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(स्टोरी में सुसाइड के डिटेल हैं. अगर आपको सुसाइड के विचार आते हैं या आप किसी ऐसे को जानते हैं जिसे ऐसे ख्याल आते हैं , तो कृपया उनके पास पहुंचें और स्थानीय आपातकालीन सेवाओं, हेल्पलाइनों और मानसिक स्वास्थ्य NGO's के इन नंबरों पर कॉल करें)
"मेरे भांजे ने हमें बताया था कि उसके दोस्तों का व्यवहार उसके प्रति बदल गया, जब उन्हें पता चला कि वह अनुसूचित जाति का है." ये कहना है IIT-बॉम्बे के 18 वर्षीय छात्र दर्शन सोलंकी के मामा इंद्रवदन परमार का. बता दें, छात्र दर्शन सोलंकी की 12 फरवरी को कैंपस में सुसाइड से मौत हो गयी थी.
सोलंकी अहमदाबाद के रहने वाला थे, और बी.टेक कोर्स के लिए तीन महीने पहले IIT-बॉम्बे में दाखिला लिया था. उसके मामा ने द क्विंट को बताया कि "उसने अपनी बहन और बड़ी मम्मी (चाची) को बताया कि कुछ दोस्तों ने उससे बात करना बंद कर दिया था और जब उन्हें पता चला कि वह दलित समुदाय से है तो वे उसे ताने मारते थे और परेशान करते थे."
“मेरा भांजा वहां (IIT-बॉम्बे) पढ़ने गया था. उसे कुछ तो हुआ होगा. इसलिए उसने इतना बड़ा कदम उठाया होगा.'
परमार ने द क्विंट को बताया कि सोलंकी "प्रतिभाशाली छात्र था, जो हमेशा अपनी परीक्षा में टॉप करता था." सोलंकी के परिवार में उनके माता-पिता और एक बड़ी बहन हैं.
सोलंकी के चाचा ने कहा, "उसने अपनी कड़ी मेहनत के कारण आईआईटी में जगह बनाई थी. उसने किसी कोचिंग सेंटर में शामिल हुए बिना घर पर ही जेईई प्रवेश परीक्षा की तैयारी की थी.
परमार याद करते हुए कहते हैं कि "जब सोलंकी IIT-बॉम्बे में पास हुआ तो वह बहुत खुश था. आईआईटी-बॉम्बे जाना उसका सपना था"
परमार ने दावा किया कि उनके भांजे ने अपने माता-पिता से वीडियो कॉल के माध्यम से बात की, बमुश्किल एक घंटे में उनकी मृत्यु हो गई, कथित तौर पर आत्महत्या से.
"वह बहुत खुश है. उसने कहा कि उसकी परीक्षा समाप्त हो गई है और वह दोस्तों के साथ बाहर जा रहा है. आने वाले दिनों में घर में एक पारिवारिक समारोह था और वह घर लौटने को लेकर काफी उत्साहित था.'
परमार ने मामले में कड़ी कार्रवाई और जांच की मांग करते हुए कहा कि सोलंकी के माता-पिता का दिल टूट गया है और वे सदमे में हैं.
“हमने अपना बच्चा खो दिया है. पुलिस को निष्पक्ष तरीके से मामले की जांच करनी चाहिए. हमें उम्मीद है कि ऐसा किसी और के साथ नहीं होगा.'
APPSC ने 13 फरवरी को आरोप लगाया था कि यह घटना "व्यक्तिगत मुद्दा नहीं है बल्कि एक संस्थागत हत्या है. प्रमुख संस्थान ने "दलित, बहुजन, आदिवासी छात्रों के लिए स्थान को समावेशी और सुरक्षित बनाने की परवाह नहीं की है."
परिवार के दावे के बाद कि दर्शन सोलंकी ने जातिगत भेदभाव का सामना किया. इस मामले में छात्र संगठन ने संस्थान के निदेशक के इस्तीफे की मांग की है.
“संस्थान कैंपस को यथासंभव समावेशी बनाने के लिए अत्यधिक सावधानी बरतता है. फैकल्टी द्वारा किसी भी तरह के भेदभाव के लिए IIT-बॉम्बे जीरो टॉलरेंस है. एक बार प्रवेश हो जाने के बाद जाति की पहचान कभी भी किसी (चाहे छात्र या संकाय) के सामने प्रकट नहीं की जाती है.
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