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भारत ने बुधवार को कहा कि मालदीव की सरकार की ओर से अपने संविधान का उल्लंघन करते हुए आपातकाल को 30 दिनों तक बढ़ाए जाने से वह बेहद निराश और चिंतित है. दूसरी ओर, अमेरिका ने मालदीव सरकार के इस फैसले पर नाराजगी जताई और राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन से देश में कानून व्यवस्था बनाए रखने को कहा.
भारत के विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में कहा कि मालदीव की संसद मजलिस ने जिस तरह से अपने संविधान का उल्लंघन करते हुए आपातकाल की अवधि को आगे बढ़ाया है, वह चिंता का विषय है. मंत्रालय ने कहा कि राजनीतिक प्रक्रिया को दोबारा शुरू करने में देरी और न्यायपालिका समेत लोकतांत्रिक संस्थाओं के कामकाज को निलंबित करना जारी रखने से मालदीव में सामान्य स्थिति बहाल होने में और देरी हो सकती है.
विदेश मंत्रालय ने कहा कि यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि लोकतांत्रिक संस्थाओं को स्वतंत्र, निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से और संविधान के तहत काम करने की अनुमति दी जाए.
मालदीव के राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन की सिफारिशों को मंजूर करते हुए मंगलवार को देश में आपातकाल की अवधि 30 दिन बढ़ाये जाने के बाद अमेरिकी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हीथर नोर्ट ने कहा-
मालदीव की इंडिपेन्डेन्ट समाचार वेबसाइट की खबर में बताया गया कि ये फैसला सांसदों के मतदान के बाद लिया गया. मतदान के लिए केवल 38 सांसद मौजूद थे. आपातकाल की अवधि समाप्त होने से पहले ही मतदान हुआ. संविधान के मुताबिक, मतदान के लिए 43 सांसदों की जरूरत होने के बावजूद केवल 38 सांसदों ने मतदान कर दिया.
वेबसाइट के मुताबिक, सभी 38 सांसद सत्ताधारी दल के थे और उन्होंने आपातकाल की अवधि बढ़ाए जाने को मंजूरी दे दी. जबकि विपक्ष ने मतदान का बहिष्कार किया. अब देश में आपातकाल 22 मार्च तक जारी रहेगा.
(इनपुट: भाषा)
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