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भारतीय वायुसेना (IAF) ने लद्दाख़ के एडवांस लैंडिंग ग्राउंड में दुनिया में सबसे ऊंचे एयर ट्रैफिक कंट्रोल (ATC) टावरों में से एक टॉवर का निर्माण किया है. ATC द्वारा पूर्वी लद्दाख में चल रहे विमानों और हेलीकॉप्टरों के संचालन पर नियंत्रण किया जाता है.
भारत पूर्वी लद्दाख में दौलत बेग ओल्डी (DBO), फुकचे और न्योमा सहित कई हवाई क्षेत्र भी विकसित करने पर विचार कर रहा है. ये स्थान चीन के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) से बस कुछ ही मिनटों की दूरी पर हैं.
वायुसेना ने किसी विमान द्वारा हवाई घुसपैठ से निपटने के लिए इग्ला मैन पोर्टेबल एयर डिफेंस मिसाइलों को भी तैनात किया है.
भारतीय वायुसेना पूर्वी लद्दाख़ में ऑपरेशन करने के लिए राफेल और मिग-29 सहित लड़ाकू विमानों की नियमित रूप से तैनाती कर रही है. पैंगोंग त्सो और गोगरा हाइट्स सहित दो स्थानों पर सैनिकों की वापसी हुई है लेकिन दोनों पक्षों ने डीएस्केलेट नहीं किया है.
गौरतलब है कि चीन पिछले साल से लगातार सैनिकों को इकट्ठा कर रहा था और एक अभ्यास की आड़ में आक्रमण किया, जिसके बाद भारतीय सुरक्षा बलों ने मुंहतोड़ जवाबी कार्रवाई की थी.
4 अगस्त को रक्षा मंत्रालय ने जानकारी दी थी कि बॉर्डर रोड ऑर्गनाइजेशन (बीआरओ) ने पूर्वी लद्दाख में ही दुनिया की सबसे ऊंची सड़क बनाने का कीर्तिमान भी रचा था. उमलिंगगा पास में बनी इस रोड की समुद्र तल से ऊंचाई 19,300 फीट है. अभी तक दुनिया की सबसे ऊंची सड़क का रिकॉर्ड बोलिविया के, उतुरुंसू ज्वालामुखी के पास स्थित सड़क के नाम था, जिसकी ऊंचाई 18,953 फीट है.
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