कोरोना का कहर और ऑक्सीजन के लिए हाहाकार - काफी Real

गुजरात समेत देश के कई राज्यों में अंतिम संस्कार के लिए श्मशान भरे पड़े हैं.

अरूप मिश्रा
भारत
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(इलस्ट्रेशन: अरूप मिश्रा/क्विंट हिंदी)
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(इलस्ट्रेशन: अरूप मिश्रा/क्विंट हिंदी)

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कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों और देश में ऑक्सीजन की भारी कमी के बीच, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 20 अप्रैल की रात देश को संबोधित किया. अपने संबोधन में पीएम ने देश में ऑक्सीजन की कमी की बात स्वीकारते हुए कहा, "केंद्र सरकार, राज्य सरकारें, प्राइवेट सेक्टर, सभी की पूरी कोशिश है कि हर जरूरतमंद को ऑक्सीजन मिले."

“चुनौती काफी बड़ी है, हमें उम्मीद बनाए रखनी है.”
पीएम मोदी

चुनौती बड़ी नहीं, भयानक है और इससे हमारा हेल्थकेयर सिस्टम बुरी तरह प्रभावित हो रहा है. अस्पतालों में बेड की कमी है, कोविड वैक्सीनेशन के लिए वैक्सीन नहीं है, रेमडेसिविर जैसी दवाइयों की कमी की भी खबरें आ रही हैं, अलग-अलग राज्य केंद्र से ऑक्सीजन देने की गुहार लगा रहे हैं.

देश के श्मशानों से आ रही तस्वीरें भयावह हैं. अस्पताल में एक ही बेड पर कई मरीजों को रखा जा रहा है. (इलस्ट्रेशन: अरूप मिश्रा/क्विंट हिंदी)

राज्यों को लॉकडाउन नहीं लगाने की सलाह देते हुए पीएम ने कहा कि अगर कोविड नियमों का पालन किया गया, तो लॉकडाउन लगाने की जरूरत नहीं पड़ेगी.

“आज की स्थिति में हमें देश को लॉकडाउन से बचाना है. मैं राज्यों से भी अनुरोध करूंगा कि वो लॉकडाउन को अंतिम विकल्प के रूप में ही इस्तेमाल करें.”
पीएम मोदी
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पीएम बस देश को ये बताना भूल गए कि चुनौती कितनी बड़ी है और सरकार इससे निपटने के लिए क्या कर रही है.

गुजरात समेत देश के कई राज्यों में अंतिम संस्कार के लिए श्मशान भरे पड़े हैं. लोगों की लाइनें लग रही हैं. गाजियाबाद में हाल इतने खराब हैं कि परिजन फुटपाथ पर ही अंतिम संस्कार के लिए मजबूर है.

22 अप्रैल को देश में 3.14 लाख मामले दर्ज किए गए, जो कि दुनिया के किसी भी देश में एक दिन में आए सबसे ज्यादा मामले हैं. इससे पहले 3 लाख से ज्यादा केस अमेरिका में सामने आए थे.

कोरोना की दूसरी लहर ने देश को बुरी तरह तोड़ दिया है, और सरकार खुले तौर पर इसे स्वीकारने के लिए तैयार नहीं है. आखिरकार, मौसम चुनाव का जो है. इतने बड़ी क्राइसिस में सरकार की प्राथमिकता बंगाल में चुनाव लग रही है.

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