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IIT में पढ़ाई करना देशभर के लाखों छात्रों का सपना होता है. ऐसा सपना देखने वाले लाखों छात्र परीक्षा में भी बैठते हैं लेकिन कुछ हजार को ही दाखिला मिल पता है. इन प्रतिभाशाली छात्रों में से ही एक हैं बिहार के रहने वाले श्रवण कुमार. IIT-मुंबई से बीटेक-एमटेक करने वाले श्रवण कुमार अब रेलवे में ग्रुप-डी (चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी) की नौकरी करते हैं. अब उन्होंने धनबाद रेलवे डिवीजन में ट्रैक के रखरखाव का काम मिला है. श्रवण ने साल 2010 में आईआईटी-मुंबई के इंटीग्रेटेड कोर्स में एडमिशन लिया था और 2015 में कोर्स पूरा किया.
ये हैरान करने वाली बात है कि एक तरफ जहां IITs के छात्रों को प्राइवेट कंपनियां हाथोंहाथ लेती हैं, और यहीं का छात्र ग्रुप-डी की तरफ आकर्षित हो रहा है. श्रवण ने मंगलवार को एक स्थानीय अखबार से कहा, "मैंने बीटेक किया था, लेकिन मैं हमेशा सरकारी नौकरी में शामिल होना चाहता था. कोई भी नौकरी बुरी नहीं है. एक दिन मैं अधिकारी बनूंगा."
साफ है कि उन्होंने स्थायी नौकरी के लिए ये नौकरी चुनी है. लेकिन अब सवाल ये है कि क्या प्राइवेट नौकरियां इतनी अस्थायी हैं कि IIT जैसे संस्थानों से पढ़े-लिखे छात्र भी अपनी नौकरी को लेकर आश्वस्त नहीं हैं.
हिंदुस्तान न्यूज पेपर ने भी श्रवण से बातचीत की है, रिपोर्ट के मुताबिक श्रवण का कहना है कि IIT से कोर्स पूरा होने के बाद कैंपस के लिए वहां कंपनियां आईं थी, श्रवण ने मेट्रोलॉजी एंड मैटेरियल साइंस से एमटेक किया है, उनका कहना है कंपनियां कोर सेक्टर में जॉब नहीं दे रही थीं, लेकिन उन्हें कोर सेक्टर में ही काम करना था. ऐसे में उन्हें स्थायी नौकरी को देखते हुए रेलवे ग्रुप-डी की जॉब बेहतर लगी.
श्रवण कहते हैं, "मुझे प्रतियोगी परीक्षा के माध्यम से रेलवे की नौकरी मिली. मैंने 30 जुलाई को पदभार ग्रहण किया. मैं हमेशा नौकरी की सुरक्षा के कारण सरकारी कर्मचारी बनना चाहता था. मुझे उम्मीद है कि एक दिन मैं एक अधिकारी बनूंगा."
(इनपुट: IANS)
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