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तस्वीरों में: कभी फीके नहीं पड़ते बनारस की गलियों के ये चटख रंग...

ये हैं बनारस के सोनारपुरा और गोदौलिया क्षेत्र की गलियों की कुछ तस्वीरें. देखें और इन गलियों में खो जाएं.

प्रदीपिका सारस्वत
भारत
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बनारस की इन गलियों में सब कुछ मिलता है. मनी एक्सचेंज भी. (फोटो: सुमिलन चटर्जी)
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बनारस की इन गलियों में सब कुछ मिलता है. मनी एक्सचेंज भी. (फोटो: सुमिलन चटर्जी)
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अमेरिकी लेखक मार्क ट्वेन ने एक बार वाराणसी के बारे में कहा था, “बनारस इतिहास से भी पुराना है, परंपराओं से पुराना है, किंवदंतियों (लेजेन्ड्स) से भी प्राचीन है और इन सब को मिलाकर भी बनारस से इनकी तुलना की जाए, तो बनारस उससे भी दोगुना पुराना है.”

आप इसे काशी कहिए, बनारस कहिए या वाराणसी कहिए, इस सदियों पुराने शहर को किसी एक नाम से पहचान की जरूरत नहीं. साल भर पर्यटकों से भरे रहने वाले शहर की हर बात निराली है.

यहां के मंदिर, यहां के घाट, यहां का खान-पान, कला और संस्कृति, चाय और पान की दुकानें, लोगों को दुनिया के कोने-कोने से खींचकर यहां ले आते हैं. पर सबसे खास हैं यहां की गलियां, जो सूरज उगने से कहीं पहले जाग जाती हैं और शायद कभी सोती नहीं.

कहते हैं कि एक बार इन गलियों में जो खो जाता है, कभी वापस नहीं लौट पाता, यानी उसे बनारस से प्यार हो जाता है.

यहां हैं बनारस के सोनारपुरा और गोदौलिया क्षेत्र की गलियों की कुछ तस्वीरें. देखें और इन गलियों में खो जाएं.

ग्राफिटी या भित्तिचित्र बनारस की कला का एक हिस्सा हैं. घाटों पर या घरों के बाहर, ये चित्र कहीं भी देखने को मिल जाएंगे. (फोटो: प्रदीपिका सारस्वत/द क्विंट)
भारतीय परिधान खरीदते विदेशी पर्यटक. भारतीय व हिप्पी परिधान बेचने वाली इन दुकानों के मुख्य ग्राहक विदेशी पर्यटक ही हैं. (फोटो: प्रदीपिका सारस्वत/द क्विंट)
बनारस के गोदौलिया इलाके की एक गली. (फोटो: प्रदीपिका सारस्वत/द क्विंट)
सोनारपुर क्षेत्र का एक रेस्तरां. (फोटो: प्रदीपिका सारस्वत/द क्विंट)
एक मंदिर के अहाते में सर्दियों की धूप का आनंद लेती वृद्ध महिला. (फोटो: प्रदीपिका सारस्वत/द क्विंट)
लंबे मोल-भाव के बाद आखिर इस पर्यटक जोड़े ने अपनी खरीदारी कर ही ली. (फोटो: प्रदीपिका सारस्वत/द क्विंट)
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प्रसिद्ध विश्वनाथ मंदिर के नजदीक की एक गली. (फोटो: प्रदीपिका सारस्वत/द क्विंट)
बनारस के प्रसिद्ध लकड़ी के खिलौनों की दुकान. पिछले कुछ समय से ये लकड़ी के खिलौने अपनी पहचान खोते जा रहे हैं. (फोटो: प्रदीपिका सारस्वत/द क्विंट)
गोदौलिया के नजदीक गेस्ट हाउस की ओर लौटतीं पर्यटक. (फोटो: प्रदीपिका सारस्वत/द क्विंट)
सोनारपुरा में एक मंदिर से बाहर निकले श्रद्धालु से प्रसाद पाने की उम्मीद लगाए खड़े कुत्ते. (फोटो: प्रदीपिका सारस्वत/द क्विंट)
संगीत सीखने जाती विदेशी पर्यटक. वाराणसी अपने संगीत व गुरुओं के लिए भी प्रसिद्ध है. (फोटो: प्रदीपिका सारस्वत/द क्विंट)

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Published: 19 Jan 2016,08:48 AM IST

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