजेपी नेता जेपी नड्डा (JP Nadda) ही जून 2024 तक भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष (BJP President) बने रहेंगे. दिल्ली में बीजेपी के राष्ट्रीय अधिवेशन में ये संशोधन पारित किया गया है. दिल्ली में बीजेपी के राष्ट्रीय अधिवेशन में ये संशोधन पारित किया गया है. पद खाली होने पर संसदीय बोर्ड अध्यक्ष की नियुक्ति कर सकेगा. जेपी नड्डा जून 2019 में पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष बने थे. इसके बाद, 20 जनवरी 2020 को वे पूर्णकालिक अध्यक्ष बनाए गए थे.
दरअसल, लोकसभा चुनाव के मद्देनजर पार्टी ने पिछले साल ही जेपी नड्डा के कार्यकाल को जून 2024 तक बढ़ाने का फैसला किया था. पार्टी के संसदीय बोर्ड के फैसले के बाद पिछले साल जनवरी 2023 में दिल्ली में हुई बीजेपी राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में लोकसभा चुनाव के मद्देनजर जून 2024 तक जेपी नड्डा के कार्यकाल को बढ़ाने के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई थी और पार्टी संविधान के नियमों का पालन करते हुए अब कार्यकारिणी के फैसले को राष्ट्रीय अधिवेशन ने भी अनुमोदित कर दिया है.
इसके साथ ही बैठक में पार्टी के संविधान में संशोधन करते हुए राष्ट्रीय अध्यक्ष और संसदीय बोर्ड को और ज्यादा ताकतवर बना दिया गया है.
बीजेपी राष्ट्रीय महासचिव सुनील बंसल ने राष्ट्रीय अधिवेशन की बैठक के दूसरे और अंतिम दिन पार्टी संविधान के कुछ प्रावधानों में संशोधन का प्रस्ताव पेश किया, जिसे सर्वसम्मति से स्वीकार कर लिया गया.
संशोधन के मुताबिक, अब पार्टी का संसदीय बोर्ड परिस्थिति के अनुसार राष्ट्रीय अध्यक्ष के कार्यकाल को बढ़ाने या घटाने का फैसला कर सकता है. यह भी संशोधन किया गया है कि संसदीय बोर्ड में कोई भी नया सदस्य बनाने या हटाने का अधिकार पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष का होगा. हालांकि, अध्यक्ष के फैसलों को बाद में मंजूरी (अनुमोदन) के लिए संसदीय बोर्ड की बैठक में रखा जाएगा.
पार्टी में अब तक चले आ रहे नियमों के अनुसार, पार्टी अध्यक्ष का चुनाव एक निर्वाचक मंडल द्वारा किया जाता है, जिसमें राष्ट्रीय परिषद और प्रदेश परिषद के सभी सदस्य शामिल होते हैं, लेकिन इससे पहले पार्टी को जिला स्तर से लेकर राज्य स्तर तक चुनाव की लंबी प्रक्रिया से गुजरना पड़ता हैं.
पुराने नियमों में एक शर्त यह भी थी कि कोई भी नेता पूरे कार्यकाल के लिए सिर्फ दो बार ही लगातार अध्यक्ष चुना जा सकता है.
निर्वाचक मंडल में से कोई भी बीस सदस्य राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के चुनाव की योग्यता रखने वाले व्यक्ति के नाम का संयुक्त रूप से प्रस्ताव कर सकते हैं. यह संयुक्त प्रस्ताव कम-से-कम ऐसे पांच प्रदेशों से आना जरूरी है, जहां राष्ट्रीय परिषद के चुनाव संपन्न हो चुके हों. नामांकन पत्र पर उम्मीदवार की स्वीकृति जरूरी है.
कांग्रेस पार्टी का प्रशासन "भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नियम और संविधान" नाम की नियमावली से चलता है. इस नियमावली के अनुच्छेद 18 में अध्यक्ष पद के चुनाव संबंधी बातें का जिक्र किया गया है.
चुनाव के लिए रिटर्निंग ऑफिसर (वह व्यक्ति जो पूरी चुनावी प्रक्रिया की देखरेख करता है), केंद्रीय चुनाव प्राधिकरण (सीईए) का अध्यक्ष होगा. यहां कांग्रेस सीईए के अध्यक्ष मधुसूदन मिस्त्री हैं. अब इस नियमावली का अनुच्छेद 3 पार्टी को इन उप-समितियों में बांटता है:
अखिल भारतीय कांग्रेस समिति
कार्यकारी समिति
प्रदेश कांग्रेस समिति
जिला कांग्रेस समिति
उप समितियां, जैसे ब्लॉक या विधानसभा कांग्रेस समितियां
अनुच्छेद 18 कहता है कि कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव प्रदेश कांग्रेस समितियों (पीसीसी) के प्रतिनिधियों द्वारा किया जाएगा.
अगर अध्यक्ष पद के लिए दो लोग खड़े होते हैं, तो इन प्रतिनिधियों को सीक्रेट बैलेट के जरिए एक के पक्ष में मतदान करना होगा.
अगर अध्यक्ष पद के लिए सिर्फ एक ही प्रत्याशी खड़ा होता है, तो वो स्वाभाविक तौर पर अगले सत्र के लिए अध्यक्ष चुन लिया जाता है. यह चीज का जिक्र भी अनुच्छेद 18 में ही है.
अगर 2 से ज्यादा प्रतिनिधि खड़े होते हैं, तब सभी मतदाताओं को अपने मतपत्र में एक और दो नंबर दर्ज कर, दो विकल्प चुनने पड़ते हैं. अगर किसी प्रतिनिधि ने दो विकल्प नहीं चुने तो उसका मतपत्र अवैधानिक माना जाता है.
कोई भी 10 प्रतिनिधि मिलकर अपने बीच के किसी व्यक्ति को अध्यक्ष प्रत्याशी बनाए जाने की घोषणा कर सकते हैं.
तो इन्हीं प्रतिनिधियों या डेलिगेट्स के इलेक्टोरल रोल को सार्वजनिक करने की मांग शशि थरूर, कार्ति चिदंबरम, प्रद्युत बोरदोलोई, मनीष तिवारी और अब्दुल खलीक ने सितंबर 2022 में की थी.
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