Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019India Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019जिस नॉर्थ ईस्ट में BJP की थी नो एंट्री,वहां कैसे बने 4 मुख्यमंत्री

जिस नॉर्थ ईस्ट में BJP की थी नो एंट्री,वहां कैसे बने 4 मुख्यमंत्री

2014 में आई मोदी सरकार के बाद नॉर्थ ईस्ट में कैसे हुआ बीजेपी का उदय

मुकुंद झा
भारत
Updated:
2014 में आई मोदी सरकार के बाद नॉर्थ ईस्ट में कैसे हुआ बीजेपी का उदय
i
2014 में आई मोदी सरकार के बाद नॉर्थ ईस्ट में कैसे हुआ बीजेपी का उदय
(फोटोः Quint Hindi)

advertisement

साल 2014 में जब बीजेपी ने केंद्र की सत्ता संभाली थी, उस वक्त नॉर्थ ईस्ट के किसी राज्य में उसकी सरकार नहीं थी, आज नॉर्थ ईस्ट के सभी राज्यों में बीजेपी और उसके सहयोगी दल सत्ता में काबिज हैं. 4 राज्यों में बीजेपी के मुख्यमंत्री हैं और बाकी 4 में नेडा(नॉर्थ ईस्ट डेमोटक्रेटिक अलायंस) के. 2014 में बीजेपी 25 में से सिर्फ 8 लोकसभा सीटें जीत पाई थी, आज उसके अपने 14 और NDA के 18 सांसद हैं. तो आखिर पांच साल में नॉर्थ ईस्ट पर भगवा रंग कैसे चढ़ा?

पिछले 5 साल पर नजर डालें तो बीजेपी ने नॉर्थ ईस्ट को फतह करने के लिए साम, दाम, दंड, भेद, हर चीज का इस्तेमाल किया.

'लुक ईस्ट' से 'एक्ट ईस्ट' पॉलिसी

पीवी नरसिम्हा राव की सरकार में साल 1991 में पूर्वी एशियाई देशों के साथ द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने और चीन के सामने बड़ी चुनौती पेश करने के मकसद से लुक ईस्ट पॉलिसी लाई गई थी. नरसिम्हा राव सरकार के बाद की सरकारों ने भी इस पॉलीसी को जारी रखा. लेकिन बड़ा बदलाव आया जब पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने इसे बदलकर 'एक्ट ईस्ट पॉलिसी' कर दिया.

‘‘नॉर्थ ईस्ट के राज्य भारत के दक्षिण एशियाई देशों के साथ रिश्तों को मजबूत करने में सबसे महत्वपूर्ण किरदार निभाते हैं. इसलिए हवाई मार्ग, रोड, रेलमार्ग, जलमार्ग और सूचना के माध्यमों को बेहतर करने पर जोर दिया जाना जरूरी है. उत्तर पूर्वी राज्यों और सीमाओं पर बेहतरीन इन्फ्रास्ट्रक्चर के लिए लगातार विकास जरूरी है.’’
जनरल वीके सिंह (2018 में तत्कालीन विदेश राज्यमंत्री)

नॉर्थ ईस्ट स्पेशल इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट स्कीम

मोदी सरकार की ओर से नॉर्थ ईस्ट के विकास के लिए निवेश की बात करें तो केंद्र सरकार साल 2017 में नॉर्थ ईस्ट स्पेशल इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट स्कीम लेकर आई. इसके तहत साल 2017-18 से 2019-20 के बीच 1600 करोड़ का बजट तय किया गया. इसका बड़ा हिस्सा असम (27.78%) को मिला था. लुक ईस्ट पॉलिसी का असर नॉर्थ ईस्ट के युवा वर्ग में ज्यादा देखा गया है. बीते कई चुनावों में पीएम मोदी के प्रति वहां के लोगों का झुकाव खुलकर सामने आया है.

नॉर्थ ईस्ट डेमोक्रेटिक अलायंस

इसका गठन साल 2016 में हुआ था. इस गठबंधन में बीजेपी उत्तर पूर्व के कई क्षेत्रीय दलों को अपने साथ लाने में कामयाब रही. इसमें कई ऐसे दल भी जुड़े जो वैचारिक तौर पर बीजेपी से मेल नहीं खाते. इस गठबंधन का उद्देश्य सभी नॉन कांग्रेस दलों को साथ लाना और राज्यों के हितों के हिसाब से नीति निर्धारण करना है.

