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उत्तर प्रदेश में सीएम योगी सरकार ने अवैध बूचड़खानों पर शिकंजा कसा तो नोएडा की कई मीट दुकानें बंद हो गई. पुलिस की सख्ती के बाद अवैध दुकानों पर ताला लग गया है. अब व्यापारी अपना बिजनेस चलाने और लाइसेंस लेने की कोशिश कर रहे हैं.
सवाल: मीट के कारोबार पर रोक लगने की पूरी प्रक्रिया को आप किस तरह देखते हैं?
जवाब: पीएम मोदी को अपने काम से प्यार है. वह अपना काम ईमानदारी और लगन से करते हैं. वैसे ही हम अपना काम पूर्ण निष्ठा से करते हैं. तो हमें डरने की क्या जरूरत है? मुझे योगी आदित्यनाथ पर भी भरोसा है कि वह अच्छे से अपना काम करेंगे. उन्होंने महिलाओं की जिंदगी बेहतर बनाने के प्रयास में अभियान शुरू किए. हमें भरोसा है, वह जो भी करेंगे अच्छे के लिए ही करेंगे.
सवाल: मीट बैन का आप लोगों पर क्या असर पड़ रहा है?
जवाब: इस गली में मीट की करीब 70 दुकानें है और करीब 500 परिवार इन दुकानों की कमाई पर निर्भर है. इस तरह आप अंदाजा लगा सकते है कि कितने लोगों पर इस अभियान का असर पड़ा होगा. हम कानून मानते हैं लेकिन अभी हमारे पास कुछ नहीं है. अल्लाह के अलावा हमारे पास अब सिर्फ उम्मीद है.
सवाल: क्या आपने सोचा था कि ऐसा कभी होगा?
जवाब: कई सरकार आई और गई. बीजेपी ही ऐसी सरकार है जिसने ऐसा किया है. हमने ऐसा सोचा भी नहीं था.
सवाल: कानूनी नियम के बारे में आप क्या सोचते हैं?
जवाब: नियम जब बनाए जाते है, तो सभी के लिए होते हैं. अगर सरकार लाइसेंस लेने को कहती है, तो हमें लेना चाहिए. हमने नियम माना, फिर भी हमें दंड मिला.
सवाल: आपकी दुकानें बंद हो गई है, फिर भी आप यहां हो?
जवाब: हमें कुछ नहीं मालूम, हमारा क्या होगा ? हम अब क्या करेंगे, हम कहां जाएंगे ?
सवाल: मीट बैन ने व्यक्तिगत रुप से किस तरह प्रभावित किया?
जवाब: मैं, मेरा परिवार, मेरा भाई, मेरे बच्चे सब इसी मीट शॉप पर ही निर्भर थे. यही कमाई का एक जरिया था. हमारी मीट शॉप अब बंद हो गई है. हमें नहीं मालूम कि अब शॉप कब खुलेगी. मुझे बस इतना मालूम है कि हमारे बच्चे भूखे हैं. हमारे उनकी फीस जमा करने के भी रुपये नहीं है.
सवाल: आप कब से यहां काम कर रहे हैं?
जवाब: मैं यहां 30 सालों से हूं और मेरे पिता उससे पहले से यहां काम कर रहे हैं. ऐसा पहली बार हुआ है कि मीट दुकानों को बंद कराया गया है. मैं जब 16 साल का था, तब यहां आया था.
सवाल: क्या यह बैन एक आर्थिक असुविधा से भी बड़ा है?
जवाब: हमारा पूरा कुरैशी खानदान यहीं काम करता आया है. मुझे इस पर गर्व है. यह इज्जत का सवाल है. मेरे पास लाइसेंस नहीं है. मगर मैं चाहता हूं कि हर किसी के पास लाइसेंस होना चाहिए. मैं खुद नियम अपनाना चाहता हूं. सरकार ने नोटबंदी के तरह ही मीट शॉप पर भी अचानक कार्यवाई शुरू कर दी. हमें पहले से जानकारी नहीं दी गई. अगर हर किसी को लाइसेंस लेना जरूरी है, तो उन्हें कुछ समय भी दिया जाना चाहिए.
सवाल: आपकी दुकान का क्या हुआ?
जवाब: मेरे पास पहले दो गाय, दो कुर्सी, दो टेबल और थोड़ी जगह थी, मगर अब मेरे पास चारपाई के अलावा कुछ नहीं है.
सवाल: आपको लगता है कि ये गलत है?
जवाब: मैं दो बार अपना लाइसेंस रिन्यूवल करा चुका हूं और अब तीसरी बार रिन्यू होने का इंतजार कर रहा हूं. पहले रिन्यूवल कराते समय मुझे कभी अपनी दुकान बंद नहीं करनी पड़ी. ऐसा पहली बार हुआ है और मुझे बिल्कुल अच्छा नहीं लग रहा है. महाराष्ट्र और केरल में केवल हिंदू त्योहार पर दुकानें बंद होती हैं.
सवाल: आपके बच्चों पर क्या असर पड़ा है?
जवाब: अभी वह घर पर है. अगले हफ्ते से स्कूल वाले फीस मांगना शुरू कर देंगे. मेरे पास फीस देने के लिए रुपये नहीं है लेकिन मैं उन्हें आगे पढ़ाना चाहता हूं.
सवाल: क्या पहले कभी दुकान बंद करने की नौबत आई है?
जवाब: नहीं, ऐसा पहले कभी नहीं हुआ. मेरे पास गैस चूल्हा है और मेरी पत्नी मेरे लिए रोटी बना सकती है. जबकि मेरे सभी कर्मचारी भूखे है, उनके बच्चे भूखे हैं.
सवाल: व्यापार करने का कोई दूसरा तरीका है?
जवाब: मैं 45 साल का हूं और मेरी हड्डियां कमजोर हो गई है, मैं रिक्शा नहीं चला सकता. मेरे पास बस एक चीज है, जिसे मैं नहीं खोउंगा, वह है उम्मीद. मेरे बेटे को पढ़ लिखकर कुछ बन जाने के लिए स्कूल जाना बहुत आवश्यक है. मैं उसे अपने व्यापार में आने के लिए कभी फोर्स नहीं करूंगा.
सवाल: आपके व्यापार पर क्या बुरा असर पड़ा है?
जवाब: ऊपर वाले की कृपा है कि मेरे भाई का एक होटल है और मैं उसे अच्छी तरह चलाता हूं. हम भी अपनी दुकान बंद करनी पड़ी थी, लोकिन धीरे-धीरे इसे खोल ली. मैं अब शाकाहरी फूड ही सर्व करता हूं, जिसकी वजह से मेरे व्यापार पर बुरा असर पड़ा है. लेकिन अभी भी मुझे कुछ इनकम हो रही है.
सवाल: लेकिन आप अभी भी चिंता में क्यों हैं?
जवाब: मेरे परिवार में कई लोगों का व्यापार ठप हो गया है. उनके पास इनकम का कोई साधन नहीं है. मैं इतना भी सेलफिश नहीं हूं कि सिर्फ अपने बारे में ही सोचता रहूं.
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