advertisement
(अगर आपको खुद को चोट पहुंचाने के ख्याल आते हैं, या आप जानते हैं कि कोई मुश्किल में है, तो कृपया उनसे सहानुभूति दिखाएं और स्थानीय इमरजेंसी सर्विस, हेल्पलाइन और मेंटल हेल्थ NGO के इन नंबरों पर कॉल करें.)
3 अप्रैल को हैदराबाद (Hyderabad) के हयातनगर में कथित तौर पर पेनुमला विद्या प्रियंका नाम की NEET अभ्यर्थी की खुदकुशी से मौत का मामला सामने आया. परिवार के सदस्यों का कहना है कि हो सकता है कि वह पढ़ाई की वजह से तनाव में थी, लेकिन उसकी जान दलित होने की वजह से गई.
हयातनगर पुलिस के मुताबिक, हयातनगर के एक कोचिंग संस्थान में NEET की तैयारी कर रही विद्या ने सोमवार रात साढ़े नौ बजे के बाद अपने हॉस्टल की चौथी मंजिल से छलांग लगा दी. इसके बाद उसे एक प्राइवेट हॉस्पिटल ले जाया गया, जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई.
हालांकि, पुलिस ने कहा कि उसके रूममेट्स के बयानों के मुताबिक विद्या तनाव में थी और उसे पढ़ाई में मुश्किलें आ रही थीं.
पुलिस ने कहा कि आईपीसी की धारा 306 (आत्महत्या के लिए उकसाना) और एससी/एसटी अत्याचार (रोकथाम) अधिनियम के तहत संबंधित धाराओं में केस दर्ज किया गया है. अभी किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है.
मृतका के चचेरे भाई चंद्र शेखर ने द क्विंट से बात करते हुए कहा कि विद्या, हयातनगर के दावों इंटरनेशनल मेडिकल एकेडमी (Davao International Medical Academy) में MBBS की पढ़ाई कर रही थी. यह कॉलेज फिलीपींस में दावो मेडिकल स्कूल फाउंडेशन (Davao Medical School Foundation) से संबद्ध है. एक बार जब विद्या अपना NEET पास कर लिया, तो उसको फिलीपींस जाने की उम्मीद थी.
शेखर ने दावा किया कि जब वह मार्च में NEET एग्जाम के लिए आवेदन कर रही थी, तो उसके रूममेट्स को उसकी जाति के बारे में पता चला. उसने उनके साथ कुछ दस्तावेज शेयर किए थे ताकि वे उसके एप्लीकेशन में मदद कर सकें, लेकिन अचानक उनका व्यवहार बदल गया.
उन लोगों ने उस रिजर्वेशन सिस्टम को लेकर भी आरोप लगाया और दोषी ठहराया. इसके अलावा लड़कियों ने यह भी कहा कि उसकी वजह से उन लोगों को मौके नहीं मिल रहे हैं.
विद्या के पिता ने FIR में कहा कि विद्या ने हम लोगों को अपने रूममेट्स के कथित व्यवहार के बारे में बताया था.
चंद्र शेखर ने बताया कि सोमवार को विद्या ने अपने पिता से कई बार फोन पर बात की थी. आखिरी बार उसने 9:30 बजे के आसपास कॉल की थी. वह बहुत खुशी से बोली और उसने कहा कि रात 9:30 बजे उसकी ट्यूशन क्लास है और फोन रख दिया. 9:45 बजे के बाद उसके माता-पिता को फोन आया कि उसे एक हॉस्पिटल में ले जाया जा रहा है.
चंद्र शेखर ने कहा कि विद्या हमेशा डॉक्टर बनना चाहती थी. यकीकन उन्होंने परिवार की अन्य महिलाओं को एमबीबीएस करने के लिए प्रोत्साहित किया था.
उन्होंने दावा किया कि उसके परिवार ने उसे कोचिंग संस्थान में एडमिशन दिलाने के लिए 5 लाख रुपये खर्च किए थे.
द क्विंट से बात करते हुए हयातनगर पुलिस के इंस्पेक्टर एच वेंकटेश्वरलु (H Venkateshwaralu) ने कहा कि उसके रूममेट्स के बयान के मुताबिक, विद्या काम के बोझ के कारण तनाव में थी. विद्या को व्यक्तिगत समस्याएं थीं और पढ़ाई में परेशानी होती थी. वह बहुत परेशान थी.
विद्या के पास से कथित तौर पर एक नोट भी मिला है. जबकि इंस्पेक्टर ने द क्विंट को बताया कि वे इसे वेरिफाई करने के प्रोसेस में हैं. इस नोट में कहा गया है कि उसकी मौत के लिए कोई भी जिम्मेदार नहीं है.
इस नोट में (जिसकी एक कॉपी द क्विंट के बास भी है) कथित तौर पर विद्या अपने भाई, तरुण साईं से अपने माता-पिता की देखभाल करने के कहा. इसमें उसने अपने परिवार से माफी भी मांगी है और बुरा ना मानने की बात कहती है.
द क्विंट ने दावाओ मेडिकल एकेडमी (Davao Medical Academy) से फोन पर बात की लेकिन कोई जवाब नहीं आया. उनके उत्तर देने के बाद आर्टिकल को अपडेट किया जाएगा.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)