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बच्चों की किताब में हिटलर को बताया महान नेता, मचा हंगामा

महान नेताओं की लिस्ट में तानाशाह नेता के तौर पर कुख्यात हिटलर को भी किया गया शामिल

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भारत
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ऑनलाइन स्टोर पर बिक रही है किताब
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ऑनलाइन स्टोर पर बिक रही है किताब
(फोटोः pegasusforkids.com)

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किताबों में देश-दुनिया के महान नेताओं के किस्से-कहानियां छापी जातीं हैं. किताबों में इन नेताओं के समाज, देश और देशवासियों के हित में किए गए कामों का बखान किया जाता है. इन नेताओं की कहानियां बताने का मकसद होता है कि वह आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित कर सकें.

जर्मनी के एडोल्फ हिटलर को दुनिया में तानाशाह के तौर पर जाना जाता है. लेकिन एक भारतीय पब्लिशर ने बच्चों की किताब में हिटलर को उन नेताओं की लिस्ट में शामिल किया है, जिन्होंने अपना जीवन देशहित में कुर्बान कर दिया.

अंतरराष्ट्रीय जनवादी मानवाधिकार संगठन साइमन विसेन्थल सेंटर के सहयोगी डीन रब्बी अब्राहम कूपर ने एक बयान में कहा, "देशों और लोगों की भलाई के लिए समर्पित? एडॉल्फ हिटलर? यह विवरण, नाजियों और नाजी उत्तराधिकारियों को ही खुशी दे सकता है."

बी. जैन पब्लिशर्स की कंपनी पेगासस ने "लीडर्स" नाम से एक किताब प्रकाशित की है. हालांकि, वेबसाइट पर इसे 'ग्रेट लीडर्स' नाम से लिस्ट में रखा है. पब्लिशर की वेबसाइट पर दिए गए किताब के विवरण में लिखा है. "वो 11 नेता, जो आपको प्रेरित करेंगे."

कवर पेज पर पीएम मोदी की भी तस्वीर

किताब के कवर पेज पर हिटलर के साथ महात्मा गांधी, नेलसन मंडेला और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर छपी हुई है. इनके अलावा म्यामांर की नेता आंग सान सू की को भी कवर पेज पर जगह दी गई है. बता दें, हाल ही में रोहिंग्या जातीय समूह के खिलाफ सैन्य कार्रवाई को लेकर आंग सान सू की को तीखी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था.

इस किताब पर मानवाधिकार संगठन साइमन विसेन्थल सेंटर ने आपत्ति जताई है. साथ ही पब्लिशर से इस किताब को सर्कुलेशन और ऑनलाइन स्टोर से हटाने की अपील की है. फिलहाल, यह किताब ऑनलाइन स्टोर पर 112.50 रुपये में मिल रही है.

महान राजनीतिक और मानवीय नेताओं के साथ हिटलर को रखना बहुत गलत है. क्योंकि इससे जुड़ा इतिहास नई पीढ़ी को नैतिकता का कोई ज्ञान नहीं देता है.

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पब्लिशर ने दी सफाई

पब्लिशिंग मैनेजर अंशु जुनेजा ने उठ रहे सवालों पर कहा है, 'हम उनके व्यवहार के बारे में या उनके विचारों के बारे में बात नहीं कर रहे हैं. और ना ही इस बारे में कि वे अच्छे या बुरे नेता हैं. हम सिर्फ इतना कहना चाहते हैं कि एक नेता के तौर पर वह प्रभावशाली नेता थे.'

पब्लिशर के मुताबिक, 48 पन्नों वाली यह किताब साल 2016 में प्रकाशित हुई थी. पब्लिशर का कहना है कि उसे अब तक किताब से संबंधित कोई शिकायत नहीं मिली थी. पब्लिशर की वेबसाइट पर किताब के लेखक से संबंधित कोई जानकारी नहीं दी गई है.

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