advertisement
भारत सरकार ने पिछले साल जब आर्टिकल 370 को बेअसर करने और लद्दाख को अलग केंद्र शासित प्रदेश बनाने का ऐलान किया था, उसके कुछ समय बाद ही सितंबर में लद्दाख में पैंगोंग झील के उत्तरी किनारे पर चीन के साथ तनाव के संकेत मिलने शुरू हो गए थे.
अंग्रेजी अखबार द इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, पिछले साल 11 सितंबर को एक झड़प के बाद से - जिसमें 10 भारतीय जवान घायल हो गए थे - चीनी पक्ष झील के उत्तरी किनारे पर भारतीय गश्त को फिंगर 8 की ओर जाने से रोकने की कोशिश कर रहा था. भारत का कहना है कि क्षेत्र में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) फिंगर 8 के साथ स्थित है, जबकि चीन पश्चिम की तरफ कुछ किलोमीटर आगे इसके होने का दावा करता है.
अधिकारी ने कहा कि पिछले साल 10 सितंबर को चीन के रुख में बदलाव आया, जब पीएलए (चीनी सेना) के सैनिकों ने भारतीय गश्ती दल को फिंगर 8 की ओर आगे बढ़ने से रोकना शुरू कर दिया.
अधिकारी ने बताया, पीएलए के सैनिकों ने फिंगर 4 पर भारतीय पक्ष की तरफ से बनाई गई पत्थरों की एक अर्ध-स्थायी संरचना को भी हटा दिया, जो एक तरह की निगरानी चौकी थी. उन्होंने फिर फिंगर 8 पर अपने बेस के पश्चिम में उसी तरह की पत्थर की संरचना का निर्माण किया और भारतीय गश्ती दल को उनके गंतव्य की तरफ बढ़ने से रोकना शुरू कर दिया.
इसके बाद भारतीय सैनिकों ने फिंगर 4 की ऊंचाई के पीछे से जाते हुए फिंगर 8 तक पहुंचने के लिए एक वैकल्पिक ट्रैक का इस्तेमाल शुरू कर दिया. चीन ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई और क्षेत्र में तनाव पैदा हो गया, जिसके चलते इस साल 5-6 मई की दरम्यानी रात हिंसक झड़प हुई, जिससे न सिर्फ दोनों पक्षों के कई सैनिक घायल हुए, बल्कि एक नया गतिरोध भी पैदा हो गया.
उत्तरी सिक्किम में नाकू ला दर्रे के पास 9 मई को भी दोनों देशों के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई. हाल ही में जब चीन के साथ तनाव कम करने के लिए बातचीत का सिलसिला चल रहा था, उसी बीच 15-16 जून की रात गलवान घाटी में भारत-चीन के सैनिकों के बीच खूनी संघर्ष हो गया.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)