जब बीजेपी में शामिल हुए थे हिमंता बिस्वा सर्मा(फाइल फोटोः Facebook/Himanta Biswa Sarma)

कांग्रेस छोड़ बीजेपी में आए हिमंता बिस्वा सर्मा को इसका संयोजक बनाया गया. हिमंता बिस्वा सर्मा को बीजेपी को नॉर्थ ईस्ट की राजनीति में मुख्यधारा में लाने का क्रेडिट दिया जाता है. NEDA बनने के बाद बीजेपी का इन राज्यों में तेजी से प्रसार हुआ है. नॉर्थ ईस्ट के विधानसभा चुनावों में बीजेपी का बढ़ता वोट प्रतिशत और दूसरी पार्टियों से इम्पोर्ट होते नेताओं/विधायकों की बड़ी संख्या इसके सबूत हैं.

संघ का रोल

बीजेपी की मातृसंस्था राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ आजादी के पहले से नॉर्थ ईस्ट में काम कर रही है. वहां जाकर सबसे पहले शाखा लगाने से संघ का काम शुरू हुआ. इसके बाद संघ नॉर्थ ईस्ट में फैलता गया. जैसे-जैसे वक्त बीता संघ की पैठ इस क्षेत्र में बढ़ी.

संघ ने स्कूलों और सामाजिक कामों में वहां स्वीकृति पाई. वहां रहने वाले प्रचारकों का कहना है कि वहां का जीवन, खान-पान अलग होने के बावजूद संघ के प्रचारकों ने धैर्य के साथ काम किया और इसका नतीजा हम बीजेपी के ग्राउंड लेवल पर मजबूत होने में देख सकते हैं.

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

कैसे-कैसे बनी सरकारें?

अरुणाचल प्रदेश

सबसे हैरअंगेज तरीके से बीजेपी ने अरुणाचल प्रदेश में सरकार बनाई. अरुणाचल प्रदेश के मौजूदा मुख्यमंत्री पेमा खांडू सितंबर 2016 में कांग्रेस छोड़कर पीपल्स पार्टी ऑफ अरुणाचल में शामिल हो गए. इसके बाद उन्होंने दिसंबर 2016 में ही बीजेपी में शामिल होने का फैसला किया.

पीपीए ने तय किया कि उनकी जगह किसी और को सीएम बनाया जाएगा लेकिन फ्लोर टेस्ट में पेमा खांडू ने बहुमत हासिल कर लिया. इस तरह से बीजेपी ने नॉर्थ ईस्ट में अपनी पहली सरकार बनाई. 2014 में बीजेपी ने जहां 31 फीसदी वोट शेयर के साथ 11 सीटें जीती थी वो 2019 के विधानसभा चुनाव में 50 फीसदी वोट शेयर के साथ 41 सीटें जीतीं.

असम

कांग्रेस की अभी तक जितनी भी गलतियां गिनाई जाती हैं उनमें से एक ये भी है कि वो हिमंता बिस्वा सर्मा को रोक नहीं पाए. बीजेपी के लिए हिमंता बिस्वा सर्मा नॉर्थ ईस्ट में संजीवनी साबित हुए. सर्मा ने 2015 में कांग्रेस छोड़ बीजेपी का दामन थामा. 2016 में हुए विधानसभा चुनावों में बीजेपी ने भारी जीत दर्ज की. इसके बदले सर्मा को कैबिनेट में मंत्रीपद और NEDA संयोजक की कुर्सी मिली.

हिमंता बिस्वा सर्मा(फोटोः PTI)

नॉर्थ ईस्ट में बीजेपी से जो भी बड़े नेता जुड़े हैं, उसमें कहीं न कहीं सर्मा का हाथ जरूर रहा. खैर..असम विधानसभा की बात करें तो 2011 में बीजेपी सिर्फ 5 सीटों पर ही खाता खोल पाई थी लेकिन 2016 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी 60 सीटों के साथ अकेली सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी और सहयोगी पार्टियों की 26 और सीटें मिलाकर सरकार बनाई.

मणिपुर

मणिपुर बीजेपी के लिए सरप्राइज बनकर आया. 2012 के विधानसभा चुनाव में खाता तक न खोल पाने वाली पार्टी ने 2017 में NEDA के बूते राज्य में सरकार बना ली. गठबंधन ने 60 में से 41 सीटें जीतीं, जिसमें से 31 बीजेपी की थी.

