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महिलाओं के खिलाफ अपराध बढ़े, फिर भी ‘निर्भया फंड’ की अनदेखी

‘निर्भया फंड’ के पैसे खर्च करने में सभी राज्य नाकाम रहे हैं

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प्यारी डॉक्टर बहन, उस टोल प्लाजा पर तुम ही नहीं, मैं भी खड़ी थी.
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प्यारी डॉक्टर बहन, उस टोल प्लाजा पर तुम ही नहीं, मैं भी खड़ी थी.
(फोटो: द क्विंट)

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हैदराबाद में महिला वेटरनरी डॉक्टर के रेप और मर्डर की घटना से इस वक्त देशभर में रोष है. इस बीच सामने आया है कि महिलाओं के खिलाफ अपराधों में बढ़ोतरी के बावजूद ज्यादातर राज्यों ने महिला सुरक्षा पर ढीला रवैया अपनाया हुआ है.

केंद्र सरकार की तरफ से महिला सुरक्षा के लिए गठित ‘निर्भया फंड’ के पैसे खर्च करने में सभी राज्य नाकाम रहे हैं और कुछ राज्यों ने तो एक पैसा भी खर्च नहीं किया है.

लोकसभा में प्रश्नकाल के दौरान निर्भया कोष के आवंटन के संबंध में सरकार ने जो आंकड़े दिए हैं, उनके मुताबिक आवंटित धनराशि में से 11 राज्यों ने एक पैसा भी खर्च नहीं किया. इन राज्यों में महाराष्ट्र, मणिपुर, मेघालय, सिक्किम, त्रिपुरा के अलावा दमन और दीव शामिल हैं. दिल्ली ने 390.90 करोड़ रुपये में सिर्फ 19.41 करोड़ रुपये खर्च किए.

उत्तर प्रदेश ने निर्भया फंड के तहत आवंटित 119 करोड़ रुपये में से सिर्फ 3.93 करोड़ रुपये खर्च किए. कर्नाटक ने 191.72 करोड़ रुपये में से 13.62 करोड़ रुपये, तेलंगाना ने 103 करोड़ रुपये में से केवल 4.19 करोड़ रुपये खर्च किए. आंध्र प्रदेश ने 20.85 करोड़ में से केवल 8.14 करोड़ रुपये, बिहार ने 22.58 करोड़ रुपये में से मात्र 7.02 करोड़ रुपये खर्च किए.

बता दें कि दिल्ली में 2012 में हुए जघन्य निर्भया गैंगरेप केस के बाद सरकार ने महिलाओं की सुरक्षा के लिए समर्पित एक विशेष फंड की घोषणा की थी, जिसका नाम 'निर्भया फंड' रखा गया था.

गुजरात ने निर्भया फंड के तहत आवंटित 70.04 करोड़ रुपये में से 1.18 करोड़ रुपये, मध्य प्रदेश ने 43.16 करोड़ रुपये में से 6.39 करोड़ रुपये, तमिलनाडु ने 190.68 करोड़ रुपये में से 6 करोड़ रुपये, पश्चिम बंगाल ने 75.70 करोड़ रुपये में से 3.92 करोड़ रुपये खर्च किए.

संसद में पेश आंकड़ों के मुताबिक, महिला और बाल विकास मंत्रालय से जुड़ी योजनाओं के लिए 36 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को महिला हेल्पलाइन, वन स्टॉप सेंटर स्कीम सहित कई योजनाओं के लिए पैसा आवंटित किया गया था.

दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, झारखंड, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, दादरा नगर हवेली और गोवा जैसे राज्यों को महिला हेल्पलाइन के लिए दिए गए पैसे जस के तस पड़े हैं. वन स्टॉप स्कीम के तहत बिहार, दिल्ली, कर्नाटक, लक्षद्वीप, पुडुचेरी, पश्चिम बंगाल ने एक पैसा खर्च नहीं किया. महिला पुलिस स्वयंसेवक योजना के लिए आवंटित राशि में अंडमान निकोबार, झारखंड, कर्नाटक, मध्यप्रदेश, मिजोरम, नगालैंड, त्रिपुरा और उत्तराखंड ने कोई राशि खर्च नहीं की.

न्याय विभाग की तरफ से 11 राज्यों को दिए गए फंड में से किसी भी राज्य ने एक पैसा खर्च नहीं किया. न्याय विभाग ने निर्भया कोष के तहत परियोजनाओं को आगे बढ़ाने के लिए झारखंड, कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, मणिपुर, नगालैंड, ओडिशा, राजस्थान, त्रिपुरा और उत्तराखंड को पैसे आवंटित किए थे.

लोकसभा में दीया कुमारी के सवाल के लिखित जवाब में महिला और बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों को पेश किया, जो महिलाओं के खिलाफ आपराधिक घटनाओं में बढ़ोतरी को स्पष्ट करते हैं. इन अपराधों में रेप, घरेलू हिंसा, मारपीट, दहेज प्रताड़ना, एसिड हमला, अपहरण, मानव तस्करी, साइबर अपराध और कार्यस्थल पर उत्पीड़न आदि शामिल हैं.

एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक, साल 2015 में महिलाओं के खिलाफ अपराध के 3.29 लाख मामले दर्ज किए गए. 2016 में इस आंकड़े में 9,711 की बढ़ोतरी हुई और इस दौरान 3.38 लाख मामले दर्ज किए गए. इसके बाद 2017 में 3.60 लाख मामले दर्ज किए गए.

साल 2015 में रेप के 34,651 मामले, 2016 में रेप के 38,947 मामले और 2017 में ऐसे 32,559 मामले दर्ज किए गए.

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Published: 02 Dec 2019,08:08 AM IST

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