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इस तरह बॉलीवुडिया अंदाज में पूरा हुआ केजरीवाल सरकार का एक साल...

पढ़िए कैसी नजर आती है अरविंद केजरीवाल की एक साल की यात्रा, बॉलीवुड के लेेंस से.

नमिता हांडा
भारत
Published:
अरविंद केजरीवाल को दिल्ली का मुख्यमंत्री बने एक साल पूरा हो चुका है. (फोटो: द क्विंट)
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अरविंद केजरीवाल को दिल्ली का मुख्यमंत्री बने एक साल पूरा हो चुका है. (फोटो: द क्विंट)
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14 फरवरी को सिर्फ वेलेंटाइंस डे ही नहीं था, अरविंद केजरीवाल के कैलेंडर में भी ये दिन ऐतिहासिक है. ऐतिहासिक, क्योंकि इसी दिन दिल्ली में केजरीवाल सरकार ने एक साल पूरा किया है.

जी हां, पिछली बार के 49 दिन के प्रोमो के बाद पूरे 365 दिन की फिल्म. पर ये एक साल ऐसे वक्त में पूरा हो रहा है, जब दिल्ली के पास प्रदूषित हवा और कचरे की दुर्गंध में सांस लेने के अलावा कोई चारा नहीं.

पिछले एक साल में काफी कुछ हुआ और इस ‘काफी कुछ’ करते हुए ‘आम आदमी’ की एक साल की कहानी को बॉलीवुड फिल्में सबसे दिलचस्प अंदाज में पेश कर सकती हैं. पर श्रीमान, हम उम्मीद करते हैं कि आपके अंदर मौजूद एक फिल्म क्रिटि‍क कहीं इस बारे में ज्यादा संजीदा न हो जाए, क्योंकि हम एक देश के राष्ट्रपति का स्वागत चप्पल पहनकर नहीं करते.

शुरुआत

डोंट अंडरएस्टिमेट द पावर ऑफ अ कॉमन मैन!

दिल्ली विधानसभा की 70 में से 67 सीटें जीतकर केजरीवाल ‘द रियल हीरो’ बनकर सामने आए और उन्होंने अपने आलोचकों के मुंह पर ताले लगा दिए.

इस ‘नायक’ ने अपने मिडि‍ल क्लास मफलर और चप्पल को खुद से कभी दूर नहीं किया और फ्री बिजली और पानी देने का वादा कर आम आदमी को खुश करने की कोशिश की. आम आदमी के इस उदय ने भारत के राजनीतिक इतिहास में एक नया पन्ना जोड़ा, जिसका असर बिहार और पंजाब में भी देखने को मिला.

थ्री कंपनी

जब बिल्ली दूर थी, तो चूहों ने शोर मचाया. यानी केजरीवाल जब बेंगलुरु में मजे कर रहे थे, तो प्रशांत भूषण और योगेंद्र यादव ने जो किया, वो बॉस को पसंद नहीं आया. बॉस ने कर दी उनकी छुट्टी और ये दोनों बन गए ‘आप’ के ‘फुकरे’.

पर केजरीवाल के लिए बुरे वक्त की शुरुआत हो गई. सोचा था, पार्टी को अच्छे से चलाएंगे, पर ये क्या, यहां तो सोमनाथ भारती पर भी घरेलू हिंसा का आरोप लग गया.

फाइट क्लब

केजरीवाल और उपराज्यपाल नजीब जंग के बीच चलने वाले शब्दों के बाण खत्म होते नजर नहीं आते. लगता है, ये दोनों जब तक रहेंगे, जनता का मनोरंजन करते रहेंगे.

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आजा मेरी गाड़ी में बैठ जा

ऑड-ईवन फॉर्मूले से सिर्फ दिल्ली का प्रदूषण ही कम नहीं हुआ, बल्कि कई लोगों को इससे फायदा भी हुआ. इसने दिल्लीवालों को काम करने के कुछ घंटे दे दिए और गुलाबों की बिक्री बढ़ा दी.

केजरीवाल को तो और भी फायदा हुआ, उन्हें परिवहन मंत्री, गोपाल सिंह और स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन के साथ राइड शेयर कर ईंधन के पैसे बचाने का मौका मिल गया. इस स्कीम से इतना फायदा हुआ कि केजरीवाल इसे दोबारा लागू करने के बारे में सोच रहे हैं.

आप का परिवार

शहर को साफ और हवा को प्रदूषण से दूर रखने के बारे में मत सोचिए. केजरीवाल सरकार ने तो दिल्ली सरकार के खजाने को ही साफ करने का ही प्लान बना लिया, मंत्रियों और विधायकों की पूरी 400 फीसदी तनख्वाह बढ़ा कर.

वेलकम बैक 2!

बैंग बैंग, रात भर धरना कर,

तू मेरे साथ चल, दिल्ली पे चला फिर जादू मेरा...

बैंग बैंग (Ooo...), बैंग बैंग (Ooo...)

(इलस्ट्रेशन: लिजूमोल जोसफ)

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