मणिपुर में कांग्रेस की लगातार तीन बार सरकार बनी थी. ये भी कहा गया कि कांग्रेस के हारने के पीछे एंटी-इनकंबेसी बड़ा फैक्टर रहा.

त्रिपुरा सीएम बिप्लब कुमार देब के साथ अमित शाह(फोटोः BJP)

त्रिपुरा

वामपंथ का गढ़ कहे जाने वाले त्रिपुरा में बीजेपी ने 2018 में सरकार बनाई. ऐसा कहा गया कि ये वो मौका था, जब भारतीय राजनीति से वामपंथी धड़े को आधिकारिक तौर पर विदाई दे दी गई. त्रिपुरा में बीजेपी ने इंडिजीनिस पीपल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा के साथ गठबंधन किया और चुनाव लड़ा. बीजेपी ने 35 सीटों पर कब्जा किया और बीजेपी को 43.6 फीसदी भी वोट मिले. बीजेपी ने त्रिपुरा से 25 साल सत्ता में बैठी माणिक सरकार को बाहर का रास्ता दिखाया.

नॉर्थ ईस्ट के चार राज्यों में बीजेपी के मुख्यमंत्री हैं. वहीं बाकी राज्यों NEDA के सहयोगी दलों के मुख्यमंत्री हैं.

मेघालय

अरुणाचल प्रदेश के बाद मेघालय में बीजेपी ने सबसे ड्रामेटिक तरीके से सरकार बनाई. यहां भी हिमंता बिस्वा ने ही गेम खेला. 60 सीटों वाली विधानसभा में किसी को बहुमत नहीं मिला था. बीजेपी के खाते में सिर्फ 2 सीटें थी. सर्मा ने 6 गैर कांग्रेसी दलों को जोड़कर सरकार बना दी और 'कांग्रेस मुक्त भारत' के सफर में एक और मुकाम हासिल किया.

सिक्किम

सिक्किम में बीजेपी ने पहली बार साल 2004 में अपना कोई कैंडिडेट चुनाव में उतारा था लेकिन तब से वहां जीत पाने में कामयाब नहीं रही. 2019 विधानसभा के चुनाव में बीजेपी ने 32 कैंडिडेट उतारे थे लेकिन एक भी नहीं जीता.

हाल ही में खबर आई है कि विपक्षी पार्टी और NEDA के सहयोगी SDF के 10 विधायक बीजेपी में शामिल हो गए हैं. हालांकि सिक्किम में सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा की सरकार है. ऐसा शायद पहली बार हुआ है कि बीजेपी जीरो विधायक होने के बाद भी किसी राज्य में मुख्य विपक्षी पार्टी बन गई हो.

सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट के 10 विधायक बीजेपी में शामिल (फोटोः PTI)

नागालैंड

नागालैंड में पिछले 2 बार से एनपीपी और एनडीपीपी की सरकार रही है. दोनों ही एनडीए के घटक दल रहे हैं लेकिन 2018 के विधानसभा चुनाव में ये अलग-अलग लड़े और 60 सीटों वाली विधानसभा में किसी को बहुमत नहीं मिला. 21 सीटों वाली एनडीपीपी को बीजेपी (12 सीट) ने सपोर्ट किया और सरकार बनाई. इस तरह से बीजेपी एक और राज्य में सरकार बनाने में कामयाब हो गई.

(फोटोः )

मिजोरम

मिजोरम ईसाई बहुल राज्य है. इस राज्य में बीजेपी का सत्ता में आना न के बराबर माना जाता है. फिर भी 2018 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी 1 सीट लाने में कामयाब रही. मिजोरम में मिजो नेशनल फ्रंट की सरकार है. चुनाव से पहले बीजेपी और एमएनएफ के बीच गठबंधन नहीं हुआ था. हालांकि, एमएनएफ 1999 से ही एनडीए का हिस्सा है और NEDA का भी.

एक वक्त था जब भारत के ये 8 राज्य बीजेपी की पहुंच से दूर थे. लेकिन आज इनमें से हर राज्य में बीजेपी प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से सरकार में भागीदार है. इंडिया टुडे को दिए एक इंटरव्यू में हिमंता बिस्वा सर्मा ने कहा था कि बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने उनको 25 में 18 सीटें जीतने का टारगेट दिया था और बीजेपी ने वो टारगेट पूरा कर लिया.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

Published: 16 Aug 2019,09:44 PM IST

Read More
ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT