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भारत और चीन के बीच बातचीत के दौरान बनी सहमति के मुताबिक चीनी सैनिक पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) से नहीं हटे हैं. सूत्रों ने शनिवार को ये जानकारी दी. पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के जवानों के गैर जिम्मेदाराना रवैये को देखते हुए, भारत इस नतीजे पर पहुंचा है कि पीछे हटने की प्रक्रिया जटिल है और इस पर लगातार नजर बनाए रखने की जरूरत है.
भारतीय रक्षा प्रतिष्ठान में मौजूद सूत्रों ने बताया कि चीनी सेना पहले कुछ पीछे हटी थी, लेकिन फिर वापस आ गई, इसलिए चीनी सैन्य प्रतिनिधियों के साथ बैठक में बनी आम सहमति को लेकर लगातार सत्यापन किए जाने की जरूरत है. यह पाया गया था कि भारतीय और चीनी सेना पेंगांग लेक में दो किलोमीटर तक पीछे हट गई थी और फिंगर-4 खाली हो गया था.
पेट्रोलिंग पॉइंट 14 कहे जाने वाले गलवान घाटी में भारतीय और चीनी सेना के बीच तीन किलोमीटर की दूरी है, जबकि पेट्रोलिंग पॉइंट 15 के पास, जवानों के बीच दूरी लगभग आठ किलोमीटर है. लेकिन तनाव का क्षेत्र हॉट स्प्रिंग, यानी पेट्रोलिंग पॉइंट-17 बना हुआ है, जहां 40-50 जवान केवल 600-800 मीटर की दूरी पर तैनात हैं. दोनों देशों के बीच बनी सहमति के बाद चीनी सेना पीछे हटी थी, लेकिन वापस आ गई.
भारत के रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने लद्दाख के अपने दौरे के दौराना कहा था कि भारत शांति चाहता है, लेकिन चीन के साथ वार्ता के अंतिम नतीजे निकलने की कोई गारंटी नहीं है. सिंह ने तनावग्रस्त सीमावर्ती इलाकों में भी जमीनी स्थिति का जायजा लिया. भारतीय सेना ने 16 जुलाई को कहा था कि एलएसी पर चीन के साथ सैनिकों के पीछे हटने की प्रक्रिया जटिल है और इसके लगातार सत्यापन करते रहने की जरूरत है. सशस्त्र बल ने कहा था कि भारत तनाव कम करने की प्रक्रिया को राजनयिक और सैन्य स्तर पर नियमित बैठकों के जरिए आगे बढ़ा रहा है.
14 और 15 जुलाई को कुल 15 घंटे तक चली वार्ता के दौरान भारतीय और चीनी सैन्य प्रतिनिधियों ने पहले चरण के डिसइंगेजमेंट के क्रियान्वयन की समीक्षा की थी और पूर्वी लद्दाख में पूर्ण डिसइंगेजमेंट के लिए आगे के कदमों पर चर्चा की थी.
(इनपुट- आईएएनएस)
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