तस्वीरों में: कोसी के घर, गांव, जमीन और जीवन

कुछ ऐसे दिखते हैं बिहार के एक फोटो जर्नलिस्ट अजय कुमार की नजर से कोसी के गांव.

प्रदीपिका सारस्वत
भारत
Updated:
सहरसा जिले के महिषी अंचल के बिरवार गांव में बाढ़ के दौरान नाव का सहारा लेते ग्रामीण. (फोटो: अजय कुमार)
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सहरसा जिले के महिषी अंचल के बिरवार गांव में बाढ़ के दौरान नाव का सहारा लेते ग्रामीण. (फोटो: अजय कुमार)
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गांवों को हमने फिल्मों में देखा है, किताबों में देखा है. हममें से बहुतों ने खुद जाकर भी देखा होगा. हम गांव में रहें या न रहें, पर हमारी जड़ें अब भी वहीं हैं, आखिर गांवों का देश है भारत. एक अलग सोंधापन है गांवों की मिट्टी में, जो उसकी यादों को भी वही खुशबू दे जाता है.

नेपाल के रास्ते बिहार में घुसने वाली कोसी नदी के आसपास के इलाके की ये तस्वीरें सहरसा जिले की हैं.

एक ‘गरीब’ भारत की तस्वीेरें मालूम हो सकती हैं. हो सकता है ये तस्वीरें आपको इस इलाके में हर बरसात में आकर तबाही मचाने वाली कोसी की बाढ़ की भी याद दिला दें (इसीलिए कोसी को बिहार का शोक भी कहते हैं). बाढ़ प्रभावित इस जिले में अशिक्षा है, बेरोजगारी है, यातायात, स्वास्थ्य और शुद्ध पेयजल जैसी सुविधाओं का अभाव भी है, पर गरीबी या साधनहीनता सापेक्षिक (रिलेटिव) है. अगर हम मोडर्निटी और भौतिकवाद के चश्मे से देखें, तो ये तस्वीरें कुछ और कहेंगी और अगर सिर्फ इंसानी आखों से देखा जाए तो कुछ और.

ये तस्वीरें सिर्फ जीवन के एक अलग रूप को दिखा रही हैं, जो नगरों और महानगरों के जीवन से अलग है. यहां परेशानियां हैं, पर पर्व, त्‍योहार और मेले भी हैं.

सोनपुरा पंचायत के मधुकरपट्टी गांव में चावल के लिए चूल्हे पर धान उबालती मज़दूर राधे शर्मा की पत्नी. (फोटो: अजय कुमार)
सिमरी बख्तियारपुर प्रखंड की दक्षिणी पंचायत सिटानाबाद में सोनपुरा नहर के कछार पर मछली पकड़ते गोड़ियारी टोले के बच्चे. (फोटो: अजय कुमार)
कांठो मटेश्वरधाम के समीप सिंगरौली गांव में घर निर्माण के समय नज़र-गुज़र टोटका से बचाव के लिए पुतला बनाने की परंपरा है. (फोटो: अजय कुमार)
सिमरी बख्तियारपुर नगर पंचायत के अमरपुर नहर के कछार पर झूला झूलती रानीबाग-मकदूमपुर टोले की बच्ची (फोटो: अजय कुमार)
कोसी के कछार पर बघवा पंचायत के गोपालपुर गांव में संयुक्त परिवार के चूल्हे पर रोटी पकाती बच्ची. (फोटो: अजय कुमार)
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कांठो पंचायत के मध्य विद्यालय मटिहानी के पीछे पोखर में खेलते बच्चे. (फोटो: अजय कुमार)
सोनबरसा कचहरी- खड़गपुर गांव में भी दशहरा में रावण का पुतला दहन किया जाता है. (फोटो: अजय कुमार)
सरोजा पंचायत के सनहा टोले में ग्रामीण बच्चों को पढ़ाती स्नातक की गरीब छात्रा सुजाता कुमारी. (फोटो: अजय कुमार)
कोसी नदी के उफान में जलमग्न सलखुआ अंचल का पिपरा-बगेवा गांव. (फोटो: अजय कुमार)
सोनपुरा के गोंठ टोले में खपरैल घर की मरम्मत करते मजदूर. (फोटो: अजय कुमार)

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Published: 12 Jan 2016,03:39 PM IST

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