advertisement
मकर सक्रांति भारत का प्रमुख त्योहार है. भारत के अलग-अलग राज्यों में इस त्योहार को उस समय बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है, जब पौष माह यानी जनवरी के महीने में सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है. मकर संक्रांति के इस पर्व को स्नान-दान के पर्व के रूप में भी मनाया जाता है.
वैसे इस पर्व को हर्षोल्लास के साथ मनाने के पीछे आम तौर पर यह मान्यता है कि किसान अपनी अच्छी फसल के लिए ईश्वर को धन्यवाद देकर उनकी अनुकंपा और आशीर्वाद की कामना करते हैं. यही कारण है कि पर्व को ‘किसानी पर्व’ भी कहा जाता है. हम आपको भारत के राज्यों में विभिन्न तरीके से मनाए जाने वाले इस पर्व के बारे मेरे में बताते हैं.
भारत के सबसे बड़े राज्यों में से एक उत्तर प्रदेश में इस त्योहार को ‘खिचड़ी’ या ‘दान-पर्व’ के रूप में मनाया जाता है. इस मौके पर इलाहाबाद में ‘माघ मेले’ की शुरुआत होती और इस मेले का पहला स्नान इसी दिन किया जाता है. इसके अलावा लोग बड़ी संख्या में खिचड़ी का सेवन करने के साथ-साथ उसका दान भी करते हैं.
बिहार में भी इस त्योहार को ‘खिचड़ी’ के रूप में मनाया जाता है. राज्य में इस मौके पर तिल, चावल, उड़द, चिवड़ा, का दान करने का प्रचलन है. यह सब दान करते हुए यहां के स्थानीय लोग इस पर्व को बड़े हर्षोल्लास से मनाते हैं.
पंजाब और हरियाणा में इस त्योहार को ‘लोहड़ी’ के रूप में मनाया जाता है. इस दिन दिन ढलते ही लोग अग्निदेव की पूजा-अर्चना करते हुए चावल, तिल, गुड़ और भुने हुए मक्का की आहुति देते हैं. लोग एक-दूसरे को गजक और रेवड़ियां देते हैं और साथ ही मक्के की रोटी के साथ सरसों का साग खाते हैं.
पश्चिम बंगाल में इस पर्व पर गंगास्नान के लिए एक विशाल मेला लगता है और स्नान के बाद तिल-दान की प्रथा है. इस मेले की शोभा देखते ही बनती है. लोग मेले का आनंद उठाने और गंगास्नान के लिए दूर-दराज के इलाकों से आते हैं.
तमिलनाडु में इस त्योहार को ‘पोंगल’ के रूप में मनाया जाता है और वह भी 4 दिनों तक. इस त्योहार को पहले दिन ‘भोंगी पोंगल’, दूसरे दिन ‘सूर्य पोंगल’, तीसरे दिन ‘मट्टू पोंगल’ और चौथे दिन ‘कन्या पोंगल’ के रूप में मनाया जाता है. इस अवसर पर खुले आंगन में खीर बनाई जाती है, जिसे ‘पोंगल’ कहा जाता है.
असम में इस पर्व को ‘माघ बिहू’ या ‘भोगाली बिहू’ के नाम से मनाया जाता है. इस मौके पर वहां के लोग अपना सबसे लोकप्रिय पकवान ‘पिठा’ तैयार करते हैं. वहां इस त्योहार को एक हफ्ते तक मनाया जाता है. रात के समय अलाव जलाकर उसके आसपास लोग इकट्ठे होते हैं और मिल-जुलकर लोकगीत गाते हुए इस पर्व का आनंद उठाते हैं.
महाराष्ट्र में यह पर्व कुछ अलग ही तरीके से मनाया जाता है. इस दिन सभी विवाहित महिलाएं एक-दूसरे को कपास, तिल, नमक इत्यादि चीजों दान करती हैं.
गुजरात में इस त्योहैार को ‘उत्तरायण’ के रूप में मनाया जाता है. इस दिन बड़ी संख्या में लोग पतंग उड़ाते हैं और पर्व का आनंद उठाते हैं.
कर्नाटक में इस पर्व को मनाने की प्रथा भी बड़ी निराली है. इस दिन बैलों और गायों को सजा-धजाकर बड़ी धूमधाम से शोभायात्रा निकाली जाती है और आपस में सूखे नारियल और भुने चने दिए जाते हैं..
उत्तराखंड में इस पर्व को ‘उत्तरायणी’ के रूप में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है.
केरल में इस त्योहार को विलाक्कू कहा जाता है, जबकि झारखंड के लोग इस त्योहार को ‘टुसू’ पर्व के रूप में मनाते हैं. इस अवसर पर झारखंड के आदिवासी लोग मांसाहार का सेवन करते हैं.
मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में उत्तर प्रदेश की तरह इस ये त्योहार मनाया जाता है.. इस दिन लोग खिचड़ी बनाने के साथ-साथ तिल के लड्डू बनाते हैं और साथ ही गुजिया भी बनाते हैं और आपस में बांटते हैं.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)