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अफगानिस्तान से अमेरिका की वापसी (US Troops Return) पूरी होने के बाद तालिबान (Taliban) ने कतर में भारत (India-Taliban Meet) के साथ वहां फंसे भारतीय नागरिकों की सुरक्षा और जल्द वापसी को लेकर बातचीत शुरू की है. विदेश मंत्रालय ने 31 अगस्त को ये जानकारी दी. भारत ने पहली बार दोनों पक्षों के बीच हुई बैठक को सार्वजनिक किया है.
मंत्रालय ने कहा कि कतर में भारत के राजदूत दीपक मित्तल ने दोहा में तालिबान के राजनीतिक ऑफिस के प्रमुख शेर मोहम्मद अब्बास स्टेनकजई से मुलाकात की.
ये चर्चा अफगानिस्तान में फंसे भारतीय नागरिकों की सुरक्षा और जल्द वापसी पर केंद्रित रही. अफगान नागरिकों, खासकर अल्पसंख्यक, जो भारत की यात्रा करना चाहते हैं, की यात्रा को लेकर भी बातचीत हुई.
राजदूत मित्तल ने भारत की चिंता जताई कि अफगानिस्तान की धरती का इस्तेमाल किसी भी तरह से भारत विरोधी गतिविधियों और आतंकवाद के लिए नहीं किया जाना चाहिए.
स्टेनकजई ने भारतीय राजदूत को आश्वासन दिया कि इन मुद्दों से सकारात्मक रूप से निपटा जाएगा.
31 अगस्त को, अमेरिकी सेना ने अफगानिस्तान से वापसी कर 20 साल के लंबे संघर्ष को खत्म किया. अमेरिका ने 11 सितंबर हमले की 20वीं बरसी से पहले अफगानिस्तान से अपनी सेना को वापस बुलाने का फैसला किया था, जो 31 अगस्त को पूरा हो गया. अमेरिका के वापसी के ऐलान के कुछ समय बाद ही, तालिबान ने धीरे-धीरे पूरे देश पर कब्जा करना शुरू कर दिया, और 15 अगस्त को काबुल पर कब्जे के बाद पूरे देश का नियंत्रण तालिबान के हाथों में आ गया.
अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने सेना की वापसी पर कहा, "हमने काबुल में राजनयिक उपस्थिति खत्म कर दिया है,अपना संचालन दोहा (कतर) स्थानांतरित कर दिया है. अफगानिस्तान से कूटनीति के प्रबंधन के लिए दोहा में पोस्ट का उपयोग करेंगे.अमेरिकी सैन्य उड़ानें समाप्त हो गई हैं,हमारे सैनिक अफगानिस्तान से चले गए हैं."
(IANS के इनपुट्स के साथ)
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