Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019India Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019तो IIT कानपुर तय करेगा कि फैज की कविता ‘हिंदू विरोधी’ है या नहीं

तो IIT कानपुर तय करेगा कि फैज की कविता ‘हिंदू विरोधी’ है या नहीं

CAA के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान छात्रों ने यह ‘हिंदू विरोधी गीत’ गाया था

क्विंट हिंदी
भारत
Published:
CAA के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान छात्रों ने यह ‘हिंदू विरोधी गीत’ गाया था
i
CAA के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान छात्रों ने यह ‘हिंदू विरोधी गीत’ गाया था
(फोटो: PTI, Rekhta)

advertisement

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान-कानपुर (आईआईटी-के) ने एक समिति गठित की है, जो यह तय करेगी कि क्या फैज अहमद फैज की कविता 'हम देखेंगे लाजिम है कि हम भी देखेंगे' हिंदू विरोधी है. फैकल्टी सदस्यों की शिकायत पर यह समिति गठित की गई है. फैकल्टी के सदस्यों ने आरोप लगाया था कि नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान छात्रों ने यह 'हिंदू विरोधी गीत' गाया था.'

समिति इसकी भी जांच करेगी कि क्या छात्रों ने शहर में जुलूस के दिन निषेधाज्ञा का उल्लंघन किया, क्या उन्होंने सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक सामग्री पोस्ट की और क्या फैज की कविता हिंदू विरोधी है?

गौरतलब है कि आईआईटी-के के छात्रों ने जामिया मिलिया इस्लामिया के छात्रों के समर्थन में 17 दिसंबर को परिसर में शांतिमार्च निकाला था और मार्च के दौरान उन्होंने फैज की यह कविता गाई थी.

आईआईटी के उपनिदेशक मनिंद्र अग्रवाल के अनुसार, "वीडियो में छात्रों को फैज की कविता गाते हुए देखा जा रहा है, जिसे हिंदू विरोधी भी माना जा सकता है."

क्या है फैज अहमद फैज की इस कविता में?

फैज अहमद फैज ने ये कविता 1979 में पाकिस्तान के सैन्य तानाशाह जिया-उल-हक के संदर्भ में लिखी थी. फैज पाकिस्तान में सैन्य शासन के विरोध में थे. फैज अपने क्रांतिकारी विचारों के कारण जाने जाते थे और इसी कारण वे कई सालों तक जेल में रहे.

कविता इस प्रकार है, "लाजिम है कि हम भी देखेंगे, जब अर्ज-ए-खुदा के काबे से. सब बुत उठवाए जाएंगे, हम अहल-ए-वफा मरदूद-ए-हरम, मसनद पे बिठाए जाएंगे. सब ताज उछाले जाएंगे, सब तख्त गिराए जाएंगे. हम देखेंगे."

इसकी आखिरी कुछ पंक्तियों में फैज ने लिखा है, “बस नाम रहेगा अल्लाह का, जो गायब है भी हाजिर भी, जो मंजर भी है नाजिर भी और राज करेगी खल्क ए खुदा जो हम भी है और तुम भी हो.”

इसकी अंतिम पंक्ति ने IIT कानपुर में विवाद खड़ा कर दिया है.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

Published: undefined

Read More
ